आपने एक जानेमाने बिजनेस टाइकून के साथ-साथ वह एक नेक दिल इंसान थे जिन्होंने दुनिया भर में बिजनेस के नजरिए से देश को रिप्रेजेंट किया जी हां दोस्तों हम बात कर रहे हैं मशहूर इंडस्ट्रियलिस्ट सर रतन टाटा के बारे में जो अब इस दुनिया में नहीं रहे और और इसी के साथ देश ने एक कोहीनूर खो दिया सर रटन टाटा को ना सिर्फ देश के लोग बल्कि दुनिया भर के लोग जानते हैं और एक नेक दिल इंसान मानते हैं उन्होंने कई करोड़ों रुपए देश के डेवलपमेंट के लिए और चैरिटी में दान कर दिया उनका मानना था कि हर देशवासी को देश की सेवा करनी चाहिए फिर वोह कैसे भी हो रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर साल 1927 को ब्रिटिश भारत बॉम्बे यानी कि वर्तमान के मुंबई शहर में एक पारसी परिवार में हुआ था आपको बता दें कि उनका जन्म आम बच्चों की तरह नहीं था यानी कहने का मतलब यह है कि उन्हें अपने माता-पिता दोनों का एक साथ प्यार नहीं मिला।
बहरहाल उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई से ही पूरा किया आगे चलकर साल 1959 में उन्होंने कर्नल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में बैचलर्स डिग्री हासिल की बिजनेस बैकग्राउंड से आने की वजह से उनका भी झुकाव बिजनेस की ओर ही रहा और इसकी शुरुआत उन्होंने 1970 में टाटा ग्रुप में मैनेजरियल पोजीशन लेकर किया यहीं से उनके बिजनेस करियर की शुरुआत हुई हालांकि अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अमेरिका में कुछ समय के लिए काम किया लेकिन साल 1962 में उन्होंने भारत लौटने और पारिवारिक कारोबार से जुड़ने का फैसला किया उन्होंने टाटा ग्रुप के साथ एक सामान्य कर्मचारी के रूप में अपने करियर की शुरुआत की जहां उन्होंने टाटा स्टील में जमशेदपुर में शॉप फ्लोर पर काम किया और यही वह समय था जब उन्होंने इंडियन इंडस्ट्री और वर्कफोर्स को गहराई से समझा आपको बता दें कि रतन टाटा का यह सफर आसान नहीं था ताता इस सील में काम करते हुए उन्होंने वर्कर्स की समस्याओं को नजदीक से देखा और कई बार खुद भी उन परिस्थितियों का सामना किया उनकी इस विनम्र शुरुआत ने ही उन्हें लीडरशिप क्वालिटीज को डेवलप करने में मदद की जिसने बाद में उन्हें एक सच्चा लीडर बनाया अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने कभी भी खुद को परिवार के विशेष अधिकारों का फायदा नहीं उठाने दिया और अपने परफॉर्मेंस से ही अपने लिए जगह बनाई।

वेल साल 1991 में जीआरडी टाटा ने टाटा संस के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया और रतन टाटा को ग्रुप का नया चेयरमैन बनाया गया यह समय टाटा ग्रुप के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण था क्योंकि 1990 के दशक की शुरुआत में भारत ने इकनॉमिक लिबरलाइजेशन की नीति अपनाई थी इसके साथ ही कई विदेशी कंपनियों ने इंडियन मार्केट में प्रवेश करना शुरू कर दिया था जिससे कंपटीशन काफी ज्यादा बढ़ गया था वहीं रतन टाटा के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती थी ग्रुप के कुछ सीनियर ऑफिसर्स ने उनके लीडरशिप पर संदेह व्यक्त किया क्योंकि वे कंपैरेटिव युवा और कम अनुभवी थे इसके अलावा टा ग्रुप के भीतर भी अलग-अलग कंपनियां बहुत इंडिपेंडेंटली ऑपरेट हो रही थी और ग्रुप के भीतर एक इंटीग्रेटेड अप्रोच की कमी थी खैर रतन टाटा ने इन चुनौतियों को अपने तरीके से निपटाया उन्होंने टाटा ग्रुप की क कंपनियों को इंटीग्रेट किया और एक मजबूत कॉर्पोरेट पहचान बनाने के लिए कदम उठाया उन्होंने सबसे पहले टाटा ग्रुप की स्ट्रक्चर में बदलाव किया और ग्रुप की उन कंपनियों को बंद या बेचने का साहसिक निर्णय लिया जो घाटे में चल रही थी या जिनका टाटा ग्रुप के कोर बिजनेसेस से कोई ताल्लुकात नहीं था।

