‘बिजनेसमैन नहीं मसीहा’ रतन टाटा ने अपनी उतनी संपत्ति दान कर दी, जितने में पूरा राज्य बैठकर खाए !

मशहूर उद्योगपति रतन नवल टाटा अब नहीं रहे लेकिन उनके नाम के साथ कई किस्से कहानियां नथी हैं और रहेंगी टाटा ने अपने करीब दो दशक के नेतृत्व में टाटा ग्रुप को भरपूर आगे बढ़ाया और उन्होंने इस दौरान कई बड़े बिजनेस वेंचर्स को लीड किया लेकिन एक बात जो उनको बाकी बिजनेसमैन से अलग रखती है वो है उनका परोपकारी दिल रतन टाटा पूरी जिंदगी परोपकार यानी फिलांथस से जुड़े रहे।

सामाजिक कामों में टाटा का काफी दिल लगता था इसकी कई मिसाले हैं फिर चाहे हेल्थ केयर हो एजुकेशन सेक्टर हो या जानवरों से जुड़े काम भारत और विदेश में इनका खूब नाम हुआ इस वीडियो में हम बात करेंगे रतन टाटा द फिलांथस की उन्होंने सामाजिक कामों को करते हुए कितना लोगों का भला किया कितना डोनेशन दिया यह सब जानेंगे टाटा ग्रुप ने 18920 फी हिस्सेदारी टा ट्रस्ट के पास है इस हिस्सेदारी का डिविडेंड यानी लाभांश ट्रस्ट के पास आता है और यह पैसा ट्रस्ट हेल्थ और एजुकेशन जैसे सेक्टर्स में परोपकार के कामों में लगाता है हर साल ट्रस्ट करीब 1 200 करोड़ इन कामों में लगाता है।

रतन टाटा भी समय-समय पर अपनी आमदनी का एक हिस्सा टा ट्रस्ट को दान करते थे टाटा ट्रस्ट में जो भारतीय छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उसके लिए टाटा इनोवेशन फेलोशिप की शुरुआत की गई इसके तहत एलिजिबल कैंडिडेट्स को हर महीने ₹2500000 और टाटा स्कॉलरशिप दी जाती है टा ट्रस्ट 18929 इस समय ₹10 लाख का एजुकेशन लोन दिया जाता है और 7 साल में चुकाने की सुविधा मिलती है आपको बता दें टाटा शिक्षा एवं विकास ट्रस्ट ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी को 2008 में 28 मिलियन डॉलर यानी आज के तारीख में 235 करोड़ की स्कॉलरशिप दी थी जिसे कॉर्नेल यूनिवर्सिटी भारत की ग्रेजुएट स्टू स्टूडेंट्स को आर्थिक मदद दे सके ऐसा करने के बाद टाटा ट्रस्ट कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के इतिहास में सबसे ज्यादा डोनेशन देने वाला इंटरनेशनल डोनर बन गया था ।

रतन टाटा के निधन पर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी ने एक्स पर पोस्ट भी लिखा है और उन्हें श्रद्धांजलि दी है टाटा समूह ने मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी एमआईटी में एमआईटी टाटा सेंटर ऑफ टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन का भी गठन किया साथ ही 2019 में टाटा ट्रस्ट ने जम्मूकश्मीर और नॉर्थ ईस्ट में डीडी और बीडी के छात्रों के लिए 2 साल का स्कॉलरशिप प्रोग्राम शुरू किया इसी तरह टाटा समूह की कंपनियां और टाटा चैरिटी ने 2010 में हावर्ड बिजनेस स्कूल को 50 मिलियन डॉलर यानी आज के समय में करीब-करीब 4420 करोड़ का दान दिया था।

टाटा समूह ने 2014 में आईआईटी बॉम्बे को 50 मिलियन डॉलर यानी आज की तारीख में 7977 करोड़ का लोन दिया था टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजीज एंड डिजाइन टीसीटीडी का गठन किया गया ये संस्थान के इतिहास में अब तक का मिला सबसे बड़ा दान था टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल कैंसर ट्रीटमेंट के क्षेत्र में टाटा मेमोरियल देश की स्पेशलिटी है इस समय यह हॉस्पिटल मुंबई बनारस मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में है रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ट्रस्ट ने कई आपदाओं के दौरान भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई कोरोना महामारी के दौरान टाटा ट्रस्ट ने राहत कार्यों की शुरुआत की इस समय टाटा समूह की तरफ से 00 करोड़ का दान दिया गया था उन्होंने पीपीई किट मास्क जैसे जरूरी सामानों की आपूर्ति की और हेल्थ केयर सिस्टम को मजबूत करने में मदद की।

रतन टाटा ने टाटा इनोवेशन फंड की शुरुआत की नए एंटरप्रेन्योर्स को मौका दिया उन्होंने फंड से लेकर टेक्निकल सहायता की अपने जीवन के आखिरी दिनों में भी रतन टाटा जानवरों से जुड़े अपने ड्रीम प्रोजेक्ट पर ही काम कर रहे थे इसका नाम है पेट प्रोजेक्ट इसमें मुंबई के पशुओं के इलाज के लिए एक पांच मंजिला अस्पताल बनाया गया है इस अस्पताल में 200 से ज्यादा ब और 24 घंटे सुविधाएं मिलने की बात कही गई है साथ ही आईसीयू यूनिट सर्जिकल सर्विसेस फार्मेसी सर्विसेस डायग्नोस्टिक रेडियोलॉजी और इमेजिंग जैसी फैसिलिटी भी दी जाएंगी रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ट्रस्ट ने बुजुर्गों के लिए टाटा ट्रस्ट एल्डर केयर नाम से 2017 में एक कार्यक्रम चलाया इसका उद्देश्य भारत के बुजुर्गों के जिंदगी को बेहतर बनाना है यह प्रोग्राम बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य देखभाल उपचार प्रोत्साहन पुनर्वास प्रदान करता है आपको बता दें रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने एक औपचारिक बयान के जरिए इसकी पुष्टि की थी रतन टाटा ने 9 अक्टूबर की देर रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांसे ली ललन टॉप की तरफ से उनको विनम्र श्रद्धांजलि अब खबर के अंत।

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