कौन था वो विलन जिसे रजनीकांत मानते थे लकी चार्म,? जिसके बिना काम नही करते थे एक्टर।

जब हम किसी विलेन के बारे में सोचते हैं, तो अक्सर हमारे दिमाग में उनकी छवि एकदम खूंखार, अंदाज, भारी आवाज और डरवाने लुक वाली बनी होती है। हालांकि, 80 के दशक में एक ऐसा विलेन आया, जिसने खलनायक की परिभाषा में बदलाव किया। उन्होंने अपने करियर की आधी से अधिक फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया, लेकिन न तो उनका विलेन वाला लुक और न ही डरवाना चेहरा, बस थी तो उनकी भारी-भरकम आवाज और उसमें बेस।

चिल्लाए बिना ही उन्होंने अपने दमदार डायलॉग से ऐसी अमिट छाप छोड़ी, जिससे आम जनता तो उन्हें स्क्रीन पर देखकर डर से थर-थर कांपने लगी, लेकिन सितारों के वह फेवरेट बनते गए। सिल्क स्मिता के साथ अपने करियर की पहली हिट फिल्म देने वाले इस एक्टर के बिना एक समय पर रजनीकांत किसी फिल्म में काम भी नहीं करते थे। कौन था हिंदी और साउथ का वह खतरनाक विलेन, जो था रजनीकांत का लकी चार्म।

पैसों में बहुत गर्मी होती है, उसे बर्दाश्त करना सीखो वरना जल जाओगे..’, ‘जो बिकता नहीं वो मेरे सामने टिकता नहीं’। इन बेहतरीन डायलॉग्स से तो आप समझ गए होंगे की हम किसी बात कर रहे हैं। अगर नहीं, तो हम बता दें कि इस स्टोरी में हम आपको 80 और 90 के मशहूर विलेन ‘रघुवरन’ के बारे में बात कर रहे है।

11 दिसंबर 1958 को केरल में जन्में रघुवरन ने अपने करियर की शुरुआत साल 1982 में तमिल फिल्म ‘यरुवधन मनिथन’ से की थी। जिसे समीक्षकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के साथ-साथ नेशनल अवॉर्ड भी मिला। रघुवरन ने हिंदी और साउथ की फिल्मों को मिलाकर टोटल करियर में 200 से अधिक फिल्में की।

रघुवरन की पहली फिल्म भी हिट हुई, लेकिन उससे उन्हें किसी तरह का फायदा नहीं मिला। उनके करियर में टर्निंग प्वाइंट तब आया, जब उन्होंने 1983 में साउथ फिल्म ‘सिल्क-सिल्क-सिल्क’ में काम किया। इस मूवी में उन्होंने पहली बार नेगेटिव कैरेक्टर प्ले किया, जिसमें अभिनेता को काफी पसंद किया गया। बस फिर क्या था, इसके बाद उनकी झोली में हर अगला किरदार विलेन का ही होता था। उन्होंने अपने करियर में नागार्जुन से लेकर ममूटी-मोहनलाल और कमल हासन जैसे बड़े-बड़े सितारों के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर किया। 90 के दशक तक वह साउथ सिनेमा में एक बड़ा नाम बन चुके थे।

रजनीकांत के साथ रघुवरन की विलेन की जोड़ी खूब जमी। दोनों ने एक साथ शिवाजी: द बॉस, बाशा, अरुणाचलम, राजा चिन्ना रोजा जैसी कई साउथ की सफल फिल्मों में एक साथ काम किया। कहा जाता है कि एक समय ऐसा था, जब रजनीकांत ने बड़े-बड़े मेकर्स के सामने ये शर्त तक रख दी थी कि जिस फिल्म में हीरो होंगे उस फिल्म में विलेन ‘रघुवरन’ को ही बनाया जाए, वरना वह फिल्म नहीं करेंगे। मेकर्स भी रजनीकांत की इस बात को टाल नहीं सके और उन्होंने लगभग रजनीकांत के साथ सभी फिल्मों में खलनायक के रूप में रघुवरन को ही कास्ट किया।

साउथ सिनेमा में विलेन बनकर अपनी छाप छोड़ने वाले रघुवरन के शानदार अभिनय की चर्चा बॉलीवुड में भी हुई। साल 1990 में उन्हें अपनी फिल्म ‘इज्जतदार’ में काम करने का मौका मिला, जिसमें दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई थी।इस फिल्म के बाद उन्होंने नागार्जुन के अपोजिट फिल्म ‘शिवा’ में काम किया। बस फिर क्या था, इस फिल्म की सफलता ने कभी भी उन्हें पीछे नहीं पलटने दिया। रघुवरन ने हिंदी में रक्षक, हिटलर, अमिताभ बच्चन के साथ लाल बादशाह और 2001 में फिल्म ग्रहण में काम किया। ग्रहण में उन्होंने नाना पाटेकर को रिप्लेस किया था। वह एकमात्र ऐसे अभिनेता थें, जिन्होंने हिंदी के अलावा साउथ की सभी भाषाओं की फिल्म में काम किया था।

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