बेहद मासूम चेहरा और मीठी आवाज़ वाली यह टकरा इतनी खूबसूरत थी की वह आज तक लोगों के दिलों में रहती हैं कुछ ऐसे सपने चेहरे और शानदार अभिनय को कभी नहीं भुला सकते मैंने प्यार किया दिल को यूंही पे पदार के मात्रा 10 साल की उम्र में ही हीरोइन बनने वाली इस अभिनेत्री को कोई भी नजर अंदाज़ नहीं कर सका बुलबुल दोनों चमन मेरे साथी अदा से पर्दे पर उतर टी तो दर्शन उनके दीवाने हो जाते द [संगीत] [संगीत] दिन क्या आप यकीन करेंगे की अपनी पहले फिल्म में उन्हें जबरदस्ती कम करना पड़ा इस खूबसूरत अभिनेत्री को जो लाखों दिलों की धड़कन थी अपनी पुरी जिंदगी अकेले गुजरने पड़ी।
क्या आप जानते हैं इनके प्यार का ऐसा दुखद अंत हुआ था की वह सोच कर रूह का उड़ती है आज इनके बारे में जानेंगे और भी बहुत कुछ बस बनी रहिए हमारे साथ नमस्कार अखियां मिला ना परदेसी अभिनेत्री जो सिर्फ 5 साल की उम्र से ही फिल्मों में कम करने लगी कोल्हापुर के एक मराठी परिवार में हुआ इनके पिता विनायक दामोदर कर्नाटक की मराठी फिल्मों में मास्टर विनायक के नाम से जाने जाती थी जो एक्टर होने के साथ-साथ प्रोड्यूसर और डायरेक्टर भी द हुई शांताराम इनके करीब रिश्तेदार द या फिर यूं कहें की नंदा के चाचा द ईयर 1944 में नंदा के पिता ने बेबी नंदा को अपनी फिल्म मंदिर में एक लड़की के रोल में उतारा जिसकी वजह से 5 साल की नंदा की बाल काटने पड़े और उसे वजह से फिर अपने पिता से बेहद नाराज हो गई।
इस फिल्म का निर्माण कर द दुर्भाग्यवश फिल्म के बीच में ही मास्टर विनायक का निधन हो गया बेबी नंदा की और भी छह भाई-बहन द और अब हालत ये द की घर का खर्चा चलाने के लिए छोटी नंदा को फिल्मों में कम करना था जब वे मात्रा 10 साल की थी तो मराठी फिल्म कुल देवता के लिए निर्देशक दिनकर पाटिल ने उन्हें लीड रोल में लिया इसमें नंदा को बेहद पसंद किया गया।
यहां तक की उन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा इस फिल्म के लिए सम्मान भी मिला इसके बाद उन्होंने कुछ मराठी और गुजराती फिल्मों में कम किया यह 1956 में सी शांताराम ने नंदा को अपनी फिल्म तूफान और दिया मैं में लीड के लिए कास्ट किया है तेरे गोविंद किसका 1959 में आई फिल्म छोटी बहन जिसमें नंदनी बलराज साहनी और रहमान की एंटी पहन का किरदार निभाया वैसे तो ये तूफान और दिया में आंधी लड़की का किरदार निभा चुकी थी पर एक बार फिर एक केदार करना उनके लिए काफी चैलेंजिंग था।
उम्मीद के मुताबिक यह फिल्म काफी सफल रही और दर्शकों ने नंदा को बेहद पसंद किया [संगीत] बताता हूं अब धंधा की छवि एक बहन के रूप में बनती जा रही थी आपको जानकर आश्चर्य होगा की उसे समय सैकड़ो दर्शकों ने नंदा को राखियां भेजी थीबहन के रोल ही मिल रहे द और एक बार फिर एक और फिल्म में वह देव आनंद की बहन के रोल में नजर आई फिल्म थी कला बाजार जो इयर 1960 में रिलीज हुई चाहूं ना रतन चाहूं तेरे चरण हालांकि उन्हें काफी पसंद किया जा रहा था पर नंदा अब इस इमेज से बाहर निकलना चाहती थी।
परिणाम स्वरूप धूल का फूल में उन्हें राजेंद्र कुमार के अपोजिट कास्ट किया गया यह फिल्म सुपरहिट सावित्री और यहीं से नंदा अपनी बहन की इमेज तोड़ने में कामयाब रही क्योंकि घंटा गति हवा सपने जगाए नन्हा सा दिल मेरा 1961 में नंबर फिर से देव आनंद के साथ फिल्म हम दोनों में नजर आए और यहां वो देवानंद की बहन नहीं बल्कि देवानंद की पत्नी के रूप में दिखाई दी [संगीत] सर कम कर रही थी लेकिन उन्हें नए एक्टर्स के साथ कम करने से भी कोई पर हिज नहीं था जहां वह भाभी ने जगदीप के साथ नजर आई वहीं कैदी नंबर 911 में वह महमूद के साथ दिखाई दी।
