कहां तो कंगना रनौत भारत के किसानों को प्रधानमंत्री से वापस लिए गए तीन कानूनों की भीख मांगने की नैतिक शिक्षा दे रही थी और कहां ने एक फिल्म के लिए उनसे नाक रगड़ वा कर रख दिया नकली झांसी की रानी बनने के बाद नकली इंदिरा गांधी बनकर सोच रही थी कि वह इतिहास में अमर हो जाएंगी लेकिन जब पेमेंट के लाले पड़ गए तो की सीढ़ियों पर नाक रख दी कि जो भी करनाव करो लेकिन प्लीज फिल्म रिलीज करा दो।
जी हां कंगना रनौत अपनी फिल्म को रिलीज करवाने के लिए कितने भी कट लगाने को तैयार हो गई सोचिए एक फिल्म ने चार बार की नेशनल अवार्ड पद्मश्री माननीय सांसद की सारी हेकड़ी निकाल कर रख दी मामला यह है कि इमरजेंसी फिल्म पर पैसा लगाने वाली कंपनी जी इंटरटेनमेंट का करीब ₹ करोड़ फंस गया है और साथ में फंस गई है कंगना की कमाई वो भी फिल्म चली तब क्योंकि एक जमाना हो गया जब आखिरी बार मैडम की कोई फिल्म हिट हुई थी।
फ्लॉप फिल्मों की क्वीन बनकर रह गई है पदमश्री मैडम मेरा तो इतना लाइफ खराब हो गया है इतना लाइफ खराब हो गया मेरा इस लिस्ट की भी चर्चा करेंगे लेकिन पहले जरा कंगना की जिंदगी में आई इस की चर्चा कर लेते हैं कि जो कंगना कहती थी कि एक भी कट नहीं लगने दूंगी हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सब कर दूंगी लेकिन बिना कैची लगे फिल्म समूल फिल्म सिनेमा घरों में आएगी वही कंगना हाथ जोड़कर कह रही है कि 13 कट भी मंजूर है जिंदगी ने बहुत काट लिया है पार्टी साथ नहीं दे रही।
पॉलिटिक्स साथ नहीं दे रही पतरा साथ नहीं दे रहा वरना भाजपा सांसद की फिल्म अटका दे यह सोचना भी भारी लगता है ऊपर से हर बयान के बाद डांट पड़ रही अलग बोलने तक पर पाबंदी लगा दी भाजपा ने कि बकवास करने से अच्छा है बोलो मत सोचिए मोदी शाह को ही फसा दिया किसानों पर आए दिन सिर पकड़कर बैठी रहती थी पार्टी कि इस बार क्या बोल दिया पिछली बार तो हाथ जोड़कर सॉरी भी बोलना पड़ा था तब जाकर जान छूटी थी अब फिल्म जान के पीछे पड़ गई है।
हाल हाल तक कंगना बयान देती फिर रही थी कि इमरजेंसी में सेंसर बोर्ड ने जो कट्स लगाने की बात की है वह बेहद निराशाजनक है और अनुचित है मैं लडूंगी लेकिन जी इंटरटेनमेंट वालों ने बोल दिया कि हेलो मैडम आप होती कौन है लड़ने का फैसला करने वाली पैसा हमारा फंसा हुआ है हम अब और तमाशा नहीं चाहते ऊपर से सिख समुदाय ने कृपाण गाड़ दिया कि बहुत हुआ सम्मान फिल्म देंगे उखाड़ नतीजा झक मारकर कंगना को भी बोलना पड़ा कि ठीक है सम्मान और जिद गई तेल लेने।
फिल्म को डिब्बे में बंद करने से तो अच्छा है काटकूट कर रिलीज करो कुछ तो पैसा निकले फिल्म की प्रोडक्शन कंपनी जी एंटरटेनमेंट के वकील ने कोर्ट में बोल दिया कि हम राजी हैं मे लॉर्ड फिल्म रिलीज होने दी जाए देखिए कंगना ने इमरजेंसी फिल्म को डायरेक्ट भी किया निर्देशन भी किया यह फिल्म पहले 6 सितंबर को रिलीज होने वाली थी 14 अगस्त 204 को फिल्म का ट्रेलर आ गया इसके बाद तो बवाल मच गया शिरोमणि अकाली दल समेत तमाम सिख संगठनों ने कहा कि पूरे सिख समुदाय को गलत तरीके से पेश किया गया है इसको रिलीज तो छोड़ दीजिए।
