गजल सम्राट जगजीत सिंह ने अपनी मधुर और मखमली आवाज से करोड़ों लोगों के दिलों में खास जगह बनाई और उन्हें अपने मधुर सुर में बांध लिया भले ही आज वह हमारे बीच नहीं है लेकिन कलाकारों की मौजूदगी वक्त की मोहताज नहीं होती उनकी कला ही सदियों तक अपने अस्तित्व को बनाए रखती हैं और जगजीत सिंह बेशक एक मकबूल कलाकार थे उनकी गीतों की तो दुनिया दीवानी थी और आज तक उनकी गजलों और गीतों का खुमार दर्शकों पर चढ़ा रहता है अपनी जिंदगी में कई संघर्ष करते हुए जगजीत ने कामयाबी हासिल की थी और गजल सम्राट बने अपनी मखमली आवाज से संगीत प्रेमियों के दिलों को जीतने वाले जगजीत सिंह की आज 84 वं जयंती है.
जगजीत सिंह के चले जाने के बाद भी उनकी कला की दीवानगी कम नहीं हुई तो चलिए इस बार जगजीत सिंह की जयंती के मौके पर जानते हैं उनकी जिंदगी के जुड़ी कुछ खास बातें जगजीत सिंह की गजलें दशकों से मोहब्बत करने वालों को सुकून देती आ रही हैं लोग उनकी आवाज में अपने प्यार की कशिश महसूस करते हैं जिसकी वजह कहीं ना कहीं सिंगर चित्रा सिंह के लिए उनकी मोहब्बत रही है जिनके साथ उनकी लव स्टोरी किसी फिल्मी कहानी जैसी लगती है जगजीत सिंह संगीत की दुनिया के सबसे सुरीले और कामयाब गजल गायकों में शुमार है.
इंसानी जज्बात को जिस तर तरह से उन्होंने सुरू में पिरोया है वैसा कम ही गायक कर पाते हैं जगजीत सिंह की खासियत यह भी रही कि उन्होंने गजल को सरल रूप में आम आदमी तक पहुंचाया जो उनकी लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह रही 25 साल का करियर और सैकड़ों गाने गाकर सिनेमा के गजल किंग कहे जाने वाले जगजीत सिंह की आवाज में इतनी मिठास थी कि सुनने वालों के दिल के तार छेड़ दिया करते थे चिट्ठी ना कोई संदेश कोई फरियाद तुमको देखा तो और तुम इतना जो मुस्कुरा रही हो जैसे इन सदाबहार गानों को भले ही सालों बीत गए हैं लेकिन इन्हें आज भी बड़ी तसल्ली से सुना जाता है गानों की तरह जगजीत सिंह के मोहब्बत की दास्तान भी बड़ी मशहूर रही है.
एक शादीशुदा महिला के प्यार और शादी की कहानी किसी रोमांटिक फिल्म से कम नहीं है तो चलिए आपको गजल के राजा जगजीत और रानी चित्रा दत्ता के मोहब्बत की दास्ता से रूबरू कराते हैं 8 फरवरी 1941 को बीकानेर में जन्मे ज जीत सिंह पंजाब के जालंधर में पले बढ़े बचपन से ही उनमें संगीत का कीरा था उन्होंने उस्ताद जमाल खान और पंडित चगन लाल शर्मा से संगीत की तालीम ली भले ही पिता ने जगजीत को संगीत के गुण सिखाने के लिए प्रोत्साहित किया.
लेकिन वह चाहते थे कि उनका बेटा इंजीनियर बने मगर जगजीत को तो पहले से ही संगीत से इश्क हो गया था पढ़ाई के दौरान ही जगजीत सिंह संगीत से जुड़े छोटे-मोटे काम करने लगे थे उन्हें ऑल इंडिया रेडियो में में कंपोजिंग असाइनमेंट भी मिलने लगे थे वह जंगल वगैरह गाकर अपने संगीत को और मजबूत बनाने लगे थे एक रोज वह अपने माता-पिता को बिना बताए बॉम्बे यानी अब मुंबई भाग आए और म्यूजिक की दुनिया में पहचान हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने लगे जगजीत सिंह बॉम्बे संगीत के लिए आए थे लेकिन यहां उन्हें जिंदगी भर की मोहब्बत मिल गई जब 60 के दशक में वह बॉम्बे आए तो कुछ समय तक उन्होंने संघर्ष किया तब किस्मत ने उनकी मुलाकात गजल की क्वीन चित्रा दत्ता से करवाई जो आगे चलकर उनकी जीवन संगिनी बनी हालांकि जब दोनों की मुलाकात हुई तब चित्रा पहले से ही शादीशुदा और एक बेटी की मां थी आपने कई बार पहली नजर का प्यार वाली कहानी सुनी होगी लेकिन जगजीत सिंह और चित्रा दत्ता के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं था उनकी मोहब्बत की दास्तान नोक झूक से हुई थी यहां तक कि फर्स्ट टाइम जगजीत की आवाज सुनकर चित्रा ने तो तौबा कर लिया था एक बार चैट शो जीना इसी का नाम है पर चित्र दत्ता ने जगजीत के साथ अपनी पहली मुलाकात का किस्सा सुनाया था.
