आखिर क्यों इस हैंडसम हंक को सिर्फ छोटे-मोटे ही किरदार मिले ?

80 के दशक के आखिरी सालों और 90 के पूरे दशक में आपने इन्हें बॉलीवुड फिल्मों में विलन के तौर पर खूब देखा होगा लंबी चौड़ी कद काठी वाले जैक गॉड आए तो थे फिल्मों में हीरो बनने लेकिन एक फिल्म को छोड़कर इन्हें कभी भी किसी भी फिल्म में हीरो का रोल नहीं मिला और यह केवल एक साइड विलन बनकर ही रह गए जैक गॉड का जन्म सन 1958 में राजस्थान के झुनझुन में हुआ था।

बचपन से ही जैक को फिल्में देखने का बेहद शौक था यह भी बड़े होकर हीरो बनना चाहते थे लेकिन इनके घर में पढ़ाई लिखाई का माहौल था और इनके घर से ज्यादातर लोग भारतीय सेना में थे सो बचपन की ख्वाहिश को दिल में दबाकर यह पढ़ाई करने लगे और आखिरकार साल 1977 में इन्हें इंडियन नेवी में सेवा करने का मौका मिल गया इन्होंने इंडियन नेवी जवाइन तो कर ली।

लेकिन अब भी इनके बचपन का ख्वाब इनके दिल में कहीं दबा था 80 के दशक के शुरुआती साल में इन्होंने अपना ख्वाब पूरा कर करने के लिए इंडियन नेवी की अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और फिल्मों में हीरो बनने के लिए मुंबई आ गए जैक गॉड लंबी चौड़ी कद काठी के मालिक थे सो जो भी फिल्म मेकर इन्हें देखता था वह इनसे इंप्रेस हो जाता था अपनी इसी पर्सनैलिटी के दम पर इन्हें साल 1984 में पहली दफा एक फिल्म में काम करने का मौका मिला।

यह फिल्म थी इंसाफ कौन करेगा इस फिल्म में धर्मेंद्र और रजनीकांत लीड रोल में थे वहीं प्राण और अमरीश पूरी जैसे धाकड़ कलाकार भी इस फिल्म में थे जैक गॉड इस फिल्म में जागीरा यानी प्राण के गैंग के गुंडे बने थे अपनी पहली ही फिल्म से जैक गॉड सीने प्रेमियों की नजरों में चढ़ गए जैक गॉड के करियर की दूसरी फिल्म थी साल 1985 में रिलीज हुई 3डी सामरी राम से ब्रदर्स की यह फिल्म यूं तो अनिरुद्ध अग्रवाल को सेंटर में रखकर बनाई गई थी लेकिन भीषण के धीर गंभीर और वफादार सिप सलार के किरदार में जयक गॉड भी दर्शकों की वाई हासिल करने में कामयाब रहे इस फिल्म में जैक गॉड के लुक्स की काफी चर्चा हुई।

एक नया नवेला एक्टर इतनी शानदार एक्टिंग करेगा ऐसा तो खुद राम से ब्रदर्स ने भी नहीं सोचा था लेकिन जैक गॉड ने अपनी एक्टिंग से हर किसी को हैरान कर दिया इनकी अगली बड़ी फिल्म थी 1987 में रिलीज हुई वतन के रखवाले धर्मेंद्र मिथुन और सुनील दज जैसे बड़े सितारों की मौजूदगी में जैक गॉड को किसी ने नोटिस नहीं किया करते भी कैसे जैक गॉड इस फिल्म में मामूली गुंडे के किरदार में थे जो पूरी फिल्म में केवल दो-चार दफा ही दिखे थे जैक गॉड को जानने वाले लोगों का कहना है कि यहीं से जैक गॉड के हीरो बनने का सपना टूटना शुरू हो गया इसके बाद उन्हें फिल्मों में साइड विलन और किसी छोटे-मोटे गुंडे के किरदार ही मिले लेकिन एक फिल्म ऐसी भी थी जिसने जैक गॉड का हीरो बनने का सपना पूरा किया था।

अगले साल जैक गॉड नजर आए उस साल की सबसे बड़ी सुपरहिट फिल्म गंगा जमुना सरस्वती में लेकिन इस फिल्म में भी जक गॉड को एक गुंडे का किरदार दिया गया इसी साल एक और फिल्म आई थी जिसका नाम था मालामाल इस फिल्म में नसरुद्दीन शाह लीड रोल में थे इस फिल्म में क्रिकेट मैच का सीन था जिसमें जैक गॉड तेज गेंदबाज बने थे बैटिंग कर रहे नसरुद्दीन शाह जय गॉड की गेंदों की खूब धुनाई करते हैं लेकिन एक वक्त ऐसा भी आता है।

जब जैक गॉड नसरुद्दीन को ऐसे-ऐसे बाउंसर मारते हैं कि उनके पास जैक की बाउंसर्स का कोई जवाब नहीं बचता साल 1992 तब तक जैक गॉड लगभग 22 फिल्मों में काम कर चुके थे और उनका हीरो बनने का सपना लगभग टूट चुका था जैक गॉड ने भी हीरो के रोल के लिए कोशिशें करनी बंद कर दी लेकिन इसी साल यानी 1992 में डायरेक्टर सुनील कुमार को अपनी फिल्म जंगल का बेटा के लिए एक ऐसे हीरो की जरूरत पड़ी जो कद काठी में लंबा चौड़ा हो और जिसकी फिजिक टर्जन के जैसी हो इत्तफाक से जैक गॉड में सुनील कुमार को अपनी फिल्म के हीरो की हर खूबी नजर आई और इस तरह जैक गॉड अपने करियर की पहली और आखिरी फिल्म में बतौर हीरो नजर आए जंगल का बेटा 1 जनवरी 1992 को रिलीज हुई वैसे तो यह फिल्म जोर-शोर से रिलीज की गई थी लेकिन कमजोर कहानी और लचर डायरेक्शन के चलते यह फिल्म दर्शकों को खास पसंद नहीं आई और इस तरह से जैक गॉड के हीरो बनने के ख्वाब पर पानी फिर गया हालांकि एक्टिंग से जैक गॉड का लगाव खत्म नहीं हुआ वह आगे भी फिल्मों में काम करते रहे बहुत कम लोग ही यह जानते होंगे कि सुनील कुमार ने ज गॉड के साथ बतौर हीरो एक और फिल्म में काम करने का ऐलान किया था।

इस फिल्म का नाम था काली हालांकि जंगल का बेटा के फ्लॉप होने के बाद इस फिल्म का कभी कोई जिक्र नहीं हुआ अपने करियर में जैक गॉड ने अपने दौर के हर बड़े सितारे के साथ काम किया एक्टिंग जगत में जैक बिना ब्रेक के काम करते रहे 1984 में अपनी पहली फिल्म से लेकर साल 2000 में अपनी आखिरी फिल्म तक जैक हर साल कम से कम एक या दो फिल्मों में तो नजर आ ही जाते थे फिल्मों से मिले पैसों से जैक गॉड ने मुंबई में अपना खुद का घर बनाया और उसी शहर में यह अपने परिवार के साथ रहा करते थे कहा जाता है कि साल 2000 के आसपास मुंबई शहर में इन्होंने करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी बना ली थी

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