करने की जरूरत बवाल बढ़ा तो सीबीएफसी ने सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट ही रोक लिया कंगना ने आओ देखा ना ताओ आरोप लगा दिया कि जानबूझकर उनकी फिल्म रोकी जा रही है मामला बम्बे हाई कोर्ट पहुंचा और एक महीने की कोर्ट कचहरी पंचाट में ही कंगना की समझ में आ गया कि वह बीजेपी की सिर्फ एक सांसद है सूचना प्रसारण मंत्री नहीं है देश की जो कि स्मृति रानी सास बहु का सीरियल करके बन गई थी और चार बार की नेशनल अवार्ड पदमश्री की फिल्म रिलीज नहीं हो रही है।
अब सीबीएफसी जो बदलाव चाहता है उसे लेकर प्रोडक्शन कंपनी की तरफ से एक प्रारूप पेश किया गया अब सीबीएफसी इस प्रारूप पर अपनी प्रतिक्रिया देगा और हाई कोर्ट उस पर विचार करेगा अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को तो जो कंगना फिल्म में एक कट के लिए भी तैयार नहीं थी वह इसकी चंदिया उड़ाने को कैसे तैयार हो गई तो इसका सबसे बड़ा जवाब है कंगना का खत्म होता।
फिल्मी करियर हाथ में पैसा नहीं है शुरू शुरू में लगाता था कि कंगना जानबूझकर फिल्म को लेकर विवाद को जो है वह आगे बढ़ा रही हैं क्योंकि यह फिल्म की पब्लिसिटी का सबसे आसान और सस्ता तरीका होता है बड़ी-बड़ी पीआर एजेंसियां विवाद खड़े करने के लिए मोटा पैसा वसूलते हैं पूरी प्लानिंग होती है कई संगठनों को लगाया जाता है राजनीतिक दल बीच में कूदते हैं नेताओं से संपर्क किया जाता है धरना प्रदर्शन होते हैं तब जाकर एक कारगर विवाद खड़ा होता है लेकिन कंगना के साथ हो गया उल्टा उन्हें लग रहा था कि विवाद का मजा आएगा लेकिन कुछ ही दिनों में उनकी समझ में आ गया कि यह तो सजा बन गया है नेगेटिव पब्लिसिटी के बाद छवि यह बनने लगी कि फिल्म में कुछ है नहीं कंगना सिर्फ विवाद के दम पर को हिट कराना चाहती है क्योंकि जैसा हमने शुरू में कहा कंगना फ्लॉप फिल्मों की क्वीन बन चुकी है।
2019 के बाद से ही वह एक अदद हिट फिल्म के लिए तरस रही हैं पहले मण कणिका सुपर फ्लॉप हुई फिर कट्टी बट्टी पिट गई इसके बाद 2022 में धाकड़ फ्लॉप हो गई जयललिता की जिंदगी पर थला भी बनी उस को लेकर इतनी लानत मलामत हुई कंगना की कि पूछिए मत फिर पंगा फ्लॉप इसके बाद 2023 में आई तेजस्वी सुपर फ्लॉप।
कंगना के साथ मुश्किल यह है कि वह 12वीं क्लास भी ठीक से पढ़ी नहीं है और अपने आप को दिखाना है कार्ल मार्क्स नतीजा पूरी फिल्मी दुनिया से झगड़ा कर लिया रितिक रोशन से लड़ लिया करण जौहर से लड़ लिया शाहरुख खान और आमिर खान से पंगा ले लिया चंकी पांडे से लड़ लिया और तो और जावेद अख्तर से लड़ लिया।
तो वह तो चार बार के नेशनल अवार्ड है पद्मश्री हैं लेकिन यह समझते समझते उन्हें बहुत देर लग गई कि बहुत बोलने से लोग आपको ज्यादा काबिल नहीं समझते बल्कि कई बार आपकी प्रचंड मूर्खता हों का गुब्बारा फट भी जाता है कंगना को लगता था कि ज्यादा भर भच करने से वह विद्रोही दिखेंगे लेकिन उनकी इस आदत ने उनके भीतर की जाहिल का विस्फोट कर डाला और इस विस्फोट से इतना कचरा निकला कि वैचारिक और कला की म्युनिसिपालिटी के ट्रकों ने इसे उठाने से इंकार कर दिया।
अब कंगना राणावत बैठकर हिसाब लगा रही है कि ज्यादा बड़ी किसकी थी इंदिरा गांधी ने जो लगाई वह या जो उन्होंने खुद अपनी जिंदगी में लगाई वो देखिए कंगना पहले विद्रोही थी फिर प्रखर हुई इसके बाद विस्फोटक और इस समय जहां वह खड़ी है उसको हास्यास्पद कहा जाता है।