वैसे तो बहुत से कलाकार फिल्मी जगत पर कुछ को प्रसिद्धि मिली कुछ को नहीं लेकिन अपने दम पर फिल्मी जगत में अपने नाम और कम का डंका बजाने वाले बहुत कम ही कलाकार रहे हैं आज हम जिस कलाकार की बात करने वाले हैं उनका जन्म तो एक प्रतिष्ठित कलाकारों के परिवार में हुआ लेकिन उसने अपने दम पर फिल्मों में अपनी एक अलग जगह बनाई और दर्शकों के बीच अपने दमदार अभिनय से लोकप्रियता हासिल की उसने अपने फिल्मी जीवन में बहुत उतार चढ़ाव देखें एक एक्टर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर के तौर पर उसने काफी प्रसिद्धि प्राप्त की।

लेकिन धीरे-धीरे फिल्मी जगत में धूमिल होता गया दोस्तों हम बात कर रहे हैं लव इन शिमला से मशहूर होने वाले अभिनेता जय मुखर्जी जी के बारे में अपने लंबे कद काठी और खूबसूरती की वजह से उन्हें अपनी पहली फिल्म में कम करने का मौका मिला हालांकि उन्होंने बतौर मुख्य अभिनेता अधिक फिल्मों में कम नहीं किया लेकिन फिर भी वो लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने में सफल दोस्तों आज हम आपको उनके प्रारंभिक जीवन कैरियर निजी जीवन और उनसे जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी से रूबरू कर पाएंगे और यह भी बताएंगे की क्यों वो इतने बड़े कलाकार होने के बावजूद आर्थिक तंगी से गुजरे अगर हम उनके प्रारंभिक जीवन की बात करें तो उनका जन्म 24 फरवरी 1949 को झांसी में एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ उन्होंने अपनी स्कूलिंग पढ़ देहरादून के करनाल ब्राउन कैंब्रिज स्कूल से पूरा किया और आगे की पढ़ सेंट ज़ेवियर कॉलेज से पूरा किया हालांकि वो पढ़ में इतने अच्छे नहीं द इसलिए उन्होंने सिर्फ बा तक की पढ़ की है।

एक कलाकारों के परिवार से आने की वजह से ही उन्हें अपनी पढ़ पुरी करने के तुरंत बाद फिल्मों में अभिनय करने का मौका मिल गया अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत उन्होंने साल 1960 में ही कर दी थी उनकी पहली फिल्म बतौर अभिनेता लव इन शिमला थी जिसमें उनके अपोजिट साधना नजर आई मिलने की कहानी भी शिमला की पटकथा और संवाद लिखा था दोनों इस बात पर चर्चा कर रहे थे शिमला में मुख्य भूमिका कौन निभाएगा।

जॉय के पिता शशि कपूर को अभिनय के लिए लेने के इच्छुक द लेकिन रहा जाने की नजरों के बेटे जॉय पर थी जो बॉम्बे विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ पुरी कर घर आया था खूबसूरती और अच्छे कद काठी के चाय की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा यह लो यह रहा तुम्हारा हीरो आगे जाने की बातों पर उनके पिता को विश्वास नहीं हुआ और पूछा की क्या मेरा बेटा अभिनय कर लेगा अगर हान तो आपको उसे अभिनय की शिक्षा देनी होगी राजा जानी ने हान किया और बात बन गई उसे समय बॉलीवुड को एक नया हीरो मिला और इस प्रकार आर के नय्यर द्वारा निर्देशित फिल्म लव इन शिमला में जॉय को एक्टिंग करने का मौका मिला उनकी पहली ही फिल्म हिट साबित हुई और वह दर्शकों के बीच छा उसके बाद उन्हें फिल्म मिलना शुरू हो गई उसी साल 1960 में उन्होंने अपने कैरियर की दूसरी फिल्म हम हिंदुस्तानी में सत्येंद्र नाथ की भूमिका निभाई वो फिल्म भी हिट गई।

