आपने इससे पहले हमारे देश में घोटाले तो बहुत सुने होंगे हमारे देश के लोगों को घोटालों की अब आदत पड़ चुकी है हर चीज में घोटाला है लेकिन घी के घोटाले के बारे में कभी कल्पना नहीं की थी लेकिन अब आज इस कलयुग में घी का घोटाला भी देख लीजिए आज ही एक अखबार को दिए गए बयान में वाईवी सुब्बा रेड्डी ने कहा कि तिरुपति मंदिर को लड्डुओं के लिए 60 किलोग्राम घी राजस्थान में फतेहपुर की एक डेरी से मिलता था और इस घी के लिए मंदिर समिति ने इस डेरी को ती वर्षों में लगभग 660 करोड़ रुपए का भुगतान किया है।
60 किग्रा घी रोज मिलता था यहां से इसका मतलब यह हुआ कि तीन वर्षों में मंदिर समिति ने इस डेरी से 657 किग्रा घी खरीदा और 1 किलो घी के लिए उसे लगभग 00 का भुगतान हुआ 1 किलो घी के लिए 00 जिससे सवाल खड़ा होता है कि जब मंदिर समिति ने लगभग 400 से 500 किग्रा में रुपए किलोग्राम में कर्नाटक से नंदिनी ब्रांड का घी खरीदने से इंकार कर दिया 400 से 00 के भाव जब नंदिनी का घी आप नहीं खरीद रहे तब पूर्व सरकार राजस्थान की एक डेरी को घी के लिए 1 किलो के हिसाब से 00 का भुगतान कैसे कर रही थी।
हम यहां ये स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमारा यह कैलकुलेशन वाईवी सुब्बा रेड्डी के बयान पर आधारित है जो उन्होंने एक अखबार को दिया है उस अखबार में जो उन्होंने पूरा बयान दिया है कैलकुलेशन हमने उसके हिसाब से किया है जिसमें वो यह कहते हैं कि 60 किलो घी वह राजस्थान की एक डेरी से हर रोज खरीद रहे थे 3 साल तक उन्होंने खरीदा और उसके लिए 10 करोड़ रुपए का भुगतान किया उसके हिसाब से जो कैलकुलेशन आता है।
वह आपकी स्क्रीन पर है अब हम अपनी तरफ से ऐसा कोई दावा नहीं कर रहे हैं कि इसमें कोई भ्रष्टाचार हुआ है क्योंकि हमें अभी तक उसके कोई सबूत नहीं मिले लेकिन कॉमन सेंस यह कहती है कि हुआ होगा और आज इस मामले की जांच करना बहुत आवश्यक है वरना हमारे देश के जो करोड़ों हिंदू हैं उनकी आस्था का यह अपमान माना जाएगा उनकी आस्था के साथ मजाक माना जाएगा और यह करोड़ों हिंदू जो हैं इनका मंदिर के प्रसाद से हमेशा के लिए विश्वास उठ जाएगा जोक बहुत बुरी बात है।
आज इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपने को आरोपों को फिर से दोहराया जबकि वाईएसआर कांग्रेस ने इस मामले में हाई कोर्ट में एक दायर करके यह मांग की है कि हाई कोर्ट को चंद्रबाबू नायडू के की जांच के लिए एक कमेटी बनाकर बाकायदा एक जांच करवानी चाहिए पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने आज कहा कि चंद्रबाबू नायडू के आरोप बिल्कुल बेबुनियाद हैं और वह इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखेंगे और तथ्यों को कर पेश करने के लिए चंद्र बाबू नायडू के कार्रवाई करने की मांग करेंगे तो जगनमोहन रेड्डी ने पहली बार आज इस पूरे विवाद पर अपना मुंह खोला है।
