आप अगर इंडिया में रहते हैं दोस्तों तो घर की किचन से लेकर आसमान के सफर तक हर जगह टाटा का नाम नजर आएगा नामक मसाला हो चाय पानी कॉफ़ी घड़ी हो ज्वैलरी हो लग्जरी कर वस्त्र हवाई सफर टाटा ग्रुप का कारोबार हर फील्ड में फैला हुआ है 157 साल पुराने इस ग्रुप को जमशेद जी टाटा ने शुरू किया था जिसे आज रतन टाटा संभल रहे हैं।
सैन 1868 में बनी इसके कंपनी ने भारतीयों के दिलों में अपनी छाप छोड़ी है 21 लाख करोड़ की कंपनी आज रतन टाटा की कमान में जरूर है लेकिन क्या आपने बात सोचिए की 84 वर्षी रतन टाटा के बाद इस कंपनी को कौन संभालेगा क्योंकि उनकी खुद की कोई संतान तो है नहीं।
आपको बता दें की रतन टाटा 1991 में टाटा ग्रुप की कमान संभाली थी और तब अगर आज तक ना जाने कितनी कंपनी स्टार्ट आगे ग्रुप में जोड़ चुकी हैं और ये सारा चमत्कार हुआ रतन टाटा के आप चाहे वो घर-घर में बन्नी वाली चाय के लिए टाटा टियागो या फिर वो हवा उड़ने वाला प्ले टाटा कंपनी अगर जगह सबसे ऊपर नजर आती है केमिकल कम्युनिकेशन एंड वेस्टमैन दोस्तों गिनते गिनते भले ही वीडियो खत्म हो जाएगी लेकिन टाटा ग्रुप के प्रोडक्ट्स का नाम खत्म हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता पर दोस्तों जिस आसानी से स्मूथ तरीके से रिटर्न टाटा ने ही इस बिजनेस को संभाला है इस करोड़ के बिजनेस को दुनिया भर में फैलाकर जिस शहजादा से रतन टाटा ने चलाया है बात ही उठाती है की क्या कोई और भी तो नहीं आसानी से बिजनेस को संभल पाएगा कौन होगा वो चलिए आपको बताते हैं दोस्तों आपको बता देंगे 2022 में टाटा की वैल्यू 240 अरब डॉलर्स है यानी की 21 लाख करोड़ के अंदर लाखों लोग कम करते हैं तो दोस्तों हमारे देश में टाटा ग्रुप की बहुत ही ज्यादा अहमियत है।
इस बात को आप ऐसे समझी ठीक है अगर टाटा ग्रुप में अपनी सारी कंपनियों बंद कर दी तो देश के लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे इतना ही नहीं दोस्तों अगर टाटा अपना चैरिटेबल ट्रस्ट बंद कर दे तब भी लाखो लोगों के जीवन में तूफान ए जाएगा इंडिया की नहीं बल्कि दुनिया के लाखों लोगों का भविष्य टाटा ग्रुप पर टीका हुआ है आपको बता दें की 1991 से लेकर 2012 तक रतन टाटा ही tatask चेयरमैन द लेकिन 2013 में उन्होंने इस्तीफा देकर साइरस मिस्त्री को चेयरमैन बना दिया था लेकिन दोस्तों कहते है ना की हर कोई इतनी बड़ी रिस्पांसिबिलिटी नहीं संभल सकता है और ऐसा ही कुछ हुआ साइरस मिस्त्री के साथ आपको बता देंगे साइरस मिस्त्री 4 साल भी इस पद को नहीं संभल पाए लेकिन आपको बता दें की उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था बल्कि टाटा ग्रुप के बोर्ड ने ने निकल दिया था एक्चुअली इनके और रतन टाटा के बीच कुछ कनफ्लिक्ट हो गए द जिसके बाद टाटा ग्रुप के बोर्ड ने इन्हें हटाने का फैसला किया साथ ही साथ रन टाटा फॉर दिस बोर्ड के मेंबर द अब सवाल ही उठकर आता है की साइरस मिस्त्री को टाटा चेयरमैन आकर चुनाव शास्त्री रतन टाटा के सिर्फ बिजनेस पार्टनर ही नहीं द बल्कि इन दोनों के फैमिली रिलेशंस द साइरस मिस्त्री और रतन टाटा काफी करीबी माने जाते थे।