उसमें उन्होंने आशा पारेख के साथ मिलकर शानदार अभिनय किया था लोगों द्वारा उसे फिल्म को बहुत पसंद किया था साल 1962 में उन्होंने बैक तू बैक तो फिल्मों में अभी नहीं किया पहले फिल्म का शीर्षक उम्मीद था जिसमें उन्होंने शंकर की भूमिका निभाई थी और दूसरी फिल्म एक मुसाफिर एक हसीना था जिसमें वो अजय के किरदार में नजर आए द वो दोनों फिल्में उनके कैरियर की तीसरी और चौथी फिल्में रही उन्होंने आशा पारेख जैसी मशहूर अभिनेत्री के साथ साल 1963 में फिर वही दिल लाया हूं चालू 1964 में जिद्दी और साल 1966 में लव इन टोक्यो जैसी हिट फिल्मों में अभिनय किया दूसरी फिल्म थी धीरे-धीरे दर्शकों के बीच वॉर भी ज्यादा लोकप्रिय हो गए साल 1968 में उन्होंने खुद से एक फिल्म को प्रोड्यूस और डायरेक्ट किया जिसमें वो खुद को डबल रोल की किरदार में पेश किए उसे फिल्म का नाम था हम साया और उसमें उन्होंने श्याम और की भूमिका निभाई लेकिन वो फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पुरी तरह पेटी और निर्माता या निर्देशक के तौर पर उनकी बाद में आने वाली फिल्में भी सफल नहीं रही आर्थिक तौर पर वो कमजोर होते गए।
साल 1999 में उन्होंने एक पंजाबी फिल्म में अभी नहीं किया जिसका शीर्षक था दुपट्टा लेकिन वो फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई उन्होंने अपने दमदार एबिन से दर्शकों के बीच बहुत लोकप्रियता बटोरी थी लेकिन समय के साथ-साथ वो धीरे-धीरे अपने लोकप्रियता को खोटे गए फिल्मी जगत में राजेश खन्ना धर्मेंद्र और जितेंद्र जैसे अन्य अभिनेताओं के ubhne से उनकी छवि धूमिल हो गई फिल्मों में अपनी गिरती लोकप्रियता के चलते वह सिर्फ चुनिंदा फिल्मों में ही नजर आने लगे या यूं कहें की उन्हें फिल्मों में बतौर मुख्य अभिनेता का मिलना बंद हो गया और उनकी खुद से निर्मित और निर्देशित फिल्में भी नहीं चली उसके बाद उन्होंने कुछ फिल्मों में बतौर सहायक अभिनेता के तौर पर कम किया।

जैसे निरीक्षक मुजरिम पुरस्कार कहीं और कहीं पर एक बार मुस्कुरा दो हवन फूलन देवी जैसे अन्य फिल्में शामिल है एक बार मुस्कुरा दो उनके घरेलू प्रोडक्शन की फिल्म थी दरअसल जब उन्हें बतौर अभिनेता निर्देशक और निर्माता के रूप में कोई सफलता नहीं मिली तब उन्होंने अपने भाई देव मुखर्जी और भाभी तनुजा मुखर्जी के साथ मिलकर अपने घरेलू प्रोडक्शन से साल 1972 में एक बार मुस्कुरा दो फिल्म रिलीज किया हालांकि वो फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही लेकिन उसके बावजूद थी वो दृश्य पत्ते धूमिल होते चले गए द उसका जिक्र हम आगे करेंगे लेकिन उससे पहले आपको बता दें की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद उन्होंने एक और फिल्म बनाई जिसका शीर्षक था छैला बाबू सालों 1977 में आई उसे फिल्म में उन्होंने मशहूर अभिनेता राजेश खन्ना को निर्देशित किया था बॉक्स ऑफिस पर उसे फिल्म ने एक बड़ी सफलता हासिल की दर्शकों द्वारा उसे फिल्म को बहुत लोकप्रियता मिली उसे फिल्म की सफलता ने उनकी दिवालियापन की समस्याओं को हाल कर दिया उसके बाद साल 1985 में अभिनेता राजेश खन्ना ने उन्हें अपनी फिल्में इंसाफ मैं करूंगा मैं एक विलन के रूप में भूमिका निभाना का मौका दिया।