क्या उन्होंने कहा है आज आप देखिए लेकिन यह घी का घोटाला तो है लेकिन अब इस पर राजनीति भी जबरदस्त चल रही है और राजनीति हो रही है चंद्र बाबू नायडू और जगनमोहन रेड्डी के बीच ने कंप्लेंट प्रसाद कंप्लेंट इ नान्य अ सनाथन धर्मा आप में से बहुत सारे लोगों को यह बात शायद पता नहीं होगी कि पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी हिंदू नहीं है बल्कि वो ईसाई धर्म को मानते हैं और वो एक क्रिश्चन जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था तब वर्ष 1930 के दशक में जगनमोहन रेड्डी के परदादा ने हिंदू धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म को अपना लिया था और जगनमोहन रेड्डी ने भी कभी अपने धर्म को लोगों से छिपाने की कोशिश नहीं की वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री बनने के बाद वह इजराइल के वेस्ट बैंक गए थे जहां ईसा मसीह का जन्म हुआ था और यही कारण है कि अब इस विवाद के बाद यह सवाल यह राजनीतिक सवाल उठ रहा है कि क्या इस साई धर्म को मानने वाले जगनमोहन रेड्डी ने अपनी सरकार में हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाई और तिरुपति मंदिर के प्रसाद में इतना बड़ा पाप किया पाप मिला दिया।
यानी प्रसाद में पाप जगनमोहन रेड्डी खुद पर लग रहे आरोपों को खारिज कर रहे हैं और अपने परिवार की कसम भी खा रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस मामले को इतना बड़ा बना दिया है कि इससे 88 प्र हिंदुओं की आबादी वाले आंध्र प्रदेश में जगनमोहन की राजनीति खत्म भी हो सकती है यानी अब एक राजनीति नई प्रकार की शुरू हुई है चंद्रबाबू नायडू और जगनमोहन रेड्डी के बीच और बहुत सारे लोग तो यह भी कह रहे हैं कि असल में इसमें घी का कोई लेना देना नहीं है असल में यह राजनीति है और क्योंकि चंद्रबाबू नायडू इतने मजे हुए खिलाड़ी हैं।
राजनीति के उन्होंने मुद्दा भी ऐसा चुना है जो मुद्दा हर हिंदू के घर तक जाएगा हर हिंदू के दिल तक जाएगा हर हिंदू के तक जाएगा और उन्होंने यह मुद्दा उठाकर यह बताने की कोशिश की है कि जगनमोहन रेड्डी ने हिंदुओं की आस्था का अपमान किया है और यह एक बहुत बड़ा राजनीतिक मुद्दा आगे चलकर बन सकता है यह ऐसा मुद्दा है जिस पर चुनाव जीते जा सकते हैं और चुनाव हारे जा सकते हैं आज तिरुपति मंदिर के एक पूर्व पुजारी ने यह दावा किया कि उन्होंने प्रसाद में खराब क्वालिटी के घी के इस्तेमाल को लेकर कई बार इस ट्रस्ट को शिका की इस बोर्ड को शिकायतें की लेकिन यह जो समिति है बोर्ड है मंदिर का इस मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्षों ने कभी भी इन शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया लास्ट फ यर यूज फर प्रिपरेशन ऑफ राइस राइटी प्रसादम एंड स्वीट स्वीट डल ल थ स ल थि बीन बटिंग टू अदर ऑफिसर नन नोटिस ऑफस न्यू गवनमेंट टेकन व टू इन प्रोग्राम नाउ देर प्लानिंग टू बा य जो मंदिर समिति है असल में इसे बहुत ही प्रतिष्ठित समिति माना जाता है और आंध्र प्रदेश की राजनीति से जो लोग वाकिफ हैं वह यह जानते होंगे कि इस समिति का सदस्य बनने के लिए बड़े-बड़े नेता पूरी ताकत लगाते हैं बड़े-बड़े नेता पूरा जोर लगाते हैं और इस समिति का सदस्य बनना भी अपने आप में एक बहुत प्रतिष्ठा की बात मानी जाती है और राजनीतिक रूप से भी यह जो मंदिर समिति है यह बड़ी शक्तिशाली मानी जाती है।
