दो बदकिस्मत बाप-बेटे, जिन्हें मिला दर्दनाक अंत।

आज हम आपको एक्टर पिता पुत्र के दर्दनाकअंत की जानकारी देने जा रहे हैं पिता 70 80 के दशक की फिल्मों का एक मशहूर विलन हुआ करता था वहीं बेटा 90 के बॉलीवुड का जाना पहचाना नाम था इन दोनों की मौत केबड़े में जानकर आप चौक उठाएंगे सबसे पहले बात करते हैं पुरानी हिंदी फिल्मों केमशहूर विलन यशराज की जिनको आप उनके किरदार जुबिस्को के नाम से जरूर जानते होंगे उनकेदर्दनाक अंत के बड़े में बताने से पहले हम आपको उनके युसूफ खान से यशराज बने की कहानी बताते हैं अगर आपने उनकी फिल्म अच्छी होगी तो आपको भी जरूर लगा होगा की वो भारतीय नहीं लगता थे।

जी हां वह भारत नहीं बल्कि मित्र में पैदा हुए थे एक मैं1940 को जन्मे इस बेमिसाल अभिनेता का पूरा नाम बचपन से ही इनको एक शौक था फिल्मों में कमकरने का खासकर वहां भारतीय फिल्में काफी मशहूर हुआकरते थे इन्हीं हिंदी फिल्मों को वो देख देख कर बड़े हुए तो शौक चढ़ गया हिंदीसिनेमा में आने का 60 का दशक चल रहा था वह करीब 25 26 साल के रहे होंगे उन्होंने पैसा इकट्ठा किया और मिश्रा छोड़कर सीधा चले आए भारत और पहुंचे माया नगरी मुंबई नातो उन्हें हिंदी आई थी और ना ही कोई जान पहचान थी बस हीरो बने के लिए भटकना शुरूकर दिया हिंदी सीखने लगे और डायरेक्टर प्रोड्यूसर के ऑफिस से लेकर स्टूडियो केचक्कर भी काटने लगे जहां भी जाते हैं वहां लोग इनके गोरेचिट्ठे और सुडोल शरीर को मड मड कर देखा करते लेकिन कम कोई भी नहीं दे रहा था।

करीब 2 साल तक ऐसे ही भटकती रहे फिर एक दिन किस्मत ने साथ दिया यह बात 1967 के आसपासकी होगी जब डायरेक्टर गीता प्रिया की नजर इन पर पड़ी और उन्होंने इन्हें अपनी फिल्मका हीरो बना दिया 1969 में यह फिल्म आई इस फिल्म का नाम थाजंगल की हसीना ये फिल्म सुपर फ्लॉप साबित हुई और युसूफ फिर से पहचान के लिए भड़कानेलगे इतने सालों में उनकी दोस्ती कुछ फिल्मी कलाकारों से हो गई थी उन्होंनेसलाह दी की अगर अपना नाम बादल लो तो शायद कुछ कम बन सकता है उन दोनों बॉलीवुडसितारों के बीच यह फिल्मी नाम रखना का बड़ा चालान था युसूफ को भी यह बात समझ मेंए गई और उन्होंने अपना नाम युसूफ आबू शेर से बदलकर यश राज रख लियाअब इसे इत्तेफाक कहें या नसीब लेकिन नए नाम ने इनकी किस्मत सच में बदलना शुरू करदी उनको फिल्मों में रोल मिलने लगे।

1970 के आसपास मोहम्मद एक फिल्म बना रहे थे इसफिल्म के लिए मोहम्मद ने अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिंह को साइन कर लिया थाबस उनको इस फिल्म में एक बॉक्सर के रोल के लिए एक नया चेहरा चाहिए था यशराज बन चुकेयुसूफ मोहम्मद से मिले और वह मोहम्मद को पसंद भी ए गए1972 में यह फिल्म आई जिसका नाम था मुंबई तू गोवा इस फिल्म में एक बरसी बॉक्सर केरूप में युसूफ नजर आए उनका मोहम्मद के साथ एक फाइटिंग सीन बड़ा मशहूर हुआ था और इसी फिल्म से पहले बार युसूफ की पहचान दर्शकों के बीच बन गई मोहम्मद को तो वह इतनेज्यादा पसंद आ चुके थे की उन्होंने अपनी अगली फिल्म ग्राम मसाला में भी उनको एकरोल ऑफर कर दिया इसके बाद उनको फिल्म में मिलनी भी शुरू हो गई।

