कहते हैं, अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में लग जाती है. यह लाइन पूरी तरह से फिट बैठती है दिल्ली के रहने वाले विनोद कुमार के ऊपर जिन्होंने 7 वीं कक्षा में आसमान में एक फाइटर प्लेन को उड़ते देख फाइटर पायलट बनने का सपना देखा. हालांकि उस वक्त जानकारी न होने और 9वीं कक्षा में फेल हो जाने की वजह से विनोद का यह सपना अधूरा रह गया लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी. अपने सपने को अपने दिल के अंदर जिंदा रखा. यही वजह है कि कॉलेज में पहुंचते ही इन्होंने एनसीसी जॉइन कर ली और इस दौरान भी इन्होंने अपना पूरा फोकस एरोमॉडलिंग पर ही रखा.
इसके बाद इन्होंने विनोद ने ऑल इंडिया में होने वाले कैंप और कंपटीशन में सिल्वर, गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीता. विनोद कुमार ने को बताया कि उत्तराखंड में अपनी कंपनी क्रॉस विंड सॉल्यूशन को लगाया है. यह उनकी 32 साल की मेहनत है.उन्होंने बताया कि एरोमॉडलिंग में विमान के विभिन्न स्वरूपों में मॉडल का डिजाइन, निर्माण और उड़ान शामिल है. कभी इसे केवल शौक के तौर पर देखा जाता था, लेकिन अब एरोमॉडलिंग दुनिया के सबसे बड़े और लोकप्रिय करियर प्रोफेशन के तौर पर देखा जाता है. अब लोग इन्हें ड्रोन मैन के भी नाम से जानते हैं.
विनोद कुमार ने कहा कि सन 1995 में इन्होंने स्टेटिक मॉडल तैयार किया था जिसे जैगुआर का नाम दिया था. इसे उन्होंने वाइस प्रेसिडेंट केआर नारायण को दिया था जिसमें इन्हें काफी तारीफ मिली थी. अब कॉलेज और स्कूल के छात्र-छात्राओं को वे एरो मॉडलिंग, आरसी एयरक्राफ्ट फ्लाइंग के साथ ही ड्रोन बनाना और ड्रोन उड़ाने तक की ट्रेनिंग दे रहे हैं.
उन्होंने बताया कि आने वाला वक्त ड्रोन और यूएवी का ही है क्योंकि आने वाले वक्त में ड्रोन से ही लड़ाइयां होंगी, डिलीवरी होगी और तो और खेती किसानी में भी ड्रोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. ऐसे में इसमें रोजगार के अवसर बहुत हैं.
विनोद कुमार ने बताया कि उनकी कंपनी एग्रीकल्चर ड्रोन बना रही है और डिमांड के अनुसार ड्रोन बनाती है. इसके अलावा आईआईटी दिल्ली के साथ भी इन्होंने अपना एमओयू साइन किया है, जिसके तहत आईआईटी दिल्ली के छात्र-छात्राओं को एरो मॉडलिंग की जानकारी देने के साथ ही आरसी फ्लाइंग और एविएशन की जानकारी दी जाएगी. उन्होंने बताया कि आर्मी और एयरफोर्स में भी वे अपना योगदान ड्रोन और एविएशन की फील्ड में देना पसंद कर रहे हैं.