इसलिए बड़े-बड़े नेता चाहते हैं कि यह कि उनका किसी ना किसी तरीके से उनके कोई परिवार का सदस्य इस मंदिर समिति में जरूर आ जाए मंदिर समिति के पूर्व सदस्यों का कहना है कि तिरुपति मंदिर के पास अपनी खुद की एक लैब है जिसमें प्रसाद के लिए आने वाले घी और दूसरे सामान की जांच की जाती है और जब यह सामान तय मानकों पर खरा उतरता है तभी इससे प्रसाद के लड्डू बनाए जाते हैं और यह बात सही भी है इसमें कोई गलत बात नहीं है लेकिन यहां एक तथ्य यह भी है कि मिलावटी घी में जिस तरह से जानवरों की चर्बी और फैट को मिलाया जाता है वह मिला मिलावट कई बार लैब की जांच में भी पकड़ी नहीं जाती इस पर अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन ने एक स्टडी की और यह बताया कि इस समय दुनिया में ऐसी कोई स्पष्ट टेक्नोलॉजी विकसित नहीं हुई है जिससे जानवरों की चर्बी और उनके फैट से बने घी की पहचान बिल्कुल ठीक तरीके से की जा सके और इसी बात का फायदा उठाकर बाजारों में नकली घी बिकता है ।
और आज ये मामला सिर्फ तिरुपति मंदिर के लड्डुओं का और मंदिर के प्रसाद का नहीं है आज हम तो यह कहना चाहते हैं कि अगर आज भारत सरकार या राज्य की सरकारें देश के किसी भी इलाके से किसी भी शहर से किसी भी राज्य से मिठाई की दुकानों पर जो लड्डू बिक रहे हैं उन लड्डुओं को अगर उनका सैंपल लेकर किसी भी लैब में जांच कराने के लिए भेजे तो शायद इन तमाम लड्डुओं के घी में भी यही जानवरों की चर्बी और फैट निकलेगा क्योंकि हमारे देश में इतनी गाय और भैंस है ही नहीं इतना दूध हमारे देश में इतना पैदा ही नहीं होता जिस जिससे शुद्ध देसी घी की इस डिमांड को पूरा किया जा सके।
इस कैलकुलेशन को भी आप एक बार जरा देखिए उससे आपको पता चलेगा कि हो सकता है आप भी नकली देसी घी ही खा रहे हो और आप सोचते होंगे कि आपको बड़ी पहचान है देसी घी की आप सोचते होंगे कि आप में से बहुत सारे लोग ऐसे होंगे आपके परिवार में जो कहेंगे कि हम तो सूंघ कर बता देंगे कि यह घी असली है या नकली और दानेदार घी जैसा होगा हम हाथ में पकड़ेंगे और घी के दानों को देखकर बता देंगे कि यह देसी घी असली है या नकली अब जरा यह कैलकुलेशन देखिए गणित देखिए भारत में हर साल लगभग 23000 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है 23000 करोड़ लीटर एक साल में जिसमें से घी बनाने के लिए सिर्फ 10 पर दूध ही उपलब्ध होता है है और यह 10 पर होता है 2300 करोड़ लीटर दूध और 1 किलो घी बनाने के लिए लगभग 30 लीटर दूध की आवश्यकता होती है।
