अमिताभ को टक्कर देने वाले विनोद खन्ना का आया था जब बुरा दौर किया था ये काम!

अब एक दौर था जब अमिताभ बच्चन को एंग्री यंग मैन कहा जाता था क्योंकि उनके फिल्म जंजीर सुपर डुपर हिट हुई थी और उसे दौरान अमिताभ को टक्कर देने वाला बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में कोई भी अभिनेता नहीं था तब एंट्री होती है विनोद खन्ना की और विनोद खन्ना एकमात्र ऐसे अभिनेता था जो अमिताभ बच्चन को कारी टक्कर उसे समय दे रहे थे बता तो जाता है की कंपटीशन के मामले में अमिताभ से कहीं ज्यादा आगे विनोद खन्ना निकल रहे द लेकिन विनोद खन्ना की परसों प्रोफेशनल दोनों ही लाइव काफी सुर्खियों में भी देखिए एक तरफ जहां विनोद खन्ना बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने अभिनेता द तो वहीं दूसरी ओर अमिताभ के साथ कंपटीशन के दौर में उनका नाम भी काफी विवादों से घिर चुका था।

लेकिन यहां आपको इस बात की जानकारी देना चाहेंगे की एक बार विनोद खन्ना इस साल सारी दुनिया को छोड़कर आध्यात्मिक दुनिया में चले गए द और वो एक सन्यासी का जीवन चुनकर जीवन व्यतीत करने लगे द मेरे रिपोर्ट्स की मानें तो एक बार में विनोद खन्ना ने बॉलीवुड को छोड़ दिया था और आध्यात्मिक गुरु ओशो रजनीश के अनुयायी बन गए थे।

उन्होंने पुणे के ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिसॉर्ट यानी ओशो आश्रम का दौरा किया था बताया जाता है की साल 1982 में अपने गुरु के साथ रहने के लिए अमेरिका के ओरेगॉन में रजनीश पुरम चले गए द बाद दिसंबर 1975 की है जब विनोद खन्ना ने फिल्मों को छोड़कर सन्यासी बनने का फैसला लिया था तो बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में कोहराम मच गया था ये वही दौर था।

जब विनोद खन्ना बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में काफी ज्यादा प्रचलित अभिनेता थे और उसे दौरान उन्होंने कई सारी बैक तू बैक फिल्में दी थी कई फिल्में माता जो उनके साथ कम कर रहे थे वो बहुत हैरान हो गए द उसे दौरान उन्हें सेक्सी सन्यासी तक कहा जाने लगा था।

हालांकि अपने इस सन्यासी वाले जीवन को लेकर एक बार इंटरव्यू में विनोद खन्ना ने बताया था की ओशो के शब्दों ने उन्हें एक साथ साथ सत्य मृत्यु से परिचित कराया था उसे उन्होंने स्वामी विनोद भारती नाम दिया था इस दौरान विनोद खन्ना ने ये भी बताया था की निश्चित रूप में एक माली का कम करते द बगीचे के रखरखाव पौधों की देखभाल की जिसमें पानी देना छाती करना है ट्रीमिंग करना रोपण शामिल थे इस दौरान वो टॉयलेट तक साफ किया करते थे। विनोद खन्ना ओशो उस के अंग शिफ्ट हो गए द विनोद भी वहां चले गए थे।

1982 के बाद ओशो के साथ उनके रजनीश प्रशासन में विनोद खन्ना ने करीब 5 साल गुजरे और एक इंटरव्यू में खुद विनोद खन्ना ने ये बात मणि थी बताइए ताकि साल 1987 में सिंपल कपड़े के अपोजिट फिल्म इंसाफ के जरिए उन्होंने बॉलीवुड में दमदार वापसी की थी क्योंकि ओशो के शरण में जाने के बाद वो भी बॉलीवुड में कमबैक करना चाहते थे और ये कमबैक उन्होंने इंसाफ के जारी किया था।

इसी साल फिल्म दयावान में एंट्री हीरो के तौर पर उन्हें बहुत ज्यादा पसंद किया गया और एक बार फिर से वो बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने अभिनेता बन गए थे और 19 के दौर में आकर उन्होंने बैक तू बैक कई सारी और भी बड़ी फिल्म में कम किया।

इतने नहीं सिर्फ अभिनेता होने के साथ-साथ उन्होंने राजनीति में भी जो अपना कदम रखा तो यहां पर भी उन्होंने अपने सफलता के झंडे का आदेश सैन 1997 में बीजेपी का मेंबर बनने के बाद विनोद खन्ना अभिनेता से नेता भी बन गए थे और वो गुरदासपुर के लोकसभा सीट से पंजाब में बीजेपी संसद भी रहे जुलाई 2002 में अटल बिहारी वाजपेई ने उन्हें संस्कृत को पर्यटन मंत्री भी बनाया था और 2003 में वाजपेई ने उन्हें विदेश राज्य मंत्री का हम जी महावीर सौभा था और इस पद पर रहते हुए विनोद खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री के जरिए भारत पाकिस्तान के बीच दूरियां कम करने की कोशिश भी की थी।

लेकिन 2017 को विनोद खन्ना इस दुनिया को छोड़कर अलविदा का कर चले गए बताया जाता है की सालों तक ब्लास्टर कैंसर से जूझने के बाद 10 अप्रैल 2017 को विनोद खन्ना ने अपनी अंतिम सांस ली इससे पहले कई सालों तक उनका इलाज चलता रहा जर्मनी में उनकी सर्जरी हुई फिर भी उन्हें बचाए नहीं जा सका उनकी इच्छा थी की वो पाकिस्तान के पेशाब में स्थित अपने पुस्तानी घर पर एक बार जरूर हो कारण लेकिन उनकी एक इच्छा पुरी नहीं हो पाई थी

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