बिकने की कगार पर पहुंची बिस्लरी कंपनी को इस लड़की ने संभाला,अब कमा रही है खूब नाम।

भारत में पैक्ड पानी के बाजार पर 55 साल से राज कर रही बिसलेरी की कमान अब 44 साल की जयंती चौहान के हाथ में है। भारत के 32 फीसदी मिनरल वाटर मार्केट पर बिसलेरी इंटरनेशनल का कब्जा है। देशभर में 122 प्लांट और 4500 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं।कंपनी का बिजनेस दुबई और अबु धाबी में भी है। कंपनी की ब्रांड वैल्यू 7000 करोड़ रुपए से अधिक है। 2022-23 में बिसलेरी इंटरनेशनल का रेवेन्यू 2300 करोड़ रुपए से अधिक रहा है।

जयंती चौहान बोतल बंद पानी के क्षेत्र में टॉप ब्रांड बिसलेरी को लीड कर रही हैं। उन्होंने बिसलेरी के साथ ही अपनी कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए कई प्रीमियम सेगमेंट में वेदिका जैसे नए प्रोडक्ट भी लॉन्च किए हैं। जयंती ने बिसलेरी की कमान उस वक्त संभाली, जब कंपनी बिकने के कगार पर पहुंच गई थी।जयंती जब 24 साल की थीं तभी से अपने पिता के साथ बराबरी से कंपनी का काम देख रही हैं। बिसलेरी के पॉपुलर होने और उसे शिखर तक पहुंचाने में जयंती का अहम रोल है। उन्हीं की वजह से इस कंपनी का ऑफिस मुंबई में खुला और आज ये कंपनी पानी के अलावा फिजी फ्रूट ड्रिंक्स जैसे प्रोडक्ट्स बनाती है।करीब चार साल पहले जयंती का बिजनेस में इंटरेस्ट कम होने लगा। तब जयंती के पिता रमेश चौहान ने इसे टाटा ग्रुप को बेचने का फैसला किया। डील 7000 करोड़ रुपए में होनी थी। हालांकि आखिरी दौर की बातचीत से पहले डील कैंसिल हो गई।

जयंती ने 24 साल की उम्र में अपने पिता के साथ बिसलेरी के दिल्ली ऑफिस में कामकाज करना शुरू किया था। अपने शुरुआती महीनों में जयंती ने बिसलेरी प्लांट के रेनोवेशन और ऑटोमेशन प्रोसेस पर फोकस किया। उन्होंने कंपनी के HR के अलावा सेल्स और मार्केटिंग टीम में भी कई बदलाव किए। साल 2011 में जयंती दिल्ली से मुंबई शिफ्ट हो गईं थीं।

जयंती का जन्म 1985 में दिल्ली में हुआ। वे अपने पिता की इकलौती बेटी हैं। पिता रमेश चौहान के पिता का नाम भी जयंती था। उन्होंने यही नाम अपनी बेटी का रखा। जयंती चौहान ने अपना बचपन दिल्ली, मुंबई और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में बिताया। हाईस्कूल करने के बाद उन्होंने लॉस एंजिलिस के फैशन इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन एंड मर्चेंडाइजिंग (FIDM) से प्रोडक्ट डेवलपमेंट की पढ़ाई की।

जयंती ने लंदन कॉलेज ऑफ फैशन से फैशन स्टाइलिंग और फोटोग्राफी की भी पढ़ाई की है। उन्होंने कई प्रमुख फैशन हाउस में इंटर्न के तौर पर काम भी किया है।

बिसलेरी की स्थापना इटली के साइनॉर फेलिस बिसलेरी ने की थी। सन 1966 में इटली के नोसेरा उम्ब्रा में उनके नाम से जन्मा ब्रांडेड पानी बेचने का फॉर्मूला भी हमारे देश में सबसे पहले फेलिस बिसलेरी ही लाए थे। इधर, भारत में साल 1961 में चार चौहान भाइयों के पारले समूह का बंटवारा हुआ। चार भाइयों में एक, जयंतीलाल चौहान के हिस्से में आया पारिवारिक समूह का सॉफ्ट ड्रिंक कारोबार। इस समय पारले ग्रुप रिमझिम, किस्मत और पारले कोला ब्रांड नाम से सॉफ्ट ड्रिंक भी बना रहा था।

सॉफ्ट ड्रिंक के इस कारोबार को चलाना एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि यह वह दौर था जब देशवासियों के पास दो वक्त का खाना भी नहीं था।जयंतीलाल के तीन बेटे मधुकर, रमेश और प्रकाश में से रमेश चौहान ने अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग व बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की थी। पुश्तैनी कारोबार से जुड़ते ही रमेश चौहान ने निर्णय लिया कि उन्हें सॉफ्ट ड्रिंक में ज्यादा वैराइटी के साथ सोडा भी लॉन्च करना चाहिए। संयोग से उस समय देश में इटली की कंपनी बिसलेरी लिमिटेड सम्पन्न वर्ग के लिए कांच की बोतल में मिनरल वाटर बेच रही थी।