20 से 30 लीटर कहीं भी अगर 20 से 30 लीटर दूध आप इस्तेमाल करेंगे तब 1 किलो घी निकलता है इसका मतलब यह हुआ कि इतने दूध से पूरे साल में 76 करोड़ किलो घी ही बन सकता है जबकि हमारे देश की आबादी 145 करोड़ है और अगर हम यह मान लें कि इन 145 करोड़ लोगों में आज आध लोग भी घी खाते हैं तो उन्हें साल भर के लिए एक किलो ही घी मिलेगा जबकि हर साल व्यक्ति साल भर में अधिकतम चार से पाच किलो घी खाने का इस्तेमाल तो करता ही है और इससे आप यह समझ सकते हैं कि हमारे देश में जितना घी चाहिए उतना दूध है ही नहीं यानी हमारी जो घी की डिमांड है अगर उसे बनाने के लिए जितना दूध की आवश्यकता है उतना दूध हमारे देश में पैदा ही नहीं होता।
इसका मतलब क्या हुआ कि जितना दूध पैदा हो रहा है उससे तो कहीं बहुत कम घी निकलेगा बाकी का सारा घी इस बाजार में मिलावटी है और नकली है और इसी के कारण जानवरों की चर्बी से मिलावटी घी बनाया जाता है और यह घी आपके घर से लेकर आपकी रसोई से लेकर मिठाई की दुकान तक और अब शायद मंदिर के प्रसाद तक पहुंच चुका है और हो सकता है कि देश के बाकी मंदिरों में भी ऐसे ही मिलावटी घी का इस्तेमाल हो रहा हो यहां आपके मन में यह सवाल भी होगा कि तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में बीफ टैलो लाड और मछली के तेल ही क्यों मिला तो इसकी वजह यह हो सकती है कि नकली घी बनता ही इन्हीं चीजों से है इसमें लाड उस सफेद पदार्थ को कहते हैं जो की चर्बी को पिघलाने पर निकलता है और यह बिल्कुल घी जैसा दिखता है जब मिलावटी घी बना बनाया जाता है तो उसे दानेदार बनाने के लिए और उसमें घी जैसे सफेद परत और चिकनाहट पैदा करने के लिए जानवरों की चर्बी पिघलाकर डाली जाती है और इससे असली और मिलावटी घी के बीच का जो फर्क होता है वह खत्म हो जाता है।
1 किलोग्राम घी को तैयार करने के लिए उसमें जानवरों की 500 ग्राम चर्बी 300 ग्राम रिफाइंड पाम ऑयल और फिश ऑयल इसमें रिफाइंड ऑयल होगा पाम ऑयल होगा फिश ऑयल होगा 200 ग्राम असली देसी घी और 100 ग्राम केमिकल मिला जाता है और यह वही केमिकल होते हैं जिससे जानवरों की चर्बी वाले घी से शुद्ध देसी घी की सुगंध आने लगती है और जब आप बाजार में घी खरीदने के लिए जाते हैं तो आप क्या देखते हैं आप देखते हैं उसकी सुगंध कैसी है बड़े-बड़े हमारे लोग ऐसे हैं जो कहते हैं हम सूंघ के बता देंगे तो वह पहले सूंघ हैं सुगंध आप देखते हैं कि कैसी है फिर देखते हैं रंग कैसा है रंग से भी पता चलता है फिर देखते हैं उसमें चिकनाहट कैसी है और फिर देखते हैं कि वह घी कितना तना दानेदार है और अगर यह सारी चीजें आपको बढ़िया दिखती है सूंघने में बढ़िया है।
दानेदार है रंग बहुत अच्छा है चिकना भी है तो आपको लगता है कि हमने शुद्ध देसी घी खरीद लिया और फिर आप अपने परिवार को अपने प्रिय लोगों के लिए प्यार से जब खाना बनाते हैं तो हमेशा कहते हैं कि आज जरूर खाइए पेट भर के खाइए क्योंकि हमने आज शुद्ध देसी घी में खाना तैयार किया है कड़वा सच यह है किय सारी चीजें जानवरों की चर्बी और फैट वाले घी में भी होती हैं जिसके कारण बाजारों में सरकारों की नाक के नीचे नकली और मिलावटी घी बेचा जाता है और तिरुपति मंदिर में भी जो घी इस्तेमाल हुआ होगा या जो आपके घरों में भी घी इस्तेमाल हो रहा होगा यह वही मिलावटी घी हो सकता है और यह बात सरकारें भी मान चुकी हैं।