दोस्तों बॉलीवुड में ऐसे कई कलाकार हुए हैं जिन्होंने अपनी खास अदाकारी से दर्शकों का दिल जीता है इनमें से कुछ कलाकार ऐसे भी रहे हैं जिनकी अदाकारी भले ही मुख्य धारा की फिल्मों में ज्यादा दिखाई ना दी हो लेकिन उन्होंने अपनी कला से सिनेमा प्रेमियों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी है जी हां बिल्कुल सही सुना आपने और उन्हीं कलाकारों में से एक बड़े अभिनेता की आज हम बात करने वाले हैं जिसने अपने हास्य अंदाज में अभ कर दर्शकों को खूब हंसाया और बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक खास जगह बनाई दोस्तों हम बात कर रहे हैं।
गुजरे जमाने के मशहूर अभिनेता केशो मुखर्जी की जिसने ज्यादातर फिल्मों में का किरदार निभाकर दर्शकों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई वैसे कई लोगों को यह लग सकता है कि वे असल जिंदगी में भी होंगे तो वेल केस्टो मुखर्जी का जन्म 7 अगस्त 1925 को कोलकाता के एक बंगाली हिंदू परिवार में हुआ था उनका बचपन कोलकाता में ही बीता और वहीं से से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की वह बचपन से ही अभिनय की दुनिया से प्रभावित थे और बंगाली थिएटर की दुनिया में उनकी रुचि काफी बढ़ गई थी उनका परिवार बहुत ही साधारण था और फिल्म इंडस्ट्री से उनका कोई संबंध नहीं था कोलकाता में रहते हुए उन्होंने नाटकों में भाग लेना शुरू किया और यहीं से उनका अभिनय करियर की ओर झुकाव हुआ खैर बंगाल की कला और संस्कृति में गहरी रुचि रखने वाले केस्टो कोलकाता में थिएटर में काम करने लगे और और यहीं से उन्होंने अपने अभिनय सफर की शुरुआत की कहा जाता है कि मशहूर बंगाली डायरेक्टर और राइटर पृथ्वी घटक ने उनका एक प्ले देखा जिससे वे काफी प्रभावित हुए और उन्होंने उन्हें अपनी एक बंगाली फिल्म नागरिक में कास्ट कर लिया जो साल 1952 में बनी थी।

लेकिन रिलीज हुई साल 1977 में इसके बाद उन्होंने कई अन्य बंगाली फिल्मों में अभिनय किया और यहीं से फिल्मों में काम करने का उनका सफर शुरू हो गया उनके अभिनय से मशहूर फिल्मकार ऋषिकेश मुखर्जी भी प्रभावित हुए और उन्होंने ही उन्हें अपनी फिल्म में काम दिया और इस तरह उन्होंने बॉलीवुड की दुनिया में भी कदम रखा जी हां उनकी पहली फिल्म का शीर्षक था मुसाफिर जो साल 1957 में रिलीज हुई थी जिसमें उन्होंने एक स्ट्रीट डांसर की भूमिका निभाई थी इस फिल्म में दिलीप कुमार किशोर कुमार शेखर सुचित्रा सेन और निरूपा रॉय जैसे कई अन्य मशहूर कलाकार शामिल थे इसके बाद व साल 1960 में आई फिल्म परख में नजर आए इस फिल्म में अभिनेत्री साधना दुर्गा खोटे मुमताज बेगम नजर हुसैन और असित सेन जैसे कलाकार नजर आए इस फिल्म में केस्टो मुखर्जी एक कंपाउंडर की सहायक भूमिका में नजर आए।
बॉक्स ऑफिस पर रिलीज होने के बाद दर्शकों द्वारा इसे काफी प्यार मिला और यह फिल्म सेमी हिट घोषित की गई इसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे कई अन्य फिल्मों में नजर आए और और अपने अभिनय से दर्शकों को रोमांचित किया वैसे तो 6070 के दशक तक दर्शकों के बीच वे थोड़े बहुत लोकप्रिय हो गए थे लेकिन कहा जाता है कि साल 1970 में आई फिल्म मां और ममता से उन्हें दर्शकों के बीच एक अलग पहचान मिली इस फिल्म में उन्होंने एक की भूमिका निभाई थी इसके बाद वह कई अन्य फिल्मों में नजर आए जैसे गीत मेरे हमसफर मां का आंचल बचपन मेरे अपने मेम साब ललकार परिच अनोखा मिलन और जंजीर दोस्तों केशो मुखर्जी अपने छोटे किरदार से ही फिल्मों में एक जान फूक देते थे जैसे कि साल 1975 में आई फिल्म शोले में उन्होंने बेहद ही छोटा रोल निभाया था लेकिन वह रोल यादगार बन गया जी हां शोले का वह सीन आपको तो याद ही होगा जिसमें जय और वीरू जेल के अंदर आपस में बातचीत कर रहे हैं और हरिराम यानी कि केस्टो उनकी बातें छिपकर सुनते हैं यह किरदार काफी लोकप्रिय रहा और फिल्म तो यादगार रही ही खैर इसमें कोई शक नहीं है कि शोले जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म में भी उनकी उपस्थिति दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी थी।