इसके साथ ही उन्होंने कई नए क्षेत्रों में ग्रुप का विस्तार किया जिसमें इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी टेलीकॉम और कंज्यूमर गुड्स शामिल थे उन्होंने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस यानी टीसीएस और टा मोटर्स को ग्लोबल मार्केट में उतारा और उन्हें बड़ी सफलता मिली दोस्तों रतन टाटा की लीडरशिप में टाटा मोटर्स ने कई सफलताएं हासिल की लेकिन उनमें सबसे नोटेल है टाटा नन का लॉन्च टाटा नन का सपना रतन टाटा का था और यह सपना उन्होंने इंडियन मेडिकल क्लास के लिए साकार किया उनका उद्देश्य एक ऐसा सस्ता और रिलायबल व्हीकल बनाने का था जो हर आम आदमी की पहुंच में हो 2008 में टाटा न को लॉन्च किया गया और इसे दुनिया की सबसे सस्ती कार के रूप में प्रस्तुत किया गया गया हालांकि बाजार में इसे उतनी सफलता नहीं मिली जितनी उम्मीद थी लेकिन इस प्रोजेक्ट ने रतन टाटा के अप्रोच और सामाजिक जिम्मेदारी को प्रदर्शित किया इसके अलावा 2008 में ही रतन टाटा के लीडरशिप में टा मोटर्स ने jaguar.com केल व्यवसाय के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक सेवा के क्षेत्र में भी बड़ी सफलता हासिल की टाटा ग्रुप्स जिसका लीडरशिप रतन टाटा करते थे भारत के सबसे बड़े चैरिटेबल ऑर्गेनाइजेशंस में से एक है इसके माध्यम से उन्होंने एजुकेशन हेल्थ रूरल डेवलपमेंट साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया उन्होंने अपने व्यापारिक फैसलों में हमेशा एथिक्स और समाज कल्याण को प्रायोरिटी दी उदाहरण के लिए साल 2004 की सुनामी के बाद टाटा ग्रुप ने प्रभावित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर राहत कार्य किए इसी तरह 2611 के मुंबई हमलों के बाद टाटा ग्रुप ने ताज होटल के कर्मचारियों और पीड़ितों के परिवारों के लिए पुनर्वास के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए ।

बात करें उनकी निजी जिंदगी की तो वह आजीवन अनमैरिड रहे हालांकि वह चार बार शादी करने की दहलीज तक पहुंचे लेकिन डर और कई दूसरे कारणों की वजह से वह पीछे हट गए और फिर इसी तरह उन्होंने कभी शादी ही नहीं की जिस तरह लोगों और मीडिया के बीच वह अपने व्यवसायिक जीवन के लिए लाइमलाइट में रहे उसी तरह वे अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी काफी लाइमलाइट में रहे वैसे उनके निजी जीवन से जुड़ी कई दिलचस्प किस्से हैं जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते होंगे जी हां दरअसल उन्होंने शादी नहीं की उसके पीछे तो कई कारण हैं.

लेकिन हर बार किसी ना किसी कारण से वे शादी नहीं कर पाए उनका यह फैसला उनके जीवन का एक बड़ा हिस्सा रहा लेकिन उन्होंने इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया वे हमेशा अपने परिवार खासकर अपने भाई और दादी के बहुत करीब रहे दोस्तों आपको बता दें कि रतन टाटा की जिंदगी में उनके काम के साथ-साथ कुछ व्यक्तिगत घटनाएं भी रही हैं जिनमें से एक उनकी अधूरी प्रेम कहानी है जी हां उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि जब वे अमेरिका से पढ़ाई कर रहे थे तब उनकी जिंदगी में एक खास महिला आई थी वो और रतन टाटा एक दूसरे को बहुत पसंद करते थे और दोनों का रिश्ता इतना मजबूत था कि उन्होंने करने का फैसला कर लिया था।
यह घटना उस समय की है जब रतन टाटा कॉनल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे उन्होंने अमेरिका में कुछ समय तक नौकरी भी की थी और इसी दौरान उनकी मुलाकात एक अमेरिकी लड़की से हुई दोनों का प्यार इतना गहरा था कि रतन टाटा ने शादी के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी थी लेकिन तभी एक फैमिली इमरजेंसी के चलते रतन टाटा को भारत वापस लौटना पड़ा हालांकि वो लड़की भी उनके साथ भारत आने को तैयार थी लेकिन दुर्भाग्यवश इसी बीच भारत में 1962 का गया इस ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला और लड़की के परिवार ने उसे इस स्थिति में भारत आने की अनुमति नहीं दी इसके चलते उनकी शादी की योजना अधूरी रह गई और उनका रिश्ता वहीं खत्म हो गया वेल इसके बाद उन्होंने कभी भी शादी नहीं की हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि वे उस लड़की का हमेशा सम्मान करते रहे और उनके जीवन में वह एक बहुत खास स्थान रखती थी।
यह प्रेम कहानी रतन टाटा की जिंदगी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रही जो उनके सेंसिटिव और सच्चे दिल को दर्शाती है वैसे उनकी यह प्रेम कहानी अधूरी रह गई लेकिन इसे वे अपनी जिंदगी का एक सुंदर हिस्सा मानते हैं बात करें उनके माता-पिता की तो रतन टाटा के पिता का नाम नवल टाटा था जो जमशेद जी टाटा के परिवार से गोद लिए गए थे नवल टाटा एक फेमस इंडस्ट्रियलिस्ट थे और उन्होंने टाटा ग्रुप में अपनी अहम भूमिका निभाई थी रतन टाटा के जीवन पर उनके पिता का गहरा प्रभाव रहा जी हां नवल टाटा ने उन्हें अनुशासन विनम्रता और सेवा के मूल्यों को सिखाया जो आगे चलकर रतन टाटा के जीवन में उनके डिसीजन में झलके उनकी मां का नाम सोनू टाटा था हालांकि उनके माता-पिता का तलाक तब हो गया था।

जब रतन टाटा महज 10 साल के थे इस तलाक का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा बाद में उनकी और उनके भाई जिमी टाटा की परवरिश उनकी दादी नवाज बाई टाटा ने की है उनकी दादी ने भी उन्हें पारिवारिक मूल्यों समाज सेवा और अनुशासन के महत्व के बारे में सिखाया आपको बता दें कि उनके छोटे भाई जिमी टाटा का जीवन हमेशा मीडिया के निगाहों से दूर रहा और वे एक साधारण और निजी जीवन जीते हैं हालांकि रतन टाटा और जिमी टाटा के बीच गहरा संबंध था और वे एक दूसरे के बेहद करीब थे उनके सौतेले भाई का नाम नोएल टाटा है जो कि एक इंडियन आयरिश बिजनेसमैन हैं उनकी मां का नाम सिमोन टाटा है जो रतन टाटा की सौतेली मां थी।

दोस्तों रतन टाटा के दादा सर रतन जी टाटा टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेद जी टाटा के छोटे बेटे थे जमशेद जी टाटा को इंडियन इंडस्ट्री का पितामह कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारत में स्टील एनर्जी और एजुकेशन के क्षेत्र में कई पॉसिबिलिटीज की शुरुआत की थी टाटा पर परिवार का यह उत्तराधिकार रतन टाटा तक पहुंचा जिन्होंने अपने दादा और पूर्वजों की तरह टाटा ग्रुप की विरासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया दोस्तों वीडियो में आगे बढ़े तो सर रतन टाटा को उनके कामों के लिए कई बार पुरस्कारों से नवाजा गया है जिनमें पद्मभूषण और पद्म विभूषण पुरस्कार शामिल है जी हां उन्हें ये दोनों पुरस्कार भारत सरकार द्वारा साल 2000 और 2008 में दिए गए थे।
वैसे रतन टाटा को जानने वाले लोग कहते हैं कि वे एक बेहद साधारण और निजी इंसान थे वे महंगे कपड़े गाड़ियां या आलीशान जीवनशैली से दूर रहते थे उनका जीवन सादगी और सेवा से प्रेरित था उन्होंने हमेशा समाज के हित में काम किया और जरूरतमंदों की मदद की इससे पता चलता है कि वे ना सिर्फ एक सफल इंडस्ट्रियलिस्ट थे बल्कि एक सच्चे समाजसेवी भी थे उनकी सोच और समाज के प्रति उनकी कमिटमेंट ने उन्हें एक महान व्यक्ति के रूप में स्थापित किया उनका जीवन यह सिखाता है कि साद की ईमानदारी और सेवा के साथ भी सफलता पाई जा सकती है बहरहाल इस दुनिया में जो आया है उसे एक दिन जाना ही पड़ता है और और जिससे कोई अछूता नहीं है भरती उम्र के चलते आखिरकार मुंबई के ब्रिज कैंडी हॉस्पिटल में 9 अक्टूबर साल 2024 को 86 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया और वह दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह गए उनके जाने से देश का हर एक नागरिक काफी ज्यादा दुखी है।

लेकिन फिर बात वही आती है कि जो आया है उसे एक ना एक दिन जाना ही पड़ता है देश और दुनिया सर रतन टाटा के योगदान को हमेशा याद रखिएगा।