बतौर गायक कलाकार मोहन जोशी को आपने बॉलीवुड की तमाम बड़ी फिल्मों में देखा होगा और उनके अपने से आप भी प्रभावित कोई नी मोजडी की बात करें तो यह शुरुआत में मराठी फिल्मों का हिस्सा बने लेकिन साथ 1992 में फिर जागृति इनकी हिंदी सिनेमा की फिल्म थी और इस फिल्म को करने के बाद वह की जो सीट कभी पीछे मुड़कर नहीं देखें।
आने वाले समय में वह तमाम मराठी व हिंदी सिनेमा की फिल्मों का हिस्सा बनते गए और उन्होंने अपने शानदार फिल्मी सफर के दौरान काफी नाम और शोहरत भी कमाया खैर मौजूदा दौर की बात करें तो आज भले ही मोहन जोशी की एक गुमनामी की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं आज उनकी कोई भी हिंदी सिनेमा की फिल्म भले ही आती हो लेकिन वह लगातार मराठी सिनेमा की कई सारी बड़ी फिल्मों का हिस्सा बन रहे हैं मोहन जोशी वैसे बॉलीवुड के उन चुनिंदा कलाकारों में से एक है जो आज भले ही इंडस्ट्री से दूर है।
लेकिन इन सब के बावजूद वह हमेशा ही चर्चाओं के केंद्र में बने रहते हैं और इसी कड़ी में हम आपको मोहन जोशी के संघर्ष के बारे में बताने वाले हैं यह आपको इस बात की जानकारी देना चाहेंगे कि बॉलीवुड के कई सारे ऐसे कलाकार रहे हैं जिसका संघर्षों भरा हिम्मत है तब जाकर उन्हें में सफलता मिलती है और कुछ ऐसे ही संतोष भरी कहानी मोहन जोशी की रही है मोहन जोशी कहने को तो एक ट्रक ड्राइवर थे।
लेकिन उन्होंने अपने मेहनत और काबिलियत के दम पर आज इतना बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है जिसका हर कोई सपना देखता है 4 सितंबर 1945 को बेंगलूर के मैसूर में जन्मे मोहन जोशी के उम्र इस समय क्षेत्र वर्ष की बताई जाती है और के पिता आर्मी अफसर हुआ करते थे और शुरुआत में मोहन जोशी को यह यकीन नहीं था कि आने वाले समय में और टेस्टी के इतने बड़े स्टार बनेगी और शुरुआत में उन्होंने ऐसे ट्रक ड्राइवर अपने करियर की शुरुआत की थी।
लेकिन किस्मत ने ऐसी पलटी मारी की मोहन जो चाहिए आज इंडस्ट्री के जाने-माने कलाकारों में से एक बन गए हैं बताया जाता है कि जन्म के करीब साल बाद वह बेंगलुरु से पुणे चले गए और वहां उन्होंने कॉलेज में रहते हुए एक थियेटर ग्रुप में शामिल हो गए थे और ऐसा आम मन कई सारे कलाकारों के साथ हो चुका है अब क्षेत्रों में भले जॉइंट कर लिया था लेकिन आने वाले समय में उन्होंने एक्टिंग का ऐसा चस्का लगा कि उन्होंने इंडस्ट्री में अपना नाम कमाने का सोच लिया डिग्री की पढ़ाई पूरा करने के बाद उन्होंने पुणे में किर्लोस्कर ग्रुप में काम करना शुरू कर दिया।
बाद में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपनी खुद की ट्रांसपोर्ट कंपनी की स्थापना कर डाली जहां उन्होंने खुद लगभग 8 सालों तक ट्रक ड्राइवर के रूप में काम किया उनकी परिवहन कंपनी के वाहनों में से एक दुर्घटना में शामिल होने के बाद उन्होंने अपना यह बिजनेस बंद करने का फैसला किया और यहीं से उन्होंने अपने करियर को एक नया मोड़ देने की कोशिश की है बेहतर जीवन के लिए लड़ते हुए उन नाटकों में अभिनय करना जारी रखा।
वह अपने नाटक पूरी अत सदा तिरंगा से सुर्खियों में आ गए थे क्योंकि यह नाटक उस दौरान काफी ज्यादा पसंद किया गया इस दौरान उन्होंने एक हजार से अधिक बार इस नाटक में अभिनय किया था इस साल 1984 में अपने ट्रांसपोर्ट का बिज़नस बंद करने के बाद मोहन जोशी ने अपने अभिनय करियर बनाने के लिए मुंबई जाने का बड़ा फैसला लिया और इस दौरान उन्होंने 8000 से अधिक स्टेशनों और 30 नाटकों में प्रदर्शन भी किया और इसके बाद उन्हें और भी कई सारे प्रसिद्ध नाटकों में अभिनय किया शुरुआती दौर में उन्हें मराठी फिल्मों में काम करने का मौका मिला।
