नाना पाटेकर को नेशनल अवॉर्ड मिलने पर क्यों खुश नहीं थी उनकी मां?

नाना पाटेकर पिछले 4 दशकों से फिल्म इडंस्ट्री में एक्टिव हैं. नाना पाटेकर हिंदी के अलावा कई मराठी फिल्मों में भी नजर आ चुके हैं. उन्होंने अपना करियर साल 1978 में रिलीज हुई फिल्म ‘गमन’ से शुरू किया था. नाना पाटेकर ने फिल्मों में अपनी शानदार एक्टिंग के अलावा अपनी कॉमिक, रोमांटिक, निगेटिव हर तरह के किरदार से फैंस को चौंकाया है.

साल 1989 में नाना की फिल्म ‘परिंदा’ रिलीज हुई थी, जिसमें उन्होंने खलनायक का रोल निभाकर लोगों का दिल जीत लिया था. इस फिल्म ने उन्हें ज्यादा पॉपुलैरिटी दिलाई थी और इस किरदार से वह बॉलीवुड में छा गए थे. ‘परिंदा’ के लिए नाना पाटेकर ने बेस्ट सपोर्टिंग का नेशनल अवॉर्ड भी जीता था. नेशनल अवार्ड जीतना किसी भी स्टार और उनके परिवार के लिए बेहद ही गर्व की बात होती है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जब नाना को नेशनल अवार्ड मिला था तो उस पल उनकी मां खुश नहीं थीं.

इस बारे में हाल ही में नाना पाटेकर ने अपने एक इंटरव्यू में बात की है. उन्होंने बताया कि ‘मेरे पिताजी के गुजर जाने के बाद मां की ऐसी हालत हो गई थी कि उन्हें किसी बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता था. एक्टर ने आगे कहा कि वह पिताजी के जाने से इस कदर टूट गई थीं कि उन्हें न तो मेरी किसी फिल्म के हिट होने से फर्क पड़ता था नहीं मुझे कोई अवार्ड मिलने पर वह खुश होती थीं.

नाना पाटेकर ने अपनी मां का दर्द बताते हुए आगे कहा कि ‘मेरी मां की जिंदगी मेरे पिताजी थे.’ उन्होंने बताया कि जब मुझे ‘परिंदा’ फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला तो मेरी मां बोलती है कि ‘तुमको बिल्कुल भी अक्ल नहीं है कि किसको अवार्ड दी जाती है. ऐसा घिनौना और गंदा काम कोई करता है तो उसके लिए कोई अवार्ड थोड़े ही दिया जाता है.’ वहीं अपनी मां के बारे में बात करते हुए नाना ने बताया कि उनकी मां गांव खेड़े से थीं इसलिए वो फिल्मों और अवार्डों के बारे में ज्यादा नहीं जानती थीं.

वहीं नाना पाटेकर के वर्कफ्रंट की बात करे तो वह जल्द ही गदर फेम डायरेक्टर अनिल शर्मा की अपकमिंग फिल्म ‘वनवास’ में उत्कर्ष शर्मा के साथ नजर आने वाले हैं. इस फिल्म को लेकर वह लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं.

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