साल 1992 रतन टाटा इंडियन एयरलाइंस में दिल्ली से मुंबई तक सफर कर रहे थे यात्रा के बाद एयरलाइंस के कर्मचारियों के बीच एक सर्वे करवाया गया सर्वे में पूछा गया कि उड़ान के दौरान ऐसा कौन सा यात्री है जिसने आपको सबसे ज्यादा प्रभावित किया है सबसे ज्यादा वोट रतन टाटा को मिले वजह पता की गई तो कर्मचारियों ने बताया कि वह इकलौते ऐसे वीआईपी थे जो बिना सिक्योरिटी के अकेले ही चलते थे खुद अपना बैग उठाते थे किसी कर्मचारी से गलती होने पर भी वह कभी नाराज नहीं होते थे दिखावे से दूर रहने वाले उद्योग पती रतन टाटा के ऐसे तमाम किस्से पीढ़ियों तक याद रखे जाएंगे ऐसा ही एक किस्सा जुड़ा है।
रतन टाटा के दो सबसे करीबी रहे टंगो और टीटो से ये दोनों उनके जर्मन शेफर्ड और गोल्डन रिट्रीवर डॉग्स हैं जिन्हें वो बेइंतहा मोहब्बत करते थे पशुओं के लिए उनका प्रेम देश विदेश तक मशहूर था इसी वजह से इंग्लैंड के प्रिंस चार्ल्स रतन टाटा को सम्मानित करना चाहते थे इनके लिए साल 2018 में उन्होंने रतन टाटा को बकिंघम पैलेस आने का न्यौता भी दिया प्रिंस चार्ल्स ने ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट के तहत रतन टाटा को उनके सोशल वर्क के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड देने का फैसला किया था 6 फरवरी 2018 को ये समारोह होना था लेकिन रतन टाटा ने आखिरी समय पर इस समारोह में जाना कैंसिल कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उस वक्त रतन टाटा के पालतू डॉक्स टैंगो और टीटो में से एक बहुत बीमार था और वह उसे छोड़कर नहीं आना चाहते थे करीबियों ने रतन टाटा को समझाया कि समारोह प्रिंस चार्ल्स के साथ है तो उन्हें जाना चाहिए लेकिन टाटा अपने फैसले पर अडिग रहे और अपने डॉग्स को छोड़कर समारोह में नहीं गए रतन टाटा के जानवरों से प्रेम का यह इकलौता किस्सा नहीं है जो भी लोग टाटा को जानते हैं उन्हें पता है कि कि आखिरी समय तक उनका दिल डॉग्स के लिए धड़कता रहा।
हम जब भी किसी फाइव स्टार होटल में जाते हैं तो लगता है वहां सड़क का कोई जानवर तो दूर की बात एक मक्खी मच्छर भी नजर नहीं आना चाहिए लेकिन रतन टाटा के ताज होटल में ऐसा नहीं था जिन जानवर कुत्तों को लोग हीन भावना से देखते हैं वो अक्सर ताज होटल में टहलते हुए नजर आते थे डॉग्स से उनका प्यार इस हद तक था कि जब भी वो अपने दफ्तर बॉम्बे हाउस पहुंचते थे तो स्ट्रे डॉग्स उन्हें घेर लेते थे और उनके साथ लिफ्ट तक जाते थे इन डॉग्स को अक्सर बॉम्बे हाउस के लॉबी में टहलते देखा जाता था ये एक ऐसी जगह है जहां इंसान को भी एंट्री के लिए परमिशन लेनी पड़ती है लेकिन डॉग्स के लिए यहां के दरवाजे हमेशा खुले रहे अपने निधन से करीब 3 महीने पहले 26 जून 2024 को रतन टाटा ने अपने की डॉक की तबीयत खराब होने का जिक्र किया और उसके लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन की मांग की रतन टाटा की प्रोफाइल कभी किसी के लिए मदद मांगते तो कभी किसी को गोद में लेकर तस्वीर खिंचवाते पोस्टों से भरी हुई है ।
इतना ही नहीं अपने जीवन के आखिरी दिनों में भी रतन टाटा जानवरों से जुड़े अपने ड्रीम प्रोजेक्ट पर ही काम कर रहे थे इसका नाम है पेट प्रोजेक्ट इसमें मुंबई में पशुओं के इलाज के लिए एक पांच मंजिला अस्पताल बनाया गया है इस हॉस्पिटल में 200 से ज्यादा बेड और 24 घंटे सुविधाएं मिलने की बात कही गई साथ ही आईसीयू यूनिट सर्जिकल सर्विसेस फार्मेसी सर्विसेस डायग्नोस्टिक रेडियोलॉजी और इमेजिंग जैसी फैसिलिटी भी दी जाएंगी आखिर में बस इतना ही कि चाहे इंसान हो या जानवर रतन टाटा को उनकी सादगी और दयालु स्वभाव के लिए हर कोई याद करता