उन्होंने 70 से ज्यादा मराठी फिल्मों में काम किया और उनकी कुछ मराठी फिल्मों में कई साल ऐसी फिल्में हैं जिन फिल्मों की खुमारी आज भी तो रोकता है शुरुआती दौर में क्षेत्र में करने के बाद साथ 1992 में जागृति उनकी पहली हिंदी सिनेमा की फिल्म आती है और इस फिल्म को करने के बाद मोहन जोशी की कभी पीछे मुड़कर नहीं देखते हैं हालांकि आने वाले समय में उन्हें कई सारी और मराठी व हिंदी सिनेमा की फिल्में की।
लेकिन साल 1994 में आई फिल्म भूकंप ने उन्हें एक नया मुकाम दिया और बताया जाता है कि इस फिल्म में उनके किरदार की जमकर तारीफ हुई थी 1994 में अधिकारी ब्रदर्स गौतम अधिकारी और मकर अधिकारी ने उन्हें बॉलिवुड फिल्मों का ऑफर की थी जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया और उन्होंने इस फिल्म में खलनायक अक्षर तय करता किरदार भी निभाया था।
यह बालों में खलनायक के रूप में उस दौरान काफी ज्यादा चर्चाओं में आ गए थे और उनके खिलाफ कि सफर की शुरुआत भी हो चुकी थी और इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा की कई सारी ऐसी फिल्में हैं इन फिल्मों में उन्होंने खलनायकी का अपना परचम लहराया और वह बहुत ही कम समय बॉलीवुड के प्रसिद्ध खिलाड़ी को में से एक बन गए वैसे देखा जाए मोहन जोशी ने अपने शानदार फिल्मी सफर के दौरान हिंदी सिनेमा की कई सारी बड़ी फिल्मों में काम किए और उनके हर किरदार को जमकर पसंद भी किया गया लेकिन अचानक से उन्होंने बॉलीवुड में काम करना बंद हुआ था और उसके बारे में जब एक इंटरव्यू के दौरान पूछा गया तो उन्होंने इसके पीछे का कारण बताया इस दौरान मोहन जोशी बताते हैं कि मैंने हिंदी फिल्मों में काम करना बंद कर दिया।
बॉलीवुड आज रिश्तेदारों से भरा हुआ है बहुत से नए लोग हिंदी फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं बहुत सारे समूह और शिविर है मेरे जैसे अभिनेताओं के लिए वहां कोई भी जगह नहीं है जो किसी समूह से संबंधित रही है ताकि आजकल हीरो विलेन का रोल करता है इसलिए हमारे लिए कोई काम बचा ही नहीं है मैंने कई भोजपुरी फिल्मों में काम भी किया है और मुझे यह भाषा बहुत प्यारी लगती है और भोजपुरी फिल्मों में काम करने का मजा भी आता है तो ऐसे में दोस्तों आप भी समझ सकते हैं कि मोहन जोशी जो बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के एक शानदार कलाकारों में से एक थे आज वह इंडस्ट्री से बिल्कुल गायब हो चुके हैं और हिंदी सिनेमा की वह बहुत ही कम फिल्मों में नजर आ रहे हैं।
हालांकि मराठी और भोजपुरी फिल्मों का हिस्सा जरूर बन रहे हैं यह आपको इस बात की जानकारी देना चाहेंगे कि मोहन जोशी अगर अपने ट्रांसपोर्ट का बिज़नस बात नहीं करते तो शायद आज जितने बड़े कलाकार वह नहीं बन पाते तो तूने आठ सालों तक ट्रक चलाया और एक हफ्ते के बाद उन्हें अपनी इस बिजनेस को बंद करने का फैसला किया था और उनका फैसला सही भी साबित को खैर जैसे मर्जी रहो लेकिन मोहन जोशी को आज भी लोग बहुत ज्यादा प्यार करते हैं आज इंडस्ट्री से बिल्कुल गायब ही हो चुकी हैं।