इस बॉलीवुड कॉमेडियन ने बिना गंदी बातो के बनाई अपनी पहचान, घर-घर हो गया था मशहूर।

कॉमेडी एक ऐसी विधा है जो हर किसी के बस की बात नहीं लेकिन हिंदी सिनेमा में कई ऐसे कॉमेडियन भी रह चुके हैं जिन्होंने कॉमेडी को ऐसे अंदाज में पेश किया कि पूरा परिवार उसे देख और सुन सके यानी से दूर कॉमेडी भरपूर हिंदी सिनेमा में भी एक ऐसा कॉमेडियन रहा जिसने अपनी साफ सुथरी कॉमेडी से हर किसी को एंटरटेन किया।

एक ऐसा कॉमेडियन जो फिल्मों के हिट होने की गारंटी बन गया एक ऐसा कॉमेडियन जो सिल्वर स्क्रीन पर रोता भी था तो दर्शक हंस-हंस कर बेहाल हो जाते भारत का शायद ही कोई सीने प्रेमी ऐसा होगा जिसे इनकी कॉमेडी पसंद ना आई हो इनका नाम है लक्ष्मीकांत बेड़े और यह जब तक जिंदा रहे हंसते और हंसाते रहे लक्ष्मीकांत बेड़े का जन्म 26 अक्टूबर 1954 को महाराष्ट्र की रत्नागिरी में हुआ बचपन से ही इन्हें फिल्में देखने का शौक लग गया और फिल्में देखकर यह भी एक्टों की नकल करने लगे जब यह बड़े हुए तो इनका परिवार बॉम्बे यानी मुंबई शिफ्ट हो गया परिवार बड़ा था और पिता एक छोटी सी नौकरी करने वाले इंसान सो छोटी उम्र में ही लक्ष्मीकांत बेडे ने काम करना शुरू कर दिया।

इन्होंने लॉटरी टिकट्स बेचना शुरू कर दिया इसी दौरान अपने इलाके में होने वाले गणेश उत्सव में यह शौकिया तौर पर स्टेज ड्रामा में हिस्सा लेने लगे इसका असर यह हुआ कि बचपन में इनके दिल में छिपी एक्टर बनने की ख्वाहिश फिर से जोर मारने लगी पढ़ाई के दौरान स्कूल में भी य नाटकों में हिस्सा लेने लगे और वहां इन्हें इनकी एक्टिंग के लिए अवार्ड्स भी दिए गए बस फिर क्या था।

लक्ष्मीकांत ने तय कर लिया कि अब तो वह हर हाल में एक्टर ही बनेंगे एक्टर बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए लक्ष्मीकांत ने मराठी साहित्य संघ नाम की एक प्रोडक्शन कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया इसी कंपनी में नौकरी के दौरान इन्होंने कुछ नाटकों में साइड रोल करने शुरू कर दिए लक्ष्मीकांत को पहली सफलता मिली मराठी नाटक तूर तूर से इस नाटक में लक्ष्मीकांत को पहली दफा कोई बड़ा रोल मिला था और अपने पहले ही रोल में लक्ष्मीकांत ने धमाका कर दिया दर्शकों को इनका यह किरदार बेहद पसंद आया।

इसी नाटक के बाद लक्ष्मीकांत को कुछ मराठी फिल्मों में काम करने का मौका मिला लेकिन फिल्मों में पहली दफा लक्ष्मीकांत को सफलता मिली 1985 में रिलीज हुई फिल्म धूम धड़ाका से इस फिल्म ने तो मानो लक्ष्मीकांत की किस्मत ही बदल कर रख दी।

लक्ष्मीकांत की कॉमिक टाइमिंग को लोगों ने बहुत पसंद किया इसके अगले ही साल लक्ष्मीकांत की एक और फिल्म आई जिसका नाम था दे दनादन यह फिल्म भी मराठी फिल्म थी और इस फिल्म ने भी जबरदस्त सफलता हासिल की एक बार फिर लक्ष्मीकांत ने लाखों सीने प्रेमियों को अपना फैन बना लिया लक्ष्मीकांत अब स्टार बन चुके थे उनके पास ना तो काम की कोई कमी थी और ना ही दौलत और शोहरत की महाराष्ट्र में लोग इन्हें प्यार से लक्ष्य कहकर पुकारने लगे मराठी फिल्मों में धूम जमाने के बाद लक्ष यानी लक्ष्मीकांत ने रुख किया बॉलीवुड का और बॉलीवुड में इन्हें एंट्री मिली सलमान खान के साथ फिल्म मैंने प्यार किया से इस फिल्म ने जहां सलमान खान को उस समय एक नया बॉलीवुड स्टार बना दिया तो लक्ष्मीकांत के रूप में बॉलीवुड को एक ऐसा कॉमेडियन भी मिल गया जो दिखने में तो भोंदू सा था लेकिन उसकी हर बात पर हंसी आती थी।

सलमान के साथ लक्ष्मीकांत ने और भी कई फिल्मों में काम किया फिल्म हम आपके हैं कौन में लक्ष्मीकांत ने नौकर के अपने किरदार को इस तरह जिया कि एक बड़ी स्टार कास्ट वाली इस फिल्म में भी लक्ष्मीकांत अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने में कामयाब रहे इसके बाद कई हिंदी फिल्मों में लक्ष्मीकांत ने नौकर का किरदार निभाया जैसे साजन अनाड़ी और बेटा अगर आपने बेटा और अनाड़ी फिल्म देखी होगी तो आप भी इस बात से इंकार नहीं कर पाएंगे कि अगर लक्ष्मीकांत की जगह उन किरदारों में कोई और कलाकार होता तो शायद हमें वह शानदार अदाकारी देखने को ना मिल पाती बात अगर लक्ष्मीकांत की निजी जिंदगी की करें तो इन्होंने दो शादियां की थी इनकी पहली पत्नी थी एक्ट्रेस रूही बेडे और उनसे इनकी शादी चल नहीं पाई और साल 1995 में इनका और रूही का तलाक हो गया इसके कुछ सालों बाद बाद लक्ष्मीकांत ने एक्ट्रेस प्रिया अरुण से शादी कर ली प्रिया अरुण वही एक्ट्रेस हैं जिन्होंने इनके साथ हम आपके हैं कौन और बेटा फिल्म में नौकरानी की भूमिका निभाई थी प्रिया अरुण से इनके दो बच्चे हैं बेटा अभिनय बेड़े और बेटी स्वानंदी बेड़े इनका बेटा अभिनव बेड़े भी इन्हीं की तरह मराठी फिल्मों में एक्टर है और इनकी बेटी भी फिल्मी पर्दे पर दस्तक देने को तैयार है।

लक्ष्मीकांत की जिंदगी की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं एक मामूली से घर के बच्चे ने अपनी प्रतिभा के दम पर खुद की अलग पहचान बनाई और लोगों के दिलों में खास जगह बनाई लेकिन कहते हैं ना कि हर कहानी का एक अंत होता है।

लक्ष्मीकांत की इस कहानी का भी अंत आ गया 16 दिसंबर 2004 किडनी की बीमारी से लड़ रहे लक्ष्मीकांत के शरीर ने आखिरकार हार मान ली और लक्ष्मीकांत इस दुनिया से हमेशा-हमेशा के लिए रुखसत हो गए लक्ष्मीकांत जी को इस दुनिया से गए हुए कई साल हो चुके हैं लेकिन फिल्मों में किए इनके काम ने आज भी लोगों के दिलों में उनको जिंदा रखा हुआ है।

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