9 अक्टूबर 2024 को रतन टाटा ने अपनी अंतिम सांस ली अगले दिन एक एंबुलेंस रतन टाटा के पार्थिव शरीर को लेकर टाटा के घर से निकली तो एक नौजवान बाइक पर एंबुलेंस के आगे-आगे चलता दिखाई दिया 31 साल के इस नौजवान का नाम है शांतन नायडू टाटा ट्रस्ट में डिप्टी जनरल मैनेजर भारत ही नहीं।
दुनिया के सबसे धनी ट्रस्ट में से एक का डिप्टी जनरल मैनेजर बाइक पर एंबुलेंस के आगे क्यों चल रहा था एक लाइन में इस सवाल का जवाब है कि शांतन टाटा के लिए सिर्फ एक एंप्लॉई नहीं थे रतन टाटा और शांतन की उम्र में साढ़े दशक का फर्क था लेकिन बॉन्डिंग ऐसी जो हम उम्र लोगों में भी मुश्किल से हो पाती है तभी तो टाटा की अंतिम यात्रा में हर जगह शांतन नजर आते रहे सोशल मीडिया पर शांतनु और टाटा की जुगलबंदी एक क्लिक पर मिल जाती है वीडियो लंबे लंबे आलेख सब कुछ शांतन और रतन टाटा की इस दोस्ती की सबसे बड़ी वजह थी दोनों का कुत्तों के लिए प्यार बात ऐसी है कि मूलतः पुणे के शांतन ने सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स के लिए कॉर्नेल चले गए पढ़ाई पूरी हुई तो 2014 में टाटा एलेक्सी जॉइन की बतौर ऑटोमोबिल डिजाइन इंजीनियर 2009-10 में शांतन टाटा टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग इंटर्न भी रह चुके थे अपने करियर की शुरुआत में ही शांतन ने देखा कि रात को तेज रफ्तार गाड़ियों से टकराकर सड़क पर घूमने वाले कुत्तों को को चोट लग जाती है या मौत हो जाती है।
तो शांतन ने साल 2015 में मोटो पॉज नाम की एक संस्था बनाई जिसने डेनिम कॉलर बनाए इन पर रिफ्लेक्टर लगे होते थे जो रात को गाड़ियों की रोशनी में चमकते थे द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोटो पॉज सफल हुआ तो टाटा समूह के न्यूज़लेटर में उनकी कहानी छपी इसके बाद शांतन ने सीधे रतन टाटा को एक खत लिखा और मोटो पॉस के लिए फंडिंग मांगी शांतन की ही तरह कुत्तों से खूब प्यार करने वाले रतन टाटा को ये कांसेप्ट पसंद आ गया और उन्होंने शांतन को मिलने बुला लिया मुंबई और यहां से एक पक्की दोस्ती की मजबूत नीव पड़ गई शांतन को ना सिर्फ मोटो पॉस के लिए फंडिंग मिली बल्कि उन्हें टाटा के सहयोगी बनने का भी ऑफर दिया गया।
इसके बाद टाटा और शांतन को कई बार सार्वजनिक मंचों पर एक साथ देखा गया दुनिया एक विजनरी उद्योगपति और एक नौजवान की बॉन्डिंग की खूब तारीफ किया करती थी इस बॉन्डिंग के सबसे बढ़िया उदाहरणों में से एक था गुड फेलोज एप जो साल 2022 में आया गुड फेलो के जरिए रतन और शांतन ने अपनी दोस्ती के अनुभव को दुनिया भर में बांटा गुड फेलोस के जरिए नौजवान बुजुर्गों से जुड़ते हैं बुजुर्गों को अपनी सांझ बिताने के लिए एक साथी मिलता है छोटे-मोटे कामों में मदद मिल जाती है और बदले में नौजवानों को मिलता है बेशकीमती अनुभव गुड फेलोस के लॉन्च के लिए टाटा और शांतन साथ-साथ आए थे।
जाहिर है इतना अच्छा दोस्त खोकर शांतनु खालीपन से भर गए हैं उन्होंने अपने दोस्त को श्रद्धांजलि देते हुए न पर लिखा द होल दैट दिस फ्रेंडशिप हैज नाउ लेफ्ट विद मी आई विल स्पेंड द रेस्ट ऑफ माय लाइफ ट्राइम टू फिल ग्रीफ इज द प्राइस टू पे फॉर लव गुड बाय माय डियर लाइट हाउस हिंदी में इसका मतलब है इस दोस्ती ने अब मुझ में जो खालीपन छोड़ दिया है उसे भरने की कोशिश में मैं अपनी पूरी जिंदगी बिताऊ दुख प्यार के लिए चुकाई जाने वाली कीमत है गुड बाय माय डियर लाइट हाउस।