बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के लिए केंद्रीय नेताओं में से एक दिलीप कुमार साहब का 98 साल की उम्र में देहांत हो गया देहांत की खबर ने पूर्व वृष्टि में शोक की लहर थोड़ा रानी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े सभी सितारों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की आज बुधवार की सुबह को उन्हें अपने अंतिम सांस ली उन्हें अपनी लाइफ में एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया है लेकिन बावजूद इसके उनकी अंतिम इच्छा अधूरी रह गई ।
दरअसल पाकिस्तान के पेशावर में जन्मे दिलीप कुमार साहब की पुश्तैनी हवेली आज भी वहां के रिहायशी इलाके किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित है दिलीप कुमार चाहते थे कि इस हवेली को म्यूजियम में बदल दिया जाए ताकि उनके पुरखों की यादों को संजोया जा सके आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि पाकिस्तान सरकार ने 2018 में दिलीप कुमार साहब की पुश्तैनी हवेली को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था उनकी पुश्तैनी हवेली को औपचारिक शरण देने की प्रक्रिया चल रही थी।
लेकिन उससे पहले ही दिलीप साहब दुनिया को अलविदा कह गए थे वर पक्ष के प्रांत की सरकार ने दिलीप साहब की पुश्तैनी हवेली को म्यूजियम बनाने की पहल की थी इसके मौजूद आणि को इस काम के लिए 18 मई तक का वक्त दिया था।
बताते चले गए 1947 में भारत सरकार के बंटवारे से पहले दिलीप कुमार साहब का ज्यादातर वक्त इसी हवेली में गुजरा है यहां इस बात की जानकारी देना चाहेंगे कि खबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार ने दिलीप कुमार साहब के पुश्तैनी घर को 80 लाख रुपए में खरीद कर उसे दूसरे में बदलने का प्लान बनाया था।
पाकिस्तान सरकार चाहती थी कि इसके माध्यम से दुनिया को दिखाया जा सके कि बॉलीवुड के पेशावर ने क्या किया है अब दिलीप कुमार साहब की हवेली के बगल में ही राज कुमार साहब की पुश्तैनी हवेली भी है इसलिए कुमार के हवेली के मालिक पूल रहमान मोहम्मद ने कहा था कि सरकार को इसे मार्केट रेट यानी करीब साढे तीन करोड रूपए खरीदना चाहिए।
राज कपूर साहब की हवेली के मालिक अधिकाधिक ने हवेली के लिए 20 करोड़ रुपए की मांग की थी दिलीप कुमार साहब की पुश्तैनी हवेली और राज कपूर साहब की हवेली आसपास है यह दोनों इमारतें करीब सौ साल शुक्र है इन हवेलियों के मालिकों ने कई बार इन्हें गिराकर यहां कमर्शल कॉन्पलेक्स बनाने की कोशिश की लेकिन सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी।
बताते चलें कि पाकिस्तान के जिस मोहल्ले में दिलीप कुमार साहब राजकुमार का पैतृक घर है उसी मोहल्ले से शाहरुख खान का भी गहरा नाता है चावल निकाल में शाहरुख खान के पिता ताज मोहम्मद खान का जन्म हुआ था शाहरुख खान के पिता ताज मोहम्मद खान पेशे से वकील और एक्टिविस्ट्स आप 1947 के विभाजन के बाद से शाहरुख खान के पिता अपने पूरे परिवार को लेकर भारत चले आए थे इसके साथ हम आपको इस बात की जानकारी देना चाहेंगे कि दिलीप कुमार साहब का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था।
दिलीप कुमार साहब अपना नाम एक प्रोड्यूसर के कहने पर बदले थे जिसके बाद उन्हें स्क्रीन पर दिलीप कुमार के नाम से लोग जाने लगे थे बताते चलें कि दिलीप कुमार साहब की पहली फिल्म ज्वार भाटा की प्रोड्यूसर देविका रानी ने उन्हें यह नाम दिया था और दिलीप साहब ने इसकी जानकारी अपने लिखी किताब दिलीप कुमार दी सब्सटेंटिव एंड शैडो के जरिए फैंस को दी थी ।
उन्होंने बताया था कि कैसे मोहम्मद युसूफ खान से यह दिलीप कुमार बने दिलीप कुमार साहब ने अपने ब्लॉग में लिखा था कि देविका रानी ने मुझसे कहा कि यूसुफ मैं तुम्हें बतौर एक्टर लांच करने का सोच रही हूं और मैं सोचती हूं कि स्क्रीन पर तुम्हारा नाम बदलना सही आईडिया है कोई ऐसा नाम तुम्हें दिया जाए जो तुम्हें ऑडियो से कनेक्ट करें और रोमांटिक इमेज भर सके तुम्हारे स्क्रीन पर आते ही लोगों के दिमाग में छवि बन जाए।
मुझे लगता है कि दिलीप कुमार अच्छा नाम है यह मेरे दिमाग में अभी आया जब मैं तुम्हारे लिए यही नाम सोच रही थी तुम्हें कैसा लगा है अब दिलीप कुमार साह बताते हैं कि एक्टिंग करियर मैंने इसलिए चुना क्योंकि मुझे हुए चार फिगर मैं सैलरी काफी आकर्षित कर रही थी मेरे पिता एक्टिव को नौटंकी कहा करते थे ऐसे में मैंने सिर पर अपना नाम बदलना ठीक समझा लेकिन पिताजी को इस बारे में नहीं बताया कि उसे पिटाई होने का डर था।