दोस्तों सैन 1930 से साइरस मिस्त्री के दादा shafur जी मिस्त्री द और तभी से दोनों की फैमिली में काफी अच्छे रिलेशंस द इतना ही नहीं रतन टाटा के सौतेली भाई नोएल डाटा की शादी हुई साइरस मिस्त्री बहन आलू मिस्त्री से ही हुई है और दोस्तों ये कहानी यहीं खत्म नहीं हुई बल्कि साइरस मिस्त्री के पिताजी पहलवान जी मिस्त्री भी टाटा संस के सिद्धार्थ द और फिर कलौंजी मिस्त्री की एग्जिट के बाद 2006 में साइरस मिस्ट्रीज कंपनी के सरदारी से उद गए तो 2012 में रतन टाटा ने उन्हें टाटा सैन की जिम्मेदारी शॉप मगर दोस्तों शायद शायरिस मिस्त्री का बिजनेस करने का तरीका टाटा ग्रुप के साथ और लोग खुद रतन टाटा को पसंद नहीं आया ।
उन्होंने कुछ ऐसे डिसीजन लिए जैसे टाटा पॉलिसी क्लास समझा गया है जैसे कपड़े का बिजनेस करने वाली कंपनियों को बंद करना नैनो कर को बंद करने का फैसला क्या टाइम में चल रही सभी कंपनियों को बंद करवाने का फैसला यहां की टेलीकॉम सेक्टर की कंपनी डोकोमो को बेचने के फैसले ने उनके जाने के रास्ते पुरी तरह से खोल दिए साइरस मिस्त्री के इन्हीं सब फसलों से रतन टाटा को लगा के ऐसे तो कम नहीं चलने वाला गुरु होने लगा के ऐसे तो साइरस मिस्त्री टाटा सैन की कमल अच्छे से नहीं संभल पाएंगे और इसीलिए साइरस मिस्त्री को उनके पास से निकल दिया गया अब दोस्तों साइरस मिस्त्री को निकलने के बाद वापस से टाटा ग्रुप को रतन टाटा ने संभाला पर उन्हें कम ज्यादा टाइम तक नहीं संभालना पड़ा क्योंकि साल 2017 में रतन टाटा को एक ऐसा आदमी मिल गया था जो इस पद के लिए बिल्कुल सही था और टाटा की सारी कंपनी को अच्छे से संभल सकता था इनका नाम था नटराजन चंद्रशेखर जो आज तक टाटा सनकी कमान संभल उसके चेयरमैन की बात पर बने हुए हैं।
आपको बता देंगे टाटा ग्रुप के में प्रमोट और प्रिंसिपल इन्वेस्टर टाटा जेन और अब टाटा के चैरिटेबल ट्रस्ट के हेड रतन टाटा ही है आपको बता देंगे टाटा सेल्स में टाटा ट्रस्ट है और अब इस ट्रस्ट में साइरस मिस्त्री के चचेरे भाई मिली मिस्त्री हैं दोस्तों अभी तक रतन टाटा के सौतेले भाई टाटा के बच्चे स्ट्रस्ट के सरदार नहीं द मगर टाटा संस की सब्सिडियरी टाटा मेडिकल सेंटर में उनके तीनों बच्चों को शामिल कर लिया गया है लेकिन दोस्तों अब आप ये बात भी जान लें की नटराजन चंद्रशेखर को उसके पद से हटाने का रतन टाटा का दूर-दूर तक कोई भी इरादा नहीं है 200 रतन टाटा का कहना है की अब टाटा करो इतना ज्यादा बड़ा हो गया है की टाटा सेंस और टाटा ट्रस्ट की जिम्मेदारी कोई एक इंसान नहीं संभल सकता है किसी एक इंसान को दोनों जगह का चेयरमैन नहीं बनाया जा सकता पर दोस्तों ये बात तो बिल्कुल सही है की ऐसा करना मुश्किल ही है रतन टाटा ना की आप ही सटीक बात कहिए क्योंकि टाटा ग्रुप इस वक्त सच में बहुत ज्यादा बड़ा हो गया ह।
