बचपन में भारत को आजादी दिलाने की ललक, जब रतन ने अंग्रेजों की गाड़ियों में डाल दिया शक्कर।

भारत के दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के मानत चेयरमैन रतन टाटा का निधन बुधवार शाम को मुंबई के ब्रिज कैंडी अस्पताल में हो गया उनका जीवन ना केवल व्यवसाय में सफलताओं से भरा था बल्कि उन्होंने अपने देश के प्रति अपनी निष्ठा और योगदान से भी लोगों के दिलों में खास जगह बनाई रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था उस समय भारत ब्रिटिश हुकूमत के अधीन था।

हालांकि रतन टाटा की छोटी उम्र थी लेकिन उनके बाल मन में ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह की भावना भरी थी उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि कैसे उन्होंने बचपन में ही ब्रिटिश अधिकारियों की गाड़ियों में शक्कर डालकर अपना विरोध दर्ज कराया उनका घर आजाद मैदान के सामने था।

जहां वह मैदान में होने वाली बैठकों और रैलियों को देखा करते थे रतन टाटा ने बताया कि वे कई बार और चार्ज के दृश्य भी देख चुके हैं उस समय के दौरान उन्होंने ब्रिटिश सांसदों की कारों और मोटरसाइकिल की टंकियों में शक्कर डालने की घटनाओं का उल्लेख किया जिससे वह गाड़ियों की मशीनरी को नुकसान पहुंचाते थे उन्होंने कहा मैं भारत को जीतते हुए देखना चाहता था टैंक में शक्कर डालने से मशीन में खराबी आ जाती है क्योंकि यह फ्यूल फिल्टर को जाम कर देती है जिससे की सप्लाई रुक जाती है रतन टाटा के परिवार का ब्रिटिश हुकूमत के साथ भी घनिष्ट संबंध था उनकी दादी नवाज बाई टाटा का ब्रिटिश रॉयल परिवार से करीबी रिश्ता था और वह क्वीन मैरी और किंग जॉर्ज पंचम के साथ उठते बैठते थे।

रतन टाटा का पालन पोषण नवल टाटा और सुनी कामसरी एटी के पुत्र के रूप में हुआ जब वह केवल 10 वर्ष के थे तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया उनकी दादी ने उन्हें गोद लिया और उनके साथ उनके सौतेले भाई नोएल टाटा का भी पालन पोषण हुआ रतन टाटा का जीवन एक प्रेरणा था।

उन्होंने ना केवल उद्योग में बल्कि सामाजिक उत्थान में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया उनका निधन केवल एक महान उद्योगपति का नहीं बल्कि एक ऐसे इंसान का है जिसने सादगी और परोपकार की मिशाल पेश की उनकी यादें और योगदान हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे रतन टाटा को सच्ची श्रद्धांजलि ।

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