नाना पाटेकर सिर्फ एक्टिंग ही नहीं बल्कि अपने समाजसेवी कामों के लिए भी जाने जाते हैं. नाना पाटेकर एक उम्दा एक्टर होने के साथ-साथ संवेदनशील इंसान भी हैं. आज के दौर में हेल्थी लाइफस्टाइल और सोशल कामों के लिए पहचान बना चुके नाना एक वक्त में की आदत से जूझ रहे थे.
नाना पाटेकर अपनी जिंदगी में एडिक्शन से जूझ चुके हैं. एक दौर ऐसा भी था जब वो एक दिन में 60 से ज्यादा पीते थे. द लल्लनटॉप से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि बेटे की मौत के बाद सदमा लग गया था और वो पीने के आदी हो गए थे.
नाना ने कहा था कि, ‘ एक वक्त के बाद उन्हें किसी खास ने समझाया तो उन्होंने इस आदत को छोड़ दिया था. नाना ने बताया कि जब मेरा बेटा पैदा हुआ तो मैंने उसका नाम दुर्वासा रखा था. जन्म से ही उसकी एक आंख में दिक्कत थी और उसे दिखाई नहीं देता था. मुझे नफरत सी होने लगी कि लोग क्या सोचेंगे कि मेरा बेटा कैसा है. मैंने कभी नहीं सोचा कि वो बच्चा क्या सोचता होगा.’
नाना बताते हैं कि, ‘ढाई साल के बाद वो हमें छोड़कर चला गया. कुछ किया नहीं जा सकता कुछ चीजें पहले से तय होती हैं. इसके बाद मुझे सदमा लगा और मैं की तरफ खिंचता चला गया. मैं नहाते वक्त भी पीता था.’
नाना बताते हैं कि, ‘हाल इतना बुरा हो गया था कि मैं दिन में 60 पी जाता था. कोई बुरी बदबू की वजह से मेरी गाड़ी में भी नहीं बैठ पाता था. हालांकि मैंने कभी नहीं पी लेकिन मैं हद से ज्यादा पीने लगा था.
नाना ने बताया कि, ‘मेरी बहन की एक डांट ने मुझे छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था. मेरी बहन ने अपना बेटा खोया था और एक दिन उसने मुझे खांसते देखा तो बोली तुम और क्या देखना चाहते हो. ये सुनकर मुझे दुख हुआ और मैंने छोड़ दी.’