राज कपूर और शाहरुख से अमीर था ये एक्टर, आखिरी दिनों में निकला था दिवालिया।

फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे कई सितारे हैं जिनके पास आज करोड़ों की दौलत है वहीं शाहरुख खान आज भारत के सबसे अमीर एक्टर बन गए हैं लेकिन एक समय ऐसा था जब ना तो राज कपूर और ना ही राजेश खन्ना बल्कि यह एक्टर देश का सबसे अमीर स्टार था आज हम बात कर रहे हैं 50 के दशक में फेमस हुए एक्टर भारत भूषण की अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने करोड़ों रुपए की दौलत जमा कर ली थी।

लेकिन एक समय ऐसा आया जब वह पाई पाई के लिए भी मोहताज हो गए थे भरत भूषण ने अपनी खूबसूरती और बेहतरीन एक्टिंग स्किल से भारतीय महिलाओं का दिल चुरा लिया था एक समय ऐसा था जब उनकी करोड़ों की संख्या में फैन फॉलोइंग थी लेकिन सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के बाद वह एक समय बाद धड़ाम से नीचे गिरे भारत ने बैजू बावरा आनंद मठ मिर्जा गालिब और मुड़-मुड़ के ना देख जैसी बेहतरीन फिल्मों में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया।

इस दौर में किस्मत भारत के साथ थी लेकिन यह सिलसिला ज्यादा नहीं चला भरत के दिन ऐसे बदले कि वह अर्श से फर्श पर आ गए भरत भूषण का जन्म 14 जून 1920 को मेरठ में हुआ उनके पिता राय बहादुर मोतीलाल वकील थे राय बहादुर अपने बेटे भरत को भी वकील ही बनाना चाहते थे लेकिन भरत की दिलचस्पी फिल्मों में एक्टिंग करने की थी लिहाजा भरत अलीगढ़ से ग्रेजुएशन करने के बाद मुंबई चले आए मुंबई आते ही उनका स्ट्रगल शुरू हो गया ऐसे में वह फिल्मों में रोल पाने के लिए भटकने लगे तभी उन्हें रामेश्वर शर्मा ने अपने फिल्म भक्त कबीर में काशी नरेश का रोल और ₹ महीने की नौकरी दी 1942 में रिलीज हुई भक्त कबीर उनकी पहली फिल्म थी इस फिल्म के बाद उनकी किस्मत ने उनका साथ दिया और उन्होंने भाईचारा सावन जन्माष्टमी बैजू बाबरा भारत भूषण की सुपरहिट फिल्म थी।

इस फिल्म से वो रातों-रात स्टार बन गए थे 50600 के दशक में भरत की किस्मत चमक गई थी उनकी कमाई भी अच्छी खासी होने लगी थी भरत की फिल्मी दुनिया में अब तक बेहतरीन नाम हो चुका था उनका गीत ओ दुनिया के रखवाले उनकी बेहतरीन अदाकारी का नमूना है भरत भूषण के चेहरे पर मासूमियत दिखती थी और अपनी फिल्मों में वह अधिकतर संस्कारी रोल में नजर आते थे ऐसे में उनके फैंस के मन में भी उनकी संस्कारी छवि बनी हुई थी।

लेकिन एक दफा उनके एक फैन ने बार में उन्हें देख लिया उसे इतना गुस्सा आया कि उसने भरत को जाकर चांटा जड़ दिया और कहा मैं तो आपको सीधा-साधा इंसान मानता था पर आप तो शराब पी रहे हैं भरत भूषण ने अपने भाई के साथ फिल्म दूज का चांद बनाई यह फिल्म बुरी तरह फ्लॉप रही जिससे भरत भूषण को काफी नुकसान उठाना पड़ा भरत भूषण अपने जमाने के सबसे अमीर एक्टर्स में से एक थे लेकिन उनके फिल्म बरसात के रात के ठीक 9 साल बाद भरत 49 साल की उम्र में लीड एक्टर्स के पिता के रोल निभाने लगे थे हद तो तब हो गई।

जब 1969 में आई फिल्म प्यार का मौसम में भरत ने शशि कपूर के पिता का रोल प्ले किया भरत नए जमाने के राजेश खन्ना शशि कपूर धर्मेंद्र जैसे स्टार्स के सामने टिक नहीं पाए और उनकी प्रोडक्शन कंपनी की लगातार फ्लॉप होती फिल्मों ने उनके फिल्मी करियर को पूरी तरह खत्म कर दिया और भूषण कंगाली की कगार पर आ गए भरत 1970 तक अपनी पूरी पर्टी बेच चुके थे और किराए के मकान में रहने लगे थे जहां एक तरफ भरत के पास बंगलों और लग्जरी गाड़ियों की कमी नहीं थी वहीं दूसरी ओर वह बसों में धक्के खाने लगे थे अपने एक ब्लॉग में अमिताभ बच्चन ने कहा था कि एक दिन मैंने भरत भूषण को बस में आम लोगों के बीच धक्के खाते हुए देखा था 50 के दशक में जो भारत सुपरस्टार हुआ करते थे।

ऐसे में वहां उन्हें कोई पहचान नहीं रहा था 1990 के दशक में उन्होंने फिल्म हमशक्ल और प्यार का देवता में जूनियर आर्टिस्ट का रोल प्ले किया लेकिन यहां भी उनकी किस्मत खराब रही और फिर उन्हें जूनियर आर्टिस्ट के रोल मिलना भी बंद हो गए कहा जाता है कि एक दौर में जिस स्टूडियो में हर आदमी भरत भूषण को सलाम करता था वहीं उन्होंने बहुत समय तक गार्ड की नौकरी की ऐसे में तंगहाली ऐसी थी कि भरत को एक वक्त के खाने के लिए भी परेशान होना पड़ता था भरत की कारें बंगला और सब कुछ बिक गया पर किताबें पढ़ने के शौकीन भरत को अब भी सुकून था कि उनकी किताबें उनके साथ हैं।

लेकिन एक रोज तंगहाली ने यह साथ भी उससे छीन लिया भरत को पेट की भूख मिटाने के लिए अपनी किताबें रद्दी के भाव बेचनी पड़ी किताबों को इस तरह से बेजना उनके लिए सबसे बड़ा दुख था भरत की किस्मत उनसे इस तरह रुठी कि वह वापस उनकी तरफ देख ही ना रही थी आखिरी वक्त में भरत भूषण बहुत बीमार हो गए थे।

लेकिन ऐसे में ना कोई उनका इलाज करवाने वाला था और ना ही कोई अर्थी उठाने वाला कहते हैं हर दर्द का अंत निश्चित है सो इस दर्द का अंत भी हुआ भरत की एक साल की उम्र में 27 जनवरी 1992 को निधन हो गई इस दुनिया से जाते-जाते भरत ने एक ही बात कही निधन तो सबको आती है पर जीना सबको नहीं आता और मुझे तो बिल्कुल नहीं आया 1992 में भरत भूषण का 72 साल की उम्र में निधन हो गया उनका परिवार उनके साथ था लेकिन उद्योग जगत से किसी ने भी उनके अंतिम दिनों में उनके बारे में जानने की जहमत तक नहीं उठाई थी।

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