जैसे 1973 में आईफिल्म नैना 1974 में दो फूल और दुनिया का मेला1975 में धर्मात्मा और 1976 में हरफान मौला लेकिन रोल उनको नेगेटिव ही मिलते रहे लेकिन उन्हें स्वस्थतर में एक फिल्म आई जस्ट फिल्म ने उनकी पहचान ही बादल डालीमशहूर डायरेक्टर मनमोहन देसाई अमिताभ बच्चन ऋषि कपूर और विनोद खन्ना को लेकर एकफिल्म बनाने जा रहे थे उन्होंने एक दिन युसूफ को बुलाया और बहुत ही महत्वपूर्णकिरदार युसूफ को दे दिया बस यही से युसूफ की किस्मत का सितारा बुलंद हो गया रोल मिला था।

फिल्म तो हिट हुई साथी साथयुसूफ का किरदार भी इतना ज्यादा हिट हो गया की लोग इस फिल्म के बाद ए को जुबेस्कोके नाम से ही जन लगे इसके बाद तो युसूफ ने एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्मों में कमकिया जैसे परवरिश विश्वनाथ दो देश प्रदेश मुकद्दर का सिकंदर कर्ज नसीब डिस्को डांसरऔर बॉक्सर जैसी फिल्मों में कम करने के बाद युसूफ अब 70 और 80 के दशक के बड़ेखलनायकों की लिस्ट में शामिल हो गए उनका करियर अब हर साल एक नई उड़ान भरत जा रहाथा लेकिन एक दिन अचानक सब तबाह हो गया युसूफ खान ने भारत में ही शादी की थी

फैजान नाम की एक लड़की से दोनों के तीन बच्चे हुए फ़राज़ फहदसब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था साल 1985 की बात है वह एक फिल्म की शूटिंग करने गए हुएथे उसे दिन सुबह से शूटिंग शुरू हो गई थी युसूफ के सीन से शूट हो रहे थे और तभीअचानक युसूफ की तबीयत बिगड़ना लगी उनके सर में बहुत तेज दर्द होने लगा और वो वहींसेट पर लडखडाना लगे लोगों को कुछ समझ ही नहीं आरहा था की आखिर हो क्या रहा है जबतक कोई कुछ समझ पता वह अचानक लड़खड़ाते हुए बेहोश हो गए सेट पर हर कम को मैच गया ।

फौरन उन्हें अस्पताल ले जय गया जहां डॉक्टर ने चेक किया तो पता लगा की हो चुकी थी अल में उन्हें एक दिमागी बीमारी थी जिसकी उन्हें खबर ही नहीं थी औरइसी बीमारी की वजह से उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया था सिर्फ 45 साल की उम्र में इसअभिनेता की मौत हो गई दोस्तों बड़ी हैरानी की बात है की पिता जैसी किस्मत ही बेटा भीलिखवा कर लाया 1987 के आसपास बात है राजेश्वरीप्रोडक्शंस एक बड़े बजट की फिल्म बनाने जा रहा था लीड हीरो के लिए ऑडिशंस चल रहे थे50 से 55 लड़के इस ऑडिशन में पहुंचे इनमें सलमान खान बिंदु दारा सिंह से लेकर दीपकतिजोरी भी थे इनके साथ ही 17-18 साल का एक खूबसूरत लड़का भी आया था उसकी एक्टिंग को देखते ही सूरज पर जाते और सब कुछ भूल गए और उसे लड़के को फाइनल भी कर दिया मगरकिस्मत ने बाजी ऐसी पलटी की वह खूबसूरत लड़का रातों रात बाहर हो गया और सलमान खानइस फिल्म के हीरो बनकर रातों रात स्टार बन गए उसे युवक की बदकिस्मती ने पुरी जिंदगीउसका साथ नहीं छोड़ बात हो रही है फ़राज़ खान की जो 90 के दशक के हिंदी सिनेमा काएक जाना पहचाना चेहरा हुआ करते थे 27 मैं 1970 को मुंबई में पैदा हुए फ़राज़ खानएक्टर युसूफ खान के सबसे बड़े बेटे थे क्योंकि पिता फिल्मों में थे तो बेटे कोभी एक्टिंग का शौक चढ़ गया था सबसे खास बात यह थी की उनका चेहरा और कद काठी भीहीरो से कम नहीं थी बस किस्मत ने अगर साथ ना छोड़ होता तो उनका रुतबा कुछ और ही होता।

