भारतीय उद्योग जगत के सबसे बड़े सितारों में से एक नाम है रतन टाटा का रतन टाटा बेशक आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उन्होंने कंपनी को जिस ऊंचाइयों तक पहुंचाया उसे आज पूरी दुनिया देख रही है रतन टाटा बेशक अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं लेकिन उन्होंने कई ऐसे फैसले किए जो सुर्खियों में रहे रतन टाटा को जब कंपनी की सबसे बड़ी पोजिशन मिली तो 2 साल तक व कुर्सी पर ही नहीं बैठे यही नहीं।
इसके अलावा कई लोगों को कंपनी से हटाने का फैसला भी विवादों में घिरा रहा एक इंटरव्यू में रतन टाटा ने बताया कि उन्होंने 1962 में टाटा ग्रुप में काम करना शुरू कर दिया था लंबे समय तक अलग-अलग पोजीशन पे वह काम करते रहे कंपनी की कमान जेआरडी टाटा के हाथों में थी कंपनी के तीन लोग जेआरडी टाटा के काफी नजदीक माने जाते थे यह तीन थे रूसी मोदी दरबारी सेठ और अजीत खेलकर रतन टाटा ने बताया कि उन्हें लगता था कि इन्हीं तीनों में से किसी के एक के हाथ में कंपनी की कमान आएगी इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि एक बार एक कार्यक्रम के लिए वो जमशेदपुर गए थे वहां से जर्मनी जाना था।
जब लौटे तो पता चला कि जेआरडी टाटा बीमार है और ब्रिज कैंडी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है रतन टाटा ने बताया कि वह रोज जेआरडी टाटा से मिलने के लिए जाने लगे एक दिन जेआरडी टाटा ने कहा कि चलो सोमवार को तुम ऑफिस में मिलने आओ वहां से डिस्चार्ज होने के बाद जेआरडी टाटा ने उन्हें ऑफिस में मिलने के लिए बुलाया रतन टाटा सोमवार को ऑफिस पहुंचे तो जेआरडी टाटा ने पूछा बताओ नया क्या है रतन टा टा अक्सर इस सवाल का एक ही जवाब देते थे कि पिछली बार जब आपसे मिला था तब से लेकर अब तक बताने के लिए कुछ खास नया नहीं है इस बार भी वैसा ही जवाब दिया इस पर जेआरडी टाटा ने कहा कि तुम्हारे पास नया नहीं है।
लेकिन मेरे पास बताने के लिए नया है जेआरडी टाटा ने कहा कि बीमारी के बाद अब मैं सोच रहा हूं कि इस्तीफा दे दूं और मैंने फैसला किया है कि मेरी पोजीशन तुम संभालोगे रतन टाटा 1962 से ही टाटा समूह का हिस्सा थे लेकिन यह बात सुनने के बाद वह आश्चर्य में पड़ गए रतन टाटा ने कहा कि अलग-अलग समय मैं अलग-अलग पोजीशन पर काम करता रहा लेकिन हमेशा मुझे लगता था कि अलग-अलग लोग जेआरडी की पसंद है मुझे उन लोगों से कोई दिक्कत भी नहीं थी मैं मानता था कि उन्हीं तीनों में से कोई एक जेआरडी की पोजीशन संभालेगा लेकिन जेआरडी ने एकदम नई बात कही रतन टाटा ने यह भी बताया कि एक बार जेआरडी टाटा से बातचीत में उन्होंने कहा था कि आप अलग-अलग लोगों को अधिकार मत देना किसी एक ही व्यक्ति को सारी शक्तियां देना।
यह बात ही जेआरडी को पसंद आ गई और जेआरडी ने रतन टाटा को ही उत्तराधिकारी बनाने का फैसला कर लिया और सारी शक्तियां सौंपने का फैसला कर लिया जब जेआरडी ने रतन टाटा को चेयरमैनशिप सौंपने का प्रस्ताव रखा उसके बाद दोनों लोग ऑफिस पहुंचे जेआरडी ने ऑफिस में घुसते ही अपने सेक्रेटरी से कहा कि हमें यहां की सारी व्यवस्थाएं हटानी होंगी अब रतन टाटा को यहां बैठने के लिए हमें ऑफिस खाली करना होगा हालांकि यह बात सुनते ही रतन टाटा रुक गए वह ऐसा बिल्कुल नहीं चाहते थे रतन टाटा ने कहा कि नहीं यह ऑफिस आपका ही है आप ही यहां बैठोगे जडी ने पूछा कि चेयरमैन का ऑफिस यह है तुम कहां बैठोगे चेयरमैन अब तुम हो तो रतन टाटा ने कहा कि मेरा ऑफिस नीचे है।
मैं वहीं बैठ के सारे काम संभाल लूंगा इसके बाद 2 साल तक रतन टाटा जेआरडी के ऑफिस में नहीं बैठे 2 साल बाद जेआरडी का स्विट्जरलैंड के जेनेवा में निधन हो गया कुर्सी के अलावा लोगों को हटाने के फैसले भी विवादों में रहे रतन टाटा ने कंपनी की टॉप पोजीशन संभालते ही जेआरडी के तीन नजदीकी लोगों रूसी मोदी दरबारी सेठ और अजीत केलकर को कंपनी से हटाने का फैसला कर लिया इस पीछे वजह यह बताई जाती है कि तीनों ही लोग रतन टाटा की लीडरशिप को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे यह लोग अपने पुराने ढर्रे से काम कर रहे थे जबक रतन टाटा नए तौर तरीकों से काम करना चाहते थे इसके अलावा सायरस मिस्त्री से विवाद भी काफी चर्चा में रहा साल 2012 में रतन टाटा चेयरमैनशिप से रिटायर हो गए और टॉप पोजीशन सायरस मिस्त्री को सौंप दी 4 साल तक सायरस मिस्त्री इस पोजीशन पर रहे सारस मिस्त्री ने कई ऐसे फैसले लिए जो लोगों को हजम नहीं हो रहे थे।
ग्रुप के कर्ज को करने और नई दिशा में काम करने के लिए उन्होंने कई बड़े फैसले लिए यहां से विवाद पैदा हुआ 2016 में बोर्ड रूम में यह फैसला किया गया कि सायरस मिस्त्री को उनके पद से हटाया जाएगा यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक में चला गया 5 साल तक सुप्रीम कोर्ट में केस चला सुप्रीम कोर्ट ने सायरस मिस्त्री के खिलाफ फैसला दिया।