उनकी फिल्म जब जब फूल खिले इस साल की सुपर हिट फिल्म साबित हुई और इसमें भी विश शशि कपूर के साथ थी हमको है पता तो मर्दा सी होठों पे तो ना थी दो और फिल्मी तीन देवियां और गुमनाम भी उनके सफल फिल्मों में शामिल हो गई 1966 में ही उनकी एक और फिल्म नींद हमारी ख्वाब तुम्हारी ने भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा बिजनेस कियाथा एक दिन तो भाभी बनोगी वेदांत में मनोज कुमार के साथ चंद लगा दिए मेरा नाम पे मेरी नींद उद जाए तेरे चैन से सोने वाले 1969 में आए फिल्म धरती कहे पुकार के भी नंदा की एक शानदार फिल्म रही क्यों मेरा संग धरे इसमें भोली सी दिखने वाली नंदनी दर्शकों का मैन मोह लिया।
इस फिल्म के गाने भी फिल्म के सुपरहिट होने का बहुत बड़ा कारण द अरे हम तुम चोरी से बंधे एक डोरी से जइयो लेकिन अब धंधा भूली-भाली लड़की की इमेज से बाहर आकर कुछ नया करना चाहती थी और इसीलिए उन्होंने फिल्म इत्तेफाक में निगेटिव किरदार भी स्वीकार कर लिया इस रोल को माला सिन्हा और साधना पहली ही रिजेक्ट कर चुके द लेकिन नंदा ने इसे चैलेंज की तरह स्वीकार कर लिया फिल्म इत्तेफाक में नंदा की अपोजिट राजेश खन्ना द और इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा खास बिजनेस कियारोल निभाया।
उसके बाद कुछ दो तीन फिल्में और आई जैसे छलिया और नया नशा यह फिल्मी कुछ खास कमल नहीं कर पाई और यह 1974 में 5 वर्ष की उम्र से कम कर रही ना एक्टिंग लगभग बंद कर दी एक बार फिर एयर 1982 में वे पर्दे पर आई पर बतौर हीरोइन ने ही बल्कि कैरक्टर रूल्स में ही फिल्में थी आहिस्ता आहिस्ता मजदूर और प्रेम रोग में नंदा ने पद्मिनी की मैन का किरदार निभाया था निकलेगा कल भी पंछी जाएंगे सब तुझको देखा यहां भी दर्शकों ने उन्हें खूब पसंद किया पहुंच चुकी नंदा ने पुरी तरह से इसके बाद फिल्मों से संन्यास ले लिया अगर बात करें उनकी निजी जिंदगी के बारे में तो यह टकरा जो बचपन से अपने भाई बहनों की जिम्मेदारी निभा रही थी।
उन्होंने कभी अपने लिए कुछ सोचा ही नहीं समझे जब जब फूल खिले के डायरेक्टर सूरज प्रकाश ने बताया था की इस फिल्म की शूटिंग के दौरान भी एक ऑफिसर ने उनकी घर शादी का प्रस्ताव भेजा था पर नंदा ने वो स्वीकार नहीं किया नंदा के भाई भी उनके लिए बहुत सी प्रस्ताव लेट रहे पर नंदा ने हमेशा इनकार ही किया डायरेक्टर मनमोहन देसाई जो नंदा से बेहद प्यार करती थी।
लेकिन वह नंदा से इस कदर प्यार करते द की उन्होंने एयर 1969 में एक लड़की से सिर्फ इसलिए शादी कर ली क्योंकि वह नंदा जैसी दिखाई देती थी दुर्भाग्यवश शादी के 10 साल बाद ही उनके पत्नी की मृत्यु हो गई एयर 992 में मनमोहन देसाई और नंदा की सगाई हो गई दरअसल वहीं इधर रहमान जो शुरू से ही नंदा के करीबी दोस्ती उन्होंने नंदा और मनमोहन देसाई को फिर से मिलवाया क्योंकि दोनों ही एक दूसरे को मैन ही मैन चाहते द।
इसलिए सगाई संपन्न हो गई थी लेकिन फिर एक ऐसी घटना घाटी जिससे नंदा कभी भी नहीं उभर पाए दरअसल फर्स्ट मार्च ईयर 1994 में मनमोहन देसाई की अपने घर के बालकनी से गिरकर मृत्यु हो गई और इस घटना की एक साल बाद ही उनकी मैन की भी मृत्यु हो गई दोस्तों तक ही सिम थी बहुत ही कम बाहर आती जाती थी पर इस घटना की बात नंदा हमेशा सफेद कपड़ों में ही दिखाई दी और फिर वह दिन आया जब इस खूबसूरत भोली सी अभिनेत्री ने दुनिया को अलविदा का दिया।