वो फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर सफल रही और जॉय मुखर्जी की वो आखिरी फिल्म थी उसके बाद उन्हें किसी भी फिल्म में सफलता हासिल नहीं हुई उन्होंने साल 2009 में ए दिल ईडन टीवी सीरियल में भी नहीं किया है लव इन के सीरीज की तीसरी फिल्म लव इन बॉम्बे उनके लिए बहुत गहरी आर्थिक परेशानियों लेकर आई उसे फिल्म को बनाने में उन्होंने बहुत पैसा खर्च किया और दिवालिया हो गए आर्थिक तंगी और कुछ विशेष कर्म की वजह से वह फिल्म रिलीज नहीं हो साकी लेकिन आपको बता दे की उनकी पत्नी ने उसे फिल्म को साल 2013 में रिलीज किया था उसे समय उन्होंने खुलासा किया था की अपने पति द्वारा निर्मित फिल्म लव इन मुंबई अब्बू 40 साल बाद रिलीज कर हैं।
उन्होंने कहा था की सब कुछ कोने के बावजूद यह फिल्म उनके बहुत करीब रही उन्होंने इस फिल्म में अपना सब कुछ खो दिया और अपनी प्रमुख संपत्तियों को डुबो दिया उनके खिलाफ diwaliyan होने के करीब 37 मामले द लेकिन उन्होंने सब कुछ क्लियर करके एक नए सिरे से शुरुआत की उन्होंने कहा की सालों 1973 में फिल्म लविंग सीरीज की यह तीसरी भाग थी जो 1960 ब्लॉकबस्टर हिट लव इन शिमला और गोल्डन जुबिली हिट लव इन टोक्यो के साथ शुरू हुई थी अगर हम उनके निजी जीवन की बात करें तो ज्वाइन मुखर्जी शादीशुदा द उनकी पत्नी का नाम नीलम मुखर्जी है उनके तीन बच्चे हैं जिसमें से दो बेटे और एक बेटी है उनके बेटे का नाम मोजे है जो की एक एक्टर है और सुजॉय मुखर्जी है और उनकी बेटी का नाम सिमरन है उनके पिता का नाम shashdhar मुखर्जी है वह एक सफल फिल्म निर्माता और फिल्मीस्तान स्टूडियो के सह संस्थापक द उनकी माता का नाम टाटी देवी है जो की अशोक कुमार और किशोर कुमार की बहन थी के भाइयों की बात करें तो के सोमो मुखर्जी जो पेशे से एक डायरेक्टर द देव मुखर्जी यूपीपीएससी एक एक्टर है सब्बीर मुखर्जी जो एक प्रोड्यूसर हैं और रोनो मुखर्जी जो एक डायरेक्टर है चोमू की शादी अभिनेत्री तनुजा से हुई है।
इनकी दो बेटियां हैं जिनके नाम काजोल और तनीषा है निर्देशक सुबोध मुखर्जी उनके चाचा द मशहूर अभिनेत्री रानी मुखर्जी उनकी भतीजी और ब्रह्मास्त्र फिल्म के निर्देशक आयन मुखर्जी उनके भतीजे हैं दोस्तों जो है मुखर्जी लंबें अंतराल से एक बीमारी के शिकार द जिसके चलते अपने 73वें जन्मदिन के करीब 2 हफ्ते बाद 9 मार्च साल 2012 को मुंबई के लीलावती अस्पताल में उनका निधन हो गया और वो दुनिया को अलविदा का गए लेकिन उन्होंने अपने दमदार अभिनय से सभी को प्रभावित किया आज भी लोग उनके दमदार अभिनय के वजह से उन्हें याद करते हैं फिल्मी जगत में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए वह हमेशा याद किए जाएंगे।