आपको बता दें की आज स्टॉक मार्केट में टाटा ग्रुप की 17 कंपनियों लिस्टेड है जिम सबसे बड़ी है टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जो आज के टाइम में रिलायंस के बाद दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है दोस्तों टाटा हर एक सेक्टर में मौजूद है दोस्तों अगर हम साइंस और रिटेल सेक्टर की बात करें तो टाटा की चाय कॉफ़ी पानी बिस्कुट ज्वैलरी टाइटन वॉचेस नामक मसाले और यहां तक की स्टार ताकि पहुंचे दोस्तों ये बात तो सच है की जहां टाटा है वहां किसी और कंपनी का सिक्का नहीं चलता है दोस्तों आज भी देख लीजिए आपके घर में जो भी समान होगा उसमें कुछ ना कुछ टाटा कंपनी का जरूरी होगा अब चाहे वो आपके किचन का समान हो या फिर आपकी घर की चल रही है चलिए हम चाय ऑटो मोटर सेक्टर में देख लें टाटा नैनो कर के रूप में कैसी गाड़ी बना डाली जो आम आदमी भी आसानी से फोड़ कर सकता था अब दोस्तों चाय नहर हो तो नहीं चलेगी पर टाटा की बस थोड़ा जैगुआर तक टाटा की ब्रांड हैं और इन ब्रांड की मार्केट में हालांकि पहचान बनी हुई है।
दोस्तों हम बस जमीन की बात क्यों करें आसमान में भी अब टाटा चाहेगा जिसका कमल पुरी की पुरी दुनिया देखेगी एयर इंडिया जैसे वक्त पहले टाटा के हाथों से छीन लिया गया था अब दोबारा से वो टाटा के अंदर ए गया है टाटा का का रहा है की वो दूर नहीं है जब एयर इंडिया को दुनिया के सबसे बेहतर फ्लाइट का दर्ज मिलने वाला है तो दोस्तों आप खुद ही सोचिए इतनी बड़ी कमिटमेंट पुरी करने के लिए और इतने बड़े ग्रुप को संभालने के लिए ऐसे ही थोड़ी है इस कंपनी के चेयरमैन की सीट किसी को भी दे दी जाए ना राजन चंद्र शेखर ने खुद को इसके कंपनी वाले रहने के लिए कई बार खुद को साबित किया है।
उन्होंने सही तरीके से टाटा ग्रुप को चला कर दिखाया दोस्तों जिस टाइम नटराजन चंद्रशेखर को टाटा संस्कृत चेयरमैन बनाया गया था और उसे टाइम टाटा सैन की कई कंपनियों डूबने वाली थी टाटा स्टील और मेक डिस्प्यूट्स से गुजर रही थी टाटा मोटर्स का डोमेस्टिक बिजनेस भी काफी कमजोर हो गया था इतना ही नहीं टाटा मोटर्स 22000 के कर्ज में डूब गई थी इसलिए शुरुआत से ही नटराजन चंद्रशेखर की जिम्मेदारी बहुत ज्यादा थी पर उनसे एक्सपेक्टशंस भी उतनी ज्यादा थी और नटराजन चंद्रशेखर अपने पहले साल में ही अभी एक्सपेक्टेशन पर खड़े होकर देखें उन्होंने टाटा का संभल और वापस से खड़ा किया तो दोस्तों अब आप हमें बताइए की क्या आपको लगता है की आगे भी नटराजन चंद्रशेखर की कंपनी संभालेंगे यहां कहानी में।