1969 में रमेश चौहान ने बिसलेरी को इटली के एक बिजनेसमैन से इस मकसद से 4 लाख रुपए में खरीद लिया कि इस ब्रांड को वे सोडा ब्रांड में तब्दील करेंगे। बिसलेरी के तब देशभर में मात्र 5 स्टोर थे, एक कोलकाता में और 4 मुंबई में। रमेश चौहान ने बिसलेरी सोडा लॉन्च किया, पर बिसलेरी के बोतलबंद पानी वाले दो ब्रांड ‘बबली’ और ‘स्टिल’ को बंद नहीं किया। पारले समूह ने कई साल तक सोडा और पानी दोनों बिसलेरी ब्रांड के नाम से बेचा। इसके अलावा रमेश चौहान ने लिम्का, थम्स अप, माजा, गोल्ड स्पॉट जैसे सॉफ्ट ड्रिंक भी लॉन्च किए।

1985 के दौरान पीईटी/पेट यानी प्लास्टिक मटेरियल ने इस उद्योग को बदल डाला। यह हल्का, मजबूत और रीसाइकल किया जा सकने वाला ऐसा पैकेजिंग मटीरियल था, जिसे किसी भी आकार में ढाला जा सकता था। पैकेजिंग की समस्या हल हुई तो दाम कम हुए। इसी दौरान आर्थिक उदारीकरण का दौर आया और देश के बाजार दुनिया के लिए खुल गए।

भारत में आर्थिक सुधार के बाद बाजार का विकास और अच्छा मुनाफा देखते हुए अमूमन उन दिनों हर तीसरे महीने एक नया ब्रांड लॉन्च होने लगा तो एक बड़े रणनीतिक फैसले के तहत रमेश चौहान ने सॉफ्ट ड्रिंक कारोबार अमेरिका की दिग्गज कंपनी कोका-कोला को बेच कर अपना ध्यान पानी बेचने पर लगा दिया। उन्होंने बिसलेरी ब्रांड का प्रमोशन इतनी चतुराई से किया कि यह शुद्ध जल का पर्याय बन गया। इसी दौर में बिसलेरी की सफलता से प्रेरित कई नए ब्रांड शुद्ध पानी के दावे के साथ बाजार में कूदे तो नब्बे के दशक में बिसलेरी को भी ‘प्योर एंड सेफ’ सूत्र वाक्य का सहारा लेना पड़ा।

साल 2000 की शुरुआत में पेप्सी, कोका कोला और नेस्ले जैसी कंपनियों ने बिसलेरी के एकाधिकार में सेंध लगाई। इसके साथ बोतलबंद पानी का बाजार भी प्रीमियम, पॉपुलर और बल्क सेग्मेंट्स में बंट गया। जहां पॉपुलर सेग्मेंट में बिसलेरी, बेली, एक्वाफीना और किनले, तो प्रीमियम सेग्मेंट पर डैनॉन इवियन, नेस्ले पेरियर और सान पेलाग्रिनो काबिज हुए। इसी प्रकार पांच, दस और बीस लीटर के पैक वाले बल्क सेग्मेंट में बिसलेरी, एक्वाफिना और किनले अगुआ ब्रांड बने।

बिसलेरी की विदेशी से भारतीय कंपनी बनने की कहानी काफी दिलचस्प है। बिसलेरी कंपनी को इटली में साइनॉर फेलिस बिसलेरी ने शुरू किया। तब कंपनी को अल्कोहल रेमिडी बनाने के इरादे से डेवलप किया गया। फेलिस के फैमिली डॉक्टर सेसरी रॉसी उनके करीबी दोस्त थे। फेलिस की 1921 में मौत के बाद रॉसी बिसलेरी के मालिक बने।पेशे से डॉक्टर रॉसी इटली से बाहर कुछ अलग करना चाहते थे। उन्होंने भारत में मिनरल वाटर ब्रांड शुरू करने का सोचा। इसके लिए उन्होंने अपने भारतीय दोस्त और वकील खुशरू सुंतुक से बात की और वे तैयार हो गए। इसके बाद वे भारत आ गए और 1965 में मुंबई के ठाणे में बिसलेरी का पहला प्लांट शुरू हुआ।

बिसलेरी ने शुरुआत में पानी की बोतल की कीमत 1 रुपए रखी। चैलेंज ये था कि उस समय आम लोगों को मामूली जरूरतों को पूरा करने में दिक्कत आ रही थी। ऐसे में 1 रुपए की पानी की बोतल बेचना आज साफ हवा को पैकेट में भरकर बेचने जैसा था। पानी बेचने के इस आइडिया पर कंपनी के मालिकों को पागल कहा जाने लगा।

शुरुआत के बाद लगभग 4 साल डिमांड सिर्फ अमीर तबके के लोगों और कुछ 5 स्टार होटल्स में ही रही। 1969 में बिसलेरी को पारले के रमेश जयंतीलाल चौहान ने 4 लाख रुपए में खरीद लिया।रमेश चौहान ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वे पढ़ाई कर वापस लौटे तो उनकी पहली जिम्मेदारी बिसलेरी ही बनी। उन्होंने टैलेंटेड लोग ढूंढे चाहे वो उनके सलाहकार हो या ऐडवर्टाइजमेंट एजेंसी के लोग। इस फैसले से कंपनी आगे बढ़ती गई।

फरवरी 2016 में ‘बिसलेरी पॉप’ के लॉन्च के साथ सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट में फिर कदम रखा। लिमोनाटा, पिना कोलाडा, फोंजो और स्पाइसी वैरिएंट शुरू किए गए। हालांकि मार्केट में ज्यादा कॉम्पिटिशन के कारण ये फेल हो गए।

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