चित्रा ने बताया था कि उन्होंने जगजीत को पहली बार कहां देखा था और उनकी आवाज सुनकर क्यों तौबा कर लिया था उन्होंने कहा था मैंने उन्हें पहली बार पड़ोसी के घर की बालकनी में देखा था जहां वो गाना गाने के लिए आए थे उन्हें नहीं पता था कि मैं उन्हें निहार रही हूं गाने के बीच उन्होंने थोड़ा ब्रेक लिया था और बालकनी में आए थे मैं अपनी बालकनी में खड़ी थी और उनकी आवाज सुन रही थी जब वो बाहर आए तो मैंने उन्हें वाइट कलर टाइट पैंट और शर्ट में देखा वो आए टहले और चले गए चित्रा ने इसी चैट शो में खुलासा किया था कि जब वह जगजीत उनके पड़ोसी के घर में गाना गा रहे थे तब हर कोई उनकी आवाज का कायल हो गया था मगर एक वही थी जिन्हें उनकी आवाज जरा भी रास नहीं आई उन्होंने अपना माथा पकड़कर तौबा ही कर लिया था.
चित्रा ने कहा था अगली सुबह मुझे किसी ने कहा था कि एक नया लड़का आया है जो बहुत अच्छा गाता है मैंने पिछली रात में गाए हुए गाना का टेप सुना हर किसी ने कहा क्या आवाज है मैं सुना और कहा तौबा यह कोई आवाज है कहा जाता है कि उस वक्त चित्रा जगजीत के साथ काम करने के लिए राजी नहीं थी क्योंकि उनकी आवाज पतली थी और जगजीत की आवाज भारी थी कहा जाता है कि चित्रा के साथ गाने से मना करने पर जगजीत सिंह भी काफी नाराज हो गए थे हालांकि बाद में चित्रा ने जगजीत के साथ गाने के लिए राजी हो गई थी जगजीत सिंह और चित्रा दत्ता का साथ किस्मत में लिखा था यही वजह थी कि देवो प्रसाद दत्ता के साथ शादी में रहने के बावजूद जगजीत और चित्रा का साथ मुकम्मल हो पाया 60 के दशक के आखिर दौर में चित्रा को पता चला कि उनके पति का किसी और के साथ अफेयर चल रहा है तो वो टूट गई थी वो पति को छोड़कर अलग रहने लगी थी.
उन्होंने लोगों से बात करना भी बंद कर दिया था मगर जगजीत उन चुनिंदा दोस्तों में से एक थे जिनकी वो टच में थे एक रोज जगजीत सिंह ने धड़ल्ले से बिना हिज की चाए चित्रा के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया मगर उस वक्त वह कंफ्यूज थी क्योंकि उनका देबू प्रसाद से तलाक चल रहा था हैरानी की बात तो तब थी जब जगजीत चित्रा के पूर्व पति से उनका हाथ मांगने चले गए थे उन्होंने देबो से कहा था मैं आपकी पत्नी से शादी करना चाहता हूं जगजीत सिंह और चित्रा दत्ता ने साल 1969 में बिना किसी धूमधाम के मंदिर में शादी कर ली थी दोनों के पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ बहुत अच्छी चल रही थी उनका एक बेटा भी हुआ जिसका नाम विवेक था चित्रा और जगजीत की खुशहाल जिंदगी में उस वक्त ग्रहण लगा जब उन्होंने मात्र 19 साल की उम्र में अपने बेटे को हमेशा के लिए खो दिया था बेटी की मौत का सदमा ऐसा लगा कि चित्रा और जगजीत ने करीब एक साल के लिए म्यूजिक से दूरी बना ली थी बाद में धीरे-धीरे जगजीत ने गायकी में वापसी की .
लेकिन चित्रा ने हमेशा के लिए संगीत से अलविदा ले लिया दोनों म्यूजिक इंडस्ट्री को कई हिट गानों और गजल से नवाज चुके हैं उन्हें गजल की क्वीन और किंग कहा जाता है.