वहीं साल 1975 में आई फिल्म चुपके-चुपके जैसी कॉमेडी फिल्म में केस्टो ने शराबी की भूमिका निभाई थी धर्मेंद्र अमिताभ बच्चन और शर्मिला टैगोर जैसे बड़े सितारों के साथ काम करते हुए भी उन्होंने अपनी अदाकारी से दर्शकों को खूब हंसाया उन्होंने अपने लंबे करियर में कई बड़े-बड़े अभिनेता और निर्देशकों के साथ काम किया जिनमें देवानंद से लेकर धर्मेंद्र और दिलीप कुमार जैसे मशहूर अभिनेता शामिल हैं अपने शानदार और यादगार कॉमिक रोल के लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया गया कई फिल्मों के लिए तो उन्हें नामांकन भी प्राप्त हुआ बहरहाल उनकी आखिरी फिल्म थी पांच कैदी जो साल 1981 में रिलीज हुई थी और इसके बाद वह फिल्मी दुनिया में फिर कभी नजर नहीं आए क्योंकि उनकी मृत्यु हो चुकी थी उन्होंने करीब 100 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और दर्शकों को रोमांचित किया जो किसी भी कलाकार के लिए एक बड़े अचीवमेंट से कम नहीं है बात करें उनके निजी जीवन की तो वह शादीशुदा थे उनकी पत्नी का नाम छाया मुखर्जी था खबरों के मुताबिक उनके दो बच्चे थे जिनका नाम रंजीत मुखर्जी और इंद्रजीत मुखर्जी था किसी कारणवश उनके एक बेटे रंजीत मुखर्जी का निधन हो गया था।
वहीं बात करें इंद्रजीत मुखर्जी की जिन्हें बबलू मुखर्जी के नाम से भी जाना जाता है तो वह भी एक एक्टर हैं और अपने पिता के नाम से एक अकेडमी चलाते हैं वे शादीशुदा हैं उनके तीन बच्चे हैं जिनमें एक बेटी और दो बेटे हैं आपको बता दें कि केशो मुखर्जी का निजी जीवन काफी साधारण था वह फिल्मी दुनिया में जितने मशहूर थे असल जिंदगी में उतने ही साधारण और सादगी से भरे व्यक्ति थे उनका परिवार इंडस्ट्री से दूर रहा और उन्होंने अपनी निजी जिंदगी को हमेशा लाइम लाइट से दूर रखा जैसे कि वीडियो के शुरुआत में हमने कहा कि वे ज्यादातर फिल्मों में शराबी का रोल किया करते थे और जिसके चलते कई लोगों को लगता था कि वे असल जिंदगी में भी शराबी होंगे लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं था दरअसल असल जिंदगी में उनका शराब से कोई नाता नहीं था।
यह अलग बात है कि वह फिल्मों में एक की भूमिका के लिए बेहद मशहूर थे वैसे उनके माता-पिता के बारे में अधिक जानकारी तो नहीं है लेकिन खबरों के मुताबिक उनके पिता का नाम सुरेंद्रनाथ था जो काबिल और पढ़े लिखे के किस्म के व्यक्ति थे जबकि उनकी मां एक हाउसवाइफ थी केस्टो मुखर्जी का नाम बॉलीवुड के उन कॉमेडियंस में शामिल है जिन्होंने अपनी खास शैली से हिंदी सिनेमा को बढ़ाया उनका अनोखा अंदाज और के किरदार में उनकी सहजता ने उन्हें इंडस्ट्री का एक अभिन्न अंग बना दिया।
उनकी फिल्मों के डायलॉग्स और सींस आज भी उतने ही प्रासंगिक और मनोरंजक है जितने उस दौर में थे केशो मुखर्जी ने अपने जीवन में यह साबित किया कि किसी भी कला कलाकार की पहचान उसके किरदारों से होती है ना कि उसकी निजी जिंदगी से उनके अभिनय का हर रंग उनकी फिल्मों में झलकता है और आज भी वह बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन कलाकारों में से एक माने जाते हैं वे अलग बात है कि अब वह इस दुनिया में नहीं है उनके अभिनय ने उन्हें कॉमेडी की दुनिया का एक नायाब सितारा बना दिया उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी फिल्म इंडस्ट्री को समर्पित कर दी इसके अलावा अपने अभिनय से लाखों दर्शकों का मनोरंजन किया और आज भी उनके किरदार और संवाद दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं केशो मुखर्जी का जीवन संघर्ष और सफलता की एक शानदार कहानी है उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है बिना किसी गॉडफादर के उन्होंने अपने दम पर इंडस्ट्री में जो मुकाम हासिल किया वह आने वाले कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर रहेगा।

वैसे जो भी इस धरती पर जन्म लिया है उसे एक ना एक दिन हां से जाना पड़ता है और केशु मुखर्जी भी इससे अछूते नहीं रहे 4 मार्च 1942 में महज 56 साल की उम्र में एक में मुंबई में उनका निधन हो गया और वह दुनिया को हमेशा-हमेशा के लिए छोड़कर चले गए उनकी मौत के साथ ही बॉलीवुड ने एक महान कॉमेडियन को खो दिया खैर केस्टो मुखर्जी भले ही आज हमारे बीच ना हो लेकिन उनकी फिल्में और उनके किरदार हमेशा हमारे साथ रहेंगे उनकी अदाकारी और उनके जीवन की कहानी यह सिखाती है कि कॉमेडी केवल हंसाने का नाम ही नहीं बल्कि यह जीवन के हर पहलू को एक हल्के-फुल्के अंदाज में पेश करने की कला है उन्होंने इस कला को अपने अभिनय के माध्यम से नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और हिंदी सिनेमा में एक अमिट छाप छोड़ी फिल्मों में उनके द्वारा दिया गया योगदान भुलाया नहीं जा सकता।