राज कपूर की मशहूर फिल्म ‘श्री 420’ का वो जिसको एक बार अगर देख लिया तो अगली बार गारंटी से आप इसकी धुन में खुद को खो देंगे. मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर और मुकेश दा की आवाज से सजा गाना ‘रमैया वस्तावैया’ कैसे मजाक-मजाक में तैयार हो गया.बॉलीवुड से लेकर साउथ तक कई गानें ऐसे हैं, जिनको गुनगुना तो हमें बहुत पसंद है, लेकिन उन गानों के अर्थ को हम नहीं जानते. फिर वो गाना असी हुर टुर जाना हो या जिहाले मुस्की. राज कपूर की एक फिल्म साल 1955 में रलीज हुई, जिसका एक गाना लोग आज भी खूब गुनगुनाते हैं गाने के बोल हैं ‘रमैया वस्तावैया, रमैया वस्तावैया’. इन चंद शब्दों के पड़ने के बाद निश्चित रूप से आप भी इस गाने को गुनगुनाने लगे होंगे. इस गाने के बोल पिछले 6 दशक से संगीत प्रेमियों को लुभाता आ रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस गाने का मतलब क्या है? 70 प्रतिशत लोग इस गाने का मतलब नहीं जानते होंगे.
राज कपूर इंडस्ट्री के उन कलाकारों में शुमार रहे, जिन्होंने न सिर्फ पर्दे के आगे काम किया, बल्कि पर्दे के पीछे भी उन्होंने अपने हुनर को दिखाया. वो केवल कामयाब फिल्मकार ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने टैलेंटेड लोगों को भी खोज खोजकर निकाला था. गीतकार शैलेंद्र, हजरत जयपुरी से लेकर संगीतकार शंकर जयकिशन जैसे नायब हीरे सब राज साहब की है देन है. काम के प्रति राज कपूर की इस टीम की लगन अद्भुत थी. चाहे स्टूडियो में हो या किसी और जगह, उनके दिलो-दिमाग में कभी भी काम ओझल नहीं होता था.
राज कपूर की मशहूर फिल्म ‘श्री 420’ का गाना ‘रमैया वस्तावैया’ बनने के पीछे भी एक रोचक कहानी है. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा इस गीत की शुरुआत हुई थी चाय नाश्ते का आर्डर देते-देते. गाना तैयार हुआ और जब यह पूरी तरह तैयार होकर पर्दे पर उतरा तो इस गाने ने दर्शकों के दिलों में स्थाई रूप से जगह बना ली. दरअसल, फिल्म ‘आवारा’ की सफलता के बाद जब राज कपूर ने ‘श्री 420’ फिल्म का ऐलान किया, इसके लिए बेहतरीन संगीत बनाने में जुट गए.
एक बार शंकर, जयकिशन हजरत जयपुरी और शैलेंद्र की चौकड़ी एक बार खंडाला गई थी. जब भी ये लोग खंडाला जाते तो रास्ते में एक ढाबा पड़ता था. जहां रुककर ये चाय नाश्ता करते थे. इस बार भी ढाबे में रुकने के बाद ऑर्डर लेने वाले का इंतजार कर रहे थे. वहां, ‘रमैया’ नाम का एक लड़का था, जो वहीं काम करता था और वह तेलुगु भाषी था. शंकर खुद हैदराबाद में रहे थे और वह तेलुगु बोल सकते थे तो उन्होंने उस लड़की को तेलुगु में आवाज लगाई ‘रमैया वस्तावैया’.
रमैया वस्तावैया’ का का मतलब होता है ‘यहां कब आओगे’. साउथ से ताल्लुक रखने वाले लोग इस शब्द का अर्थ जानते होंगे, लेकिन उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार के लोग इस शब्द का मतलब नहीं जानते होंगे. इस शब्दों को सुनने के बाद उनके बगल में बैठे शैलेंद्र को ये शब्द अच्छे लगे और उन्होंने बार-बार यही दो शब्द सुर में बोलने शुरू कर दिए. जब वह बार-बार दो शब्द बोल रहे थी हसरत जयपुरी ने कहा , ‘बस इतना ही.’ तो उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने दिल तुझको दिया.’ सब बोले वाह… ये तो गाना बन सकता है. जयकिशन ने वहीं पर मेज थपथपाकर संगीत देने की शुरुआत भी कर डाली. इस तरह से इस गाने की रूप रेखा तैयार हो गई.
रमैया वस्तावैया’ का का मतलब होता है ‘यहां कब आओगे’. साउथ से ताल्लुक रखने वाले लोग इस शब्द का अर्थ जानते होंगे, लेकिन उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार के लोग इस शब्द का मतलब नहीं जानते होंगे. इस शब्दों को सुनने के बाद उनके बगल में बैठे शैलेंद्र को ये शब्द अच्छे लगे और उन्होंने बार-बार यही दो शब्द सुर में बोलने शुरू कर दिए. जब वह बार-बार दो शब्द बोल रहे थी हसरत जयपुरी ने कहा , ‘बस इतना ही.’ तो उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने दिल तुझको दिया.’ सब बोले वाह… ये तो गाना बन सकता है. जयकिशन ने वहीं पर मेज थपथपाकर संगीत देने की शुरुआत भी कर डाली. इस तरह से इस गाने की रूप रेखा तैयार हो गई.
चाय पीकर जब ये लोग वापस मुंबई आए, तो शैलेंद्र अपने शब्दों को पिरोते रहे और गाना और भी बेहतर होता चला गया. खंडाला से ये लोग सीधे आरके स्टूडियो पहुंचे और राज कपूर के सामने जाकर जितना भी गाना तैयार हुआ था सुना दिया. राज कपूर खुश हुए और बोले- बस…यहीं है जो मैं चाहता था. राज कपूर ने तय किया कि कहां फिल्म में ये गाना होगा और फिल्म की कहानी को आगे ले जाएगा.
गाने में ढोलक का थाप का ऐसा जोरदार इस्तेमाल किया गया कि जिनको नाचना नहीं आता हो वो भी अपने कदमों को रोक नहीं पाते. पिछले 69 सालों से ये गाना लोगों की जुबां पर हैराज कपूर ने तय किया कि कहां फिल्म में ये गाना होगा और फिल्म की कहानी को आगे ले जाएगा. गाने में ढोलक का थाप का ऐसा जोरदार इस्तेमाल किया गया कि जिनको नाचना नहीं आता हो वो भी अपने कदमों को रोक नहीं पाते.