जी हां राजश्री प्रोडक्शन की वो फिल्म जिसने सलमान खान को रातों रात स्टारबना दिया था दरअसल वो सलमान खान को मिली ही नहीं थी मैंने प्यार किया की असली हीरोतो फ़राज़ खान थे हुआ यह की सूरज

मा जाते या ने बतौर हीरो उनको साइन कर लिया थाइन्हें एडवांस फीस भी दे दी गई थी लेकिन जी दिन शूटिंग शुरू होने वाली थी उससे एकदिन पहले सूरज बाढ़ जाते को पता चला की फ़राज़ की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई हैकई दोनों के इंतजार के बाद भी फ़राज़ की तबीयत में कुछ सुधार नहीं ए रहा था जबशूटिंग डिले होती जा रही थी तो राजेश्वरी वालों को बड़ा फैसला लेना पड़ा।

सूरज बाढ़जाते जगह सलमान खान को हीरो बना दिया इसी फिल्मने सलमान खान को रातों रात सुपरस्टार बना दिया अगर फ़राज़ की तबीयत ना बिगड़ी तोमैंने प्यार किया के हीरो फ़राज़ ही होते और तब कहानी शायद कुछ और होती खैर कुछ सालबीते और एक बार फिर उनकी लॉन्चिंग की तैयारी शुरू हुई1994 के आसपास की बात है विक्रम भट्ट एक फिल्म बनाने जा रहे थे उन्हें इस फिल्ममें लीड हीरो के रोल के लिए एक एक्टर चाहिए था जो दिखने में डॉक्टर जैसा लगताहो जब फ़राज़ ऑडिशन देने पहुंचे तो विक्रम भट्ट को फ़राज़ के अंदर अपना हीरो नजर एगया बस फिर क्या था फ़राज़ को इस फिल्म के लिए फाइनल कर लिया गया 1996 में परी फिल्मसुपरहिट साबित हुई।

मगर डॉक्टर बने फराज से ज्यादा मशहूर हो गए इस फिल्म मेंइंस्पेक्टर बने मिलिंद गुनाजी इसके बाद इन की सबसे मशहूर फिल्म जो रानी मुखर्जी केसाथ थी मेहंदी जो 98 में आई फ़राज़ फिल्म के हीरो तो थे लेकिन उसे फिल्म में उनकाकिरदार एक दहेज लोभी पति का था यह फिल्म खूब चली लेकिन बदकिस्मती ने यहां भी उनकोनहीं छोड़ मेहंदी फिल्म के बाद इनकी छवि नेगेटिव बन गई इसके बाद इनकी कर फिल्मेंआई दुल्हन बानो मैं तेरी दिल ने फिर याद किया बाजार और चंद बुझ गया
अफसोस की किसी भी फिल्म को दर्शकों ने पसंद नहीं किया और इसके बाद तो फिल्ममार्क्स ने उन्हें कम देना ही बैंड कर दियाफ़राज़ ने घर चलने के लिए टीवी का रुख कर लिया यहां वह कुछ हॉरर शोस में भी नजर आएइसके बाद फ़राज़ टीवी और बॉलीवुड की दुनिया से गायब रहने लगे और साल 2008 के बाद उन्हें टीवी पर भी कममिलन बैंड हो गया।

फिर कई साल बाद 2020 की बातखबर यह थी की फ़राज़ बेंगलुरु के अस्पताल में भारती हैं उनके साइन में इंफेक्शन होगया था जो साइन से होता हुआ दिमाग तक फेल गया और उनकी हालात से गंभीर हो गई दिमागमें इंफेक्शन इतना ज्यादा बाढ़ गया था की वो अपने भाई मेहमान खान को पहचाना भी भूलगए थे उनके इलाज के लिए पैसे नहीं थे तब सलमान खान ने 2500000 देकर उनके इलाज केसारे बिल का थे एक महीने तक फ़राज़ अस्पताल में भारती रहे और दिन-ब-दिन उनकीहालात और ज्यादा बिगड़ी ही जा रही थी कोई एंटीबायोटिक दवा उनके शरीर पर कम ही नहींकर रही थी और फिर 4 नवंबर 2020 के दिन 49 साल की उम्र में फ़राज़ की हो गईबाद में उनके भाई मेहमान ने यह खुलासा किया था की फ़राज़ की मौत ब्लैक फंगस केकरण हुई थी इस की जानकारी उनकी मौत के 6 महीने बाद हुई थी इतनी कम उम्रमें पिता की तरह ही उनकी मौत ने उनके चने वालों को हैरान कर दिया था

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