वह राजकुमारी है लेकिन उसने अपने महल में काम करने वाले नौकर से प्यार कर लिया अपने प्यार के लिए वह परिवार से भिड़ गई उसने राजा महाराजाओं की जगह एक मामूली इंसान से शादी कर ली वह भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता है लेकिन उसके महल पर बीजेपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कब्जा करने के लिए पुलिस फोर्स भेज दी राजकुमारी के महल को महारानी ने सील करा दिया तो मामला दिल्ली दरबार पहुंच गया।
जिसके बाद अमित शाह और राजनाथ सिंह को दखल देना पड़ा वह कंट्रोवर्सी क्वीन है और उसने ताजमहल पर दावा ठोक दिया वो खुद को राम का वंशज बताती है बकायदा उसने इसके सबूत भी दिखाए वो महारानी का विकल्प है चलिए आज आपको अनसुनी कहानियों में राजस्थान की पहली महिला डिप्टी सीएम दिया कुमारी की कहानियां सुनाते हैं मैं दिया कुमारी ईश्वर की शपथ लेती हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगी दिया कुमारी समय सुर्खियों में आ गई जब वह वसुंधरा राज्य से भिड़ गई उनके खिलाफ सड़कों पर उतर गई इना ही नहीं उनकी शिकायत अमित शाह और राजनाथ सिंह से कर दी।
तारीख थी 24 अगस्त 2016 राजस्थान की वसुंधरा राज्य सरकार ने बीजेपी की तत्कालीन विधायक और राजकुमारी दिया कुमारी की 12 बखा से ज्यादा बेशकीमती जमीन को सील कर दिया इस घटना के बाद राज परिवार और सरकार में ठन गई मौके पर बीजेपी विधायक दिया कुमारी और जयपुर विकास प्राधिकरण के आयुक्त शिखर अग्रवाल के बीच तीखी तकरार हो गई राज्य सरकार ने दि कुमारी के राजमहल पर कब्जा किया तो राजपूत समाज नाराज हो गया राज परिवार के समर्थन और वसुंधरा सरकार के खिलाफ राजपूत समाज के संगठन और अन्य संगठनों ने शक्ति प्रदर्शन किया 1 सितंबर 2016 को दिया कुमारी की मां पद्मिनी देवी की अगुवाई में बड़ी रैली निकालकर वसुंधरा रा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया।
जिसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई दी राजमहल पर वसुंधरा सरकार की कार्यवाही को लेकर दिया कुमारी दिल्ली पहुंच गई जहां उन्होंने तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और और तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह के सामने पूरी बात रखी बताया जाता है कि दिया कुमारी ने जमीन के कागजात राजनाथ सिंह को दिखाए और वसुंधरा सरकार की कार्यवाही की शिकायत की कहा जाता है कि दिया कुमारी ने राजनाथ सिंह को राजपूत वोट बैंक की चेतावनी भी दी थी हालांकि राजनाथ सिंह ने समाधान निकालने की बात कही और वसुंधरा राजेश से बात करने का आश्वासन दिया विवाद के बीच राजपूतों की बढ़ती नाराजगी से बीजेपी आला कमान चौकन्ना हो गया और मामले के समाधान में जुड़ गया पार्टी ने तत्कालीन सह संगठन मंत्री सौदान सिंह को विवाद सुलझाने की जिम्मेदारी सौंपी बाकायदा पार्टी ने एक कमेटी का गठन किया जिसमें गजेंद्र सिंह खीमसर राजेंद्र राठौड़ राजपाल सिंह शेखावत और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी को शामिल किया गया।
सौदान सिंह ने सबसे पहले दिया कुमारी को पार्टी कार्यालय बुलाया दिया कुमारी अपने पति नरेंद्र सिंह और वकील के साथ पहुंची तो सौदान सिंह ने वकील को कमरे से बाहर भेज दिया दो घंटे तक चली बैठक में दिया कुमारी ने सौदान सिंह के सामने अपना पक्ष रखा इसके बाद बाद अगली सुबह सौदान सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को तलब किया वसुंधरा राजे अशोक परनामी के साथ पहुंची करीब 6 घंटे की मैराथन बैठक के बाद राज्य सरकार का रुख नरम पड़ा और आखिरकार जयपुर विकास प्राधिकरण ने विवादित जमीन पर लगाई सील को हटा दिया।
खास बात यह है कि रविवार को छुट्टी के दिन दिया कुमारी की जमीन से सील हटाया गया था जिसके बाद राजकुमारी और महारानी के बीच विवाद थम गया खुद को भगवान राम का वंशज बताने वाली दिया कुमारी विश्व के सात अजूबों में से एक ताजमहल पर दावा ठोक चुकी हैं उनका दावा है कि ताजमहल के कागजात उनके पास मौजूद हैं बकौल दिया कुमारी जिस जमीन पर ताजमहल बना है वह मूल रूप से जयपुर के तत्कालीन शासक जयसिंह की थी जिस पर मुगल बादशाह शाहजा ने कब्जा कर लिया था लोगों को पता होना चाहिए कि वहां कमरे क्यों बंद हैं ताजमहल से पहले कुछ भी हो सकता था हो सकता है।
मंदिर रहा हो लोगों को यह जानने का अधिकार है कि मूल रूप से से मकबरे से पहले वहां क्या था जिस जयपुर राजघराने से दिया कुमारी का ताल्लुक है उसी राजघराने से मानसिंह का भी संबंध था जो अकबर के नवरत्नों में शामिल थे दिया कुमारी के पिता सवाई भवानी सिंह 24 जून 1970 से 28 दिसंबर 1971 तक जयपुर के महाराजा रहे दिया के पिता भवानी सिंह सेना में ब्रिगेडियर थे 1971 में उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था इसके अलावा वोह ब्रुनेई के राजदूत भी रहे 2011 में भवानी सिंह और पद्मिनी सिंह ने अपनी इकलौती संतान दिया कुमारी को अपना वारिस घोषित कर दिया बाद में 12 जुलाई 1998 को जन्मे दिया कुमारी के बेटे पदमनाभन सिंह को अपना वारिस घोषित कर दिया।
जिसके बाद 27 अप्रैल 2011 को जयपुर के महाराजा के तौर पर पद्मनाभन सिंह का राज तिलक हुआ राजघराने की राजकुमारी दिया कुमारी ने जब सियासत में कदम रखा तो बुलंदियों को छूती चली गई 10 सितंबर 2013 को नरेंद्र मोदी राजनाथ सिंह और वसुंधरा राजे की मौजूदगी में दिया कुमारी ने बीजेपी का कमल थाम लिया पार्टी ने 2013 के विधानसभा चुनाव में सवाई माधवपुर से टिकट दिया और जीत कर पहली बार दिया कुमारी विधायक बंद इसके बाद 2019 में राजस् मन से जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंची सांसद बनने के साथ ही पार्टी में उनका कद बढ़ता चला गया राजस्थान के सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी कि बीजेपी दिया कुमारी को वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर भी तैयार कर रही है।
इसकी बड़ी वजह यह रही कि 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें विद्यानगर सीट से टिकट दिया और चुनाव में बीजेपी को बहुमत मिला तो दिया कुमार को प्रदेश का डिप्टी सीएम बनाया गया दिया कुमारी सियासत में कंट्रोवर्सी क्वीन के नाम से भी जानी जाती हैं वह खुद को भगवान राम का वंशज होने का दावा कर चुकी हैं इसके अलावा ताजमहल पर भी दावा ठोक चुकी हैं दिया कुमारी का दावा है कि वो भगवान श्री राम की 310 वं पीढ़ी हैं खुद को भगवान राम का वंशज बताने वाली दिया कुमारी ने 2019 में मीडिया के सामने एक पत्रावली पेश की थी और दावा किया था कि वह भगवान राम की 310 वं पीढ़ी हैं।
दिया कुमारी का दावा है कि भगवान राम के बड़े बेटे कुश के नाम पर ख्यात क छवा यानी कुशवाहा वंश के वंशज हैं वंशावली में सवाई जयसिंह को 289 में और भवानी सिंह को 309 वें वंशज के रूप में दिखाया गया दिया कुमारी का दावा है कि जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह भगवान राम के बड़े बेटे कुछ के 289 वें वंशज थे सियासत में सुर्खियों में रहने वाली दिया कुमारी प्यार की पिछ पर भी खूब सुर्खियों में रही महज 18 साल की उम्र में दिया कुमारी ने अपने राजमहल में काम करने वाले नौकर को दिल दे बैठी दोनों के बीच मुलाकातों का दौर शुरू हो गया आखिरकार दिया ने चोरी छिपी उसे शादी कर द जब दिया कुमारी ने अपनी शादी के बारे में मां को बताया तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई क्योंकि मां अपनी राजकुमारी के लिए कोई राजकुमार चाहती थी।
लेकिन दिया ने तो नौकर से शादी रचा ली जयपुर के पूर्व महाराज सवाई भवानी सिंह और रानी पद्मिनी देवी की इकलौती संतान दिया कुमारी उस समय सुर्खियों में आई जब उन्होंने अपने महल में काम करने वाले एक कर्मचारी से गुपचुप तरीके से शादी कर ली बात 1994 की है इस शादी ने जयपुर और राजस्थानी नहीं बल्कि पूरे देश में सनसनी मचा दी दरअसल एसएमएस म्यूजियम ट्रस्ट के अकाउंट सेक्शन में नरेंद्र सिंह राजा बद काम किया करते थे महल में पहली बार उनकी मुलाकात राजकुमारी दिया कुमारी से हो गई।
उस समय दिया की उम्र महज 18 साल थी दिया कुमारी नरेंद्र से प्रभावित हो गई नरेंद्र से मुलाकात के बारे में दिया कुमारी का कहना है मेरे पति सीए थे अपनी पढ़ाई के सिलसिले में उन्होंने एसएमएस म्यूजियम ट्रस्ट के अकाउंट सेक्शन में जवाइन किया था हमारे अकाउंट डिपार्टमेंट में वह तीन महीने रहे उसके बाद उन्होंने ने अपना कंस्ट्रक्शन बिजनेस शुरू किया मेरे पेरेंट्स ने उन्हें बिजनेस शुरू करने के लिए कोई पैसा नहीं दिया था महल में हम पहली बार उनसे मिली थी मैं उनकी सहजता और ईमानदारी से बहुत प्रभावित थी हालांकि मुझे पहली नजर में उनसे प्यार नहीं हुआ था जब वह ट्रेनिंग खत्म करके चले गए तब मुझे लगा कि मैं उनसे बार-बार मिलूं जब भी नरेंद्र जयपुर आते तो हम कॉमन दोस्त के वहां मिलते थे मैं पेरेंट्स के साथ विदेश गई तो उन्हें मिस करने लगी मुझे एहसास हुआ कि हमारा रिश्ता दोस्ती से कहीं ज्यादा है मैंने इस बारे में मॉम से बात की तो उन्हें झटका लगा वह चाहती थी कि मेरी शादी किसी राज घराने में हो मां को पता चला तो दिया और नरेंद्र जयपुर से बाहर मिलने लगे दोनों की मुलाकातें अब दिल्ली के एक दोस्त के घर पर होने लगी यही वो दौर था जब परिवार वालों ने दिया कुमारी के लिए रिश्ता ढूंढना भी शुरू कर दिया था।
नरेंद्र के प्यार में गिरफ्तार दिया तमाम राज परिवार के लोगों से मिली इस दौरान दिया ने नरेंद्र से रिश्ता खत्म करने की कोशिश भी की दिया ने नरेंद्र से बात करना भी बंद कर दिया लेकिन इसका भी असर नहीं पड़ा क्योंकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था बकॉल दिया मेरे पेरेंट्स ने मुझे शादी के लिए लोगों से मिलाना शुरू कर दिया मैं कई शानदार लोगों से मिली लेकिन मेरी दिलचस्पी तो किसी और में थी मैं अपने पेरेंट्स की चिंता भी समझ रही थी मैंने नरेंद्र से रिश्ता खत्म करने की कोशिश भी की हमने बात करना भी बंद कर दिया इसका कोई असर नहीं पड़ा बल्कि प्यार और शादी की गहरी होती चली गई 18 साल की उम्र में नरेंद्र सिंह राजावत को दिल दे चुकी दिया कुमारी किसी भी कीमत पर नरेंद्र के साथ जीवन गुजारना चाहती थी।
इसके लिए वह परिवार से बगावत करने के लिए भी तैयार थी परिवार वाले राजघराने से रिश्ता ला रहे थे लेकिन दिया कुमारी ने परिवार से बगावत कर दी 6 साल नरेंद्र के प्यार में गिरफ्तार रहने वाली दिया कुमारी ने आखिरकार 1994 में आर्य समाज तरीके से शादी रचा ली अपनी शादी के बारे में दिया ने कहा हमने 1994 में आर्य समाज तर से शादी कर ली फिर शादी को कोर्ट में रजिस्टर कराया मैंने 2 साल तक अपने पेरेंट्स को नहीं बताया कि हमने शादी कर ली है फिर नवंबर 1996 में मैंने मां को बताया कि मैंने शादी कर ली है हालांकि नरेंद्र के परिजनों की प्रतिक्रिया भी पॉजिटिव नहीं रही थी बेटी दिया की शादी का खामियाजा उनके पिता भवानी सिंह को भुगतना पड़ा जब बेटी की शादी की वजह से उन्हें राजपूत महासभा के अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था
दरअसल भारतीय सेना में ब्रिगेडियर रहे भवानी सिंह राजपूत महासभा के अध्यक्ष थे लेकिन दिया कुमारी की शादी की वजह से राजपूत समाज नाराज हो गया दरअसल राजपूत समुदाय ने एक ही गोत्र होने की वजह से राजकुमारी दिया और नरेंद्र सिंह की शादी का विरोध किया था राजपूत समाज ने दिया कुमारी की शादी की वजह से उनसे दूरी बना ली हालांकि एक इंटरव्यू में उन्होंने शादी को निजी मुद्दा बताया था और कहा था कि वह समाज की धमकियों से डरने वाली नहीं है शादी के बाद दिया कुमारी नरेंद्र के साथ रहने लगी लेकिन बीतते वक्त के साथ दोनों में मनमुटाव शुरू हो गया विवाद की खबरें सामने आने लगी काफी समय तक दोनों एक दूसरे से अलग रहे हालांकि थोड़े वक्त बाद दिया और नरेंद्र ने एक साथ रहना शुरू कर दिया लेकिन बात नहीं बनी 2018 में दोनों ने तय किया कि अब हमेशा हमेशा के लिए एक दूसरे से अलग हो जाएंगे जयपुर के फैमिली कोर्ट में दोनों ने तलाक के लिए अर्जी दाखिल कर दी आखिरकार 2019 में कोर्ट ने दोनों की सहमति से तलाक दे दिया।
प्रिया कुमारी को सियासत भी विरासत में मिली उनकी दादी गायत्री देवी राज्य की राजनीति की सबसे ताकतवर नेता रहे उन्होंने देश के दो-दो प्रधानमंत्रियों से पंगा लिया था देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से भिड़ी तो उनकी बेटी इंदिरा गांधी से भी लोहा लिया था जिससे इंदिरा भड़क गई थी और उन्होंने उनके किले में सेना भेज दी थी वहीं जब प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने गायत्री देवी को कांग्रेस में शामिल करने का नेवता दिया तो उन्होंने इंकार कर दिया था बात 1967 की है जब गायत्री देवी इंदिरा गांधी से उलझ गई थी इंदिरा गांधी के साथ शांति निकेतन में पड़ चुकी गायत्री देवी के संसद में मौजूद की।
इंदिरा गांधी को बर्दाश्त नहीं थी हालांकि पहले कई बार इंदिरा गांधी गायत्री देवी को कांग्रेस में शामिल करने की कोशिश कर चुकी थी लेकिन गायत्री से हर बार उन्हें झटका ही मिला था इसकी वजह यह थी कि गायत्री देवी स्वतंत्र पार्टी की चमकता दमकता सितारा थी जिसे इंदिरा गांधी खुद के लिए चुनौती के तौर पर देख रही थी एक बार संसद में इंदिरा गांधी ने गायत्री देवी को कांच की गुड़िया कह दिया था दोनों के बीच तल्खी उस समय और बढ़ गई जब इंदिरा ने राजा महाराजाओं के प्रीवी पर्स खत्म कर दिए।
वहीं इमरजेंसी के दौरान गायत्री देवी को गिरफ्तार कर तिहार जेल में डाल दिया गया कहा जाता है कि इस दौरान इंदिरा के इशारे पर जयगढ़ किले में फौज भेजी गई जहां कुछ खजाने हाथ लगे हालांकि बाद में राजघराने ने कहा कि खुदाई में सोने चांदी के कुछ पुराने सिक्के मिले होंगे 1975 में इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया तो विपक्षी नेताओं को मीसा एक्ट के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा जाने लगा उस समय गायत्री देवी मुंबई में इलाज करा रही थी उन्हें बताया गया कि इलाज खत्म होने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
घबराया गायत्री देवी पहुंची और लोकसभा का नजारा देखा तो वे अवाक रह गए उन्होंने देखा कि विपक्ष के सीटें खाली हैं लोकसभा का नजारा देखने के बाद गायत्री देवी औरंगजेब स्थित अपने घर पहुंची आयकर विभाग के अधिकारी धमक उठे गायत्री देवी को अघोषित सोना और संपत्ति छुपाने का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया छ महीने उन्होंने जेल में बिताए जेल में उन्हें माउथ अलसर हो गया तीन हफ्ते बाद उन्हें इलाज के लिए परमिशन मिला बात 1962 की है राज्य में मोहनलाल सुखाड़िया कांग्रेस की सरकार चला रहे थे वहीं गायत्री देवी उन दिनों सी राजगोपालाचारी के स्वतंत्र पार्टी का हिस्सा थी और उन्होंने 1956 में 36 सीटों पर स्वतंत्र पार्टी को जीत दिलाई थी।
मोहन लाल ने गायत्री देवी को कांग्रेस में शामिल करने और लोकसभा चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव रखा लेकिन गायत्री देवी को 1956 का वह वाकया याद था जब उनके पति महाराजा सवाई मान सिंह को राजप्रमुख के पद से हटाकर अपमान किया गया था यही वजह थी कि कांग्रेस के लिए उनके मन में गुस्सा था स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर उन्होंने जयपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और कुल 246 वोटों में से 194000 वोट हासिल कर विश्व रिकॉर्ड बना दिया गायत्री देवी की लोकप्रियता और बवाग बयानों ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ा करना शुरू कर दिया 1962 में भारत चीन युद्ध को लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर भड़कते हुए कहा था अगर आपको किसी चीज के बारे में कुछ पता होता तो आज हम इस झंझट में नहीं पड़ते।
वहीं 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने गायत्री देवी को कांग्रेस में शामिल होने का आग्रह किया था लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया था दिया कुमारी एक बेटी और दो बेटों की मां है बड़ा बेटा पद्मनाभन और छोटा बेटा लक्ष्यराज सिंह है जबकि बेटी का नाम गौरवी सिंह है गौरवी ने अमेरिका के न्यूयॉर्क से मीडिया और कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया है उनकी खूबसूरती की खूब चर्चा होती रहती है instagram2 देवी गर्ल्स पब्लिक स्कूल से पढ़ाई करने के बाद लंदन चली गई जहां उन्होंने फाइन आर्ट्स डेकोरेटिव पेंटिंग में डिप्लोमा किया लंदन से लौटने के बाद उन्होंने जयपुर की एमटी यूनिवर्सिटी से फिलॉसफी में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की।
वहीं दिया कुमारी अपनी संपत्ति को लेकर भी चर्चा में रहती हैं कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि दिया कुमारी की संपत्ति 2.8 बिलियन